Tongue Rail in Railway: रेलवे में रेलगाड़ी के चलने के लिए पटरियां यानि रेल बिछाई जाती है| जब एक ट्रैक से दूसरा ट्रैक निकाला जाता है (जिसे रेलवे में टर्नआउट कहते हैं) तो ऐसे में टंग रेल का इस्तेमाल किया जाता है| स्विच एक्सपेंशन जॉइंट में भी टंग रेल का उपयोग होता है| आइये जानते हैं रेलवे में टंग रेल क्या होती है (Tongue Rail in Railway):
रेलवे में टंग रेल क्या होती है (Tongue Rail in Railway)
भारतीय रेल में टंग रेल का उपयोग टर्नआउट या स्विच एक्सपेंशन जॉइंट में होता है| टंग (tongue) को हिंदी में जीभ कहते हैं| टंग रेल का तात्पर्य रेल के जीभ की तरह दिखने से है| टंग रेल का नाम इसी के आधार पर पड़ा| कोई टंग रेल किसी पूरी मुख्य रेल को मशीनिंग प्रक्रिया से पतला कर बनाई जाती है|
टर्नआउट एक ऐसी ट्रैक संरचना है जिससे ट्रेन को एक ट्रैक से दूसरे ट्रैक पर शिफ्ट किया जाता है| यह ट्रैक का सबसे जटिल भाग होता है| टर्नआउट के पॉइंट पर स्टॉक रेल के साथ एक दूसरी रेल को मशीनिंग प्रक्रिया से पतला कर लगाया जाता है| इसी रेल को टंग रेल कहते हैं| टंग रेल को स्ट्रेचर बार की मदद से शिफ्ट किया जाता है| इसी के मदद से टर्नआउट पर पॉइंट से क्रासिंग की तरफ जाती रेल की दिशा निर्धारित होती है| भारतीय रेलवे के मानकों अनुसार टर्न आउट पर टंग रेल की न्यूनतम लम्बाई 3660 मिलीमीटर होती है|
स्विच एक्सपेंशन जॉइंट पर भी स्टॉक रेल के साथ टंग रेल होती है, जो रेल के तापमान बढ़ने पर आगे-पीछे हिलती है| नीचे दिए गए सिंगल गैप एसईजे में अंदर की तरफ चेक रेल और बाहर की तरफ गैप एवॉइडिंग रेल लगी है| जो मुख्य रेल, गैप एवॉइडिंग रेल के साथ बोल्ट के साथ जुड़ी होती है उसे स्टॉक रेल कहते हैं और दूसरी तरफ की रेल टंग रेल कहलाती है|
0 Comments