रेलवे में एस ई जे क्या होता है | SEJ Full form in Railway

SEJ in Railway: बचपन से हम एक बात सुनते आ रहे हैं कि तापमान बढ़ने पर लोहा फैलता है और तापमान गिरने पर सिकुड़ता है| भारतीय रेलवे में भी इस्तेमाल होने वाली पटरियां गर्मियों के मौसम में तापमान बढ़ने के कारण फैल जाती है| पहले एक स्टैण्डर्ड रेल की लम्बाई 12-13 मीटर होती थी और इन्हें फिश प्लेट के माध्यम से जोड़ा जाता था| हर दो रेल के बीच में तापमान बढ़ने से होने वाले फैलाव को कवर करने के लिए थोड़ा गैप रखा जाता था| लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे भारतीय रेल नेटवर्क का वेल्डेड ट्रैक में आधुनीकरण शुरू हुआ| वर्तमान में ज्यादातर रेल नेटवर्क एल.डब्ल्यू.आर (लॉन्ग वेल्डेड रेल) और सी.डब्ल्यू.आर (कंटीन्यूअस वेल्डेड रेल) हो चूका है| इन्हें ट्रैक के बीच में तापमान बढ़ने के कारण होने वाले फैलाव को कवर करने के लिए एस.ई.जे दिया जाता है| आइये जानते हैं एस.ई.जे का फुल फॉर्म क्या है (SEJ Full Form) और यह कितने प्रकार के होते हैं (Types of SEJ in Railway):           
SEJ in railway

SEJ Full form in Railway

SEJ: Switch Expansion Joint  

एस.ई.जे क्या होता है (What is SEJ in Railway)

भारतीय रेलवे में एसईजे का मतलब है स्विच एक्सपेंशन जॉइंट| इसे एल.डब्ल्यू.आर/सी.डब्ल्यू.आर के प्रत्येक सिरे पर डालते हैं और तापमान के परिवर्तन के कारण एल.डब्ल्यू.आर/सी.डब्ल्यू.आर की ब्रीथिंग लेंथ में जो घटना-बढ़ना होता है, उसे यह परमिट करता है| सामान्यता एस.ई.जे समान रेल सेक्शन में ही लगाते हैं| दो विभिन्न रेल सेक्शन के जोड़/जंक्शन पर यदि एसईजे डालते हैं- जैसे एक तरफ 52 Kg एल.डब्ल्यू.आर है और दूसरी तरफ 60 Kg एल.डब्ल्यू.आर है तो आरडीएसओ की ड्राइंग के अनुसार कॉम्बिनेशन एसईजे को डालना चाहिए| एसईजी को सही स्थान पर डालने के लिए विभिन्न पॉइंट जैसे समपार पुल, पॉइंट और क्रासिंग, ग्रेडिएंट, कर्व, इन्सुलेटेड जोड़ों को ध्यान में रखते हुए सुनिश्चित किया जाता है| 

भारतीय रेलवे में पीएससी स्लीपरों पर बिछाए जाने वाले एसईजे निम्न होते हैं और समय-समय पर ट्रेन की गति और ट्रैफिक डेंसिटी के बढ़ने के कारण सुधार करके इनको इम्प्रूव किया गया है, जिस कारण इनको इम्प्रूव एसईजे कहते हैं| 
conventional SEJ in railway

पारम्परिक एसईजे (Conventional SEJ in Railway): कन्वेंशनल एसईजे की टंग रेल और स्टॉक रेल सीधी होती है और यह हाफ डिग्री (यानि 3500 मीटर तक के रेडियस) वाले कर्व पर डाले जा सकते हैं| वर्तमान समय में इनकी मांग कम होती जा रही है| 
conventional sej in railway

इस प्रकार के एसईजे में छह 300 मिलीमीटर वाले स्पेशल पीएससी स्लीपरों की आवश्यकता होती है| बीच में दो स्लीपर विशेष फास्टनिंग के साथ आते हैं और अन्य 4 स्लीपर समान फिटिंग के साथ आते हैं| एमएस एंगल टाई ब्रैकेट का उपयोग 6 चौड़े स्लीपरों पर स्लीपर स्पेसिंग को बनाए रखने के लिए किया जाता है| 

बीच वाले स्लीपर की केंद्र रेखा, मध्य टी-हेड बोल्ट (मध्य स्लीपर पर कुल 3 बोल्ट) की केंद्र रेखा के साथ मेल खाती है| यह केंद्र रेखा टंग रेल की टिप के साथ मेल खाती है| इस टंग रेल की टिप से 20 मिमी दुरी पर रिफरेन्स रेखा के लिए निशान बनाया जाता है| उस निशान से परे, 20 मिमी के बाद, स्टॉक रेल की टिप रखी जाती है| इस प्रकार टंग रेल और स्टॉक रेल के टिप के बीच 40 मिमी का प्रारंभिक अंतर दिया जाता है| बीच के दो स्लीपरों की सेण्टर से सेण्टर की दूरी 700 मिमी होती है, जबकि स्लीपर घनत्व (स्लीपर डेंसिटी) के आधार पर अन्य स्लीपर स्पेसिंग 650/600 मिमी रखी जाती है| यह एसईजे 80 मिलीमीटर के अधिकतम डिज़ाइन गैप के लिए बनाए जाते हैं| 

improved SEJ in railway

इम्प्रूवड एसईजे (Improved SEJ in Railway): वर्तमान में इम्प्रूवड एसईजे प्रचलन में हैं| अपने ख़ास डिज़ाइन के कारण यह सीधे ट्रैक या दो डिग्री कर्व यानि 875 मीटर रेडियस तक के कर्व में डाले जा सकते हैं| इम्प्रूवड एसईजे दो प्रकार के होते हैं:
     
rahee designed single gap improved sej

राही डिजाइन सिंगल गैप: इस प्रकार के इंप्रूव्ड एसईजे सिंगल गैप के होते हैं और यह अधिकतम डिज़ाइन गैप 80 मिलीमीटर के लिए बनाए जाते हैं| इन एसईजे में चेक रेल और गैप एवॉइडिंग रेल लगी होती है| दरअसल मुख्य रेल की नॉन गेज साइड को मशीनिंग करके रेल हेड को कम किया जाता है| फिर दोनों मुख्य रेलों को उचित दुरी पर रखकर, बाहर की तरफ गैप एवॉइडिंग रेल को लगाया जाता है| इस गैप एवॉइडिंग रेल को किसी एक मुख़्य रेल के साथ हाई टेंसाइल बोल्ट की मदद से जोड़ा जाता है| इस प्रकार यह स्टॉक रेल कहलाती है| दूसरी रनिंग रेल को टंग रेल कहते हैं| जहाँ पर गैप एवॉइडिंग रेल, टंग रेल को सपोर्ट करती है वहां पर पर्याप्त संपर्क सतह सुनिश्चित करने के लिए, रेल हेड की चौड़ाई ट्रांसफर लेंथ पर 90 मिमी तक बढ़ा दी जाती है| इस प्रकार रेल पहिया का गैप पर सुचारु रूप से चलना सुनिश्चित होता है| ये एस.ई.जे (राही सिंगल गैप) 300 मिलीमीटर चौड़े पांच स्पेशल पी.एस.सी स्लीपरों के साथ डाल जाते हैं| 

इस प्रकार के एसईजे में गैप एवॉइडिंग रेल और मशीनी रेल के बीच स्टील बोल्ट की फेल होने की रिपोर्टिंग अक्सर आती रहती है| जब एसईजे पर ढीली पैकिंग होती है, तो रेल पहिया स्टॉक रेल को नीचे धकेल देता है| इससे गैप एवॉइडिंग रेल का दूसरा सिरा उठ जाता है| इस प्रकार रेल का दूसरा पहिया फिर बाहर निकलने पर टंग रेल से टकराता है, जिससे उसमें इम्पैक्ट पड़ता है|

bina design double gap sej in raillway

बीएमडब्ल्यू डिजाइन डबल गैप: इस प्रकार के इम्प्रूव एसईजे में डबल गैप होता हैं और ये अधिकतम डिजाइन गैप 65 मिलीमीटर के लिए बनाए जाते हैं| इस प्रकार के एसईजे में दो टंग रेल लगी होती हैं जिनमें से बड़ी टंग रेल 6950 मिलीमीटर लंबाई की होती है और दूसरी छोटी टंग रेल 5750 मिलीमीटर लंबाई की होती है| स्टॉक रेल की लम्बाई 7140 मिलीमीटर होती है| इस एसईजे डिज़ाइन में पहले तीन पीएससी स्पेशल स्लीपर होते हैं, फिर बीच में नौ मेन लाइन के स्लीपर होते हैं और उसके बाद तीन पीएससी स्पेशल स्लीपरों को लगाया जाता है (3+9+3)| इस एसईजे को फील्ड में बीना डिजाइन एसईजे के रूप में भी जाना जाता है| चूंकि इस प्रकार के डबल गैप एसईजे की लम्बाई अधिक होती है (लगभग 18.7 मीटर), इसलिए ट्रैक मेंटेनर अक्सर सिंगल गैप एसईजे की तुलना, डबल गैप एसईजे के नवीकरण कार्य के दौरान साइट पर पूरी असेंबली को ले जाने में शिकायत करते हैं| 

इसके अलावा इम्प्रूवड एसईजे 02 से 04 डिग्री कर्व के भी होते हैं| दो अलग सेक्शन वाले रेल के बीच लगाए जाने वाले एसईजे को कॉम्बिनेशन एसईजे बोला जाता है| 

एसईजे को लगाने का तरीका 

1) एस ई जे को कर्व के ट्रांजीशन में नहीं डाला जाता| 
2) यार्ड में पॉइंट्स-क्रासिंग और एसईजे के बीच 03 रेल का पैनल होना चाहिए| इसके साथ क्रीप को रोकने के लिए फिटिंग लाइनर, रबर पैड और ईआरसी सही टो लोड वाली लगानी चाहिए| 
3) पुलों के एप्रोच पर एसईजे को एबटमेंट से न्यूनतम 30 मीटर दूरी पर डाला जाना चाहिए|    

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