Annapurna Jayanti 2022: माँ अन्नपूर्णा के अवतरण दिवस को अन्नपूर्णा जयंती के रूप में मनाया जाता है| ऐसा माना जाता है माँ अन्नपूर्णा से ही धरती पर अन्न की पूर्ति होती है| अन्नपूर्णा जयंती के दिन माता पार्वती और शिवजी की पूजा की जाती है| माँ अन्नपूर्णा माता पार्वती का ही एक स्वरुप हैं| मान्यता है कि अन्नपूर्णा जयंती के दिन विधिपूर्वक पूजा करने से घर में हमेशा अन्न के भंडार भरे रहते हैं| आइये जानते हैं इस वर्ष अन्नपूर्णा जयंती कब है (Annapurna Jayanti 2022 Date) और क्या है इस दिन की पूजा विधि और कथा (Annapurna Jayanti Katha):
अन्नपूर्णा जयंती कब है (Annapurna Jayanti 2022 Date)
प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है| यह दिन माँ पार्वती के अन्नपूर्णा स्वरूप को समर्पित है| मान्यता है कि इस दिन माँ अन्नपूर्णा की पूजा करने से संकट के समय भी कभी अन्य की कमी नहीं होती| हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 7 दिसंबर 2022 को सुबह 8:01 से होगी| और यह अगले दिन यानी 8 दिसंबर 2022 को सुबह 9:37 पर पूर्ण होगी| ऐसे में इस साल अन्नपूर्णा जयंती 8 दिसंबर 2022 को मनाई जाएगी|
अन्नपूर्णा जयंती कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार पृथ्वी पर अन्न-जल का अकाल पड़ गया था| जमीन बंजर हो गई| समस्त संसार में जीवन संकट पैदा हो गया| लोग अन्न की कमी से भूखे मरने लगे थे| इस समस्या का समाधान करने के लिए सभी ने ब्रह्मा और विष्णु की पूजा-अर्चना शुरू कर दी| हर जगह त्राही-त्राही देखकर ऋषियों ने भी ब्रह्म लोक और बैकुंठ धाम में जाकर इस परेशानी का हल जानना चाहा| तमाम प्रयासों के बाद भी जब हल नहीं निकला तो सभी देवी-देवता भगवान शिव की शरण में पहुंचे|
समस्या के निवारण के लिए महादेव मां पार्वती के साथ पृथ्वी लोक का भ्रमण करने निकले| शिव ने पृथ्वी वासियों के लिए भिक्षु का रूप धरा और माता पार्वती मां अन्नपूर्णा के रूप में पृथ्वी पर प्रकट हुईं| समस्त संसार के कल्याण के लिए शिव ने मां अन्नपूर्णा से भिक्षा में अन्न मांगा| ये अन्न और जल भोले भंडारी ने पृथ्वी वासियों में वितरित किया और लोगों के भरण पोषण का संकट खत्म हो गया| माता पार्वती जिस दिन मां अन्नपूर्णा के रूप में प्रकट हुईं उस दिन मार्गशीर्ष की पूर्णिमा थी, तभी से इस दिन को देवी अन्नपूर्णा के अवतण दिवस के रूप में मनाया जाता है|
अन्नपूर्णा जयंती पूजा विधि
अन्नपूर्णा जयंती के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नानादि करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें| पूरे घर रसोई-चूल्हे की अच्छे से सफाई करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें| खाने के चूल्हे पर हल्दी, कुमकुम, चावल, पुष्प अर्पित करें| धूप दीप प्रज्वलित करें| इसके साथ ही माता पार्वती और शिवजी की विधिवत पूजा करें| पूजा करने के बाद माता से प्रार्थना करें कि घर में हमेशा अन्न के भंडार भरे रहे| मां अन्नपूर्णा ही अन्न की अधिष्ठात्रि देवी हैं| मां पार्वती का स्वरूप, माँ अन्नपूर्णा से ही संपूर्ण विश्व का संचालन होता है| इनकी कृपा से ही सृष्टि का भरण पोषण होता है| मान्यता है जो अन्नपूर्णा जयंती पर व्रत रखक विधि विधान से मां अन्नपूर्णा की उपासना करता है उसके घर में कभी धन-अन्न की कमी नहीं रहती| कहते हैं मां अन्नपूर्णा जिस पर प्रसन्न हो जाएं उसके भाग खुल जाते हैं और दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल जाता है|
मां अन्नपूर्णा की तस्वीर में शिव भिक्षा मांगते हुए नजर आते हैं| देवी अन्नपूर्णा को अन्नदा और शाकुम्भरी भी कहते हैं| मान्यता है कि अन्न का अपमान करने से घर की बरकत चली जाती है और अन्न के भंडार खाली हो जाते हैं|
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