जय माँ सिद्धिदात्री: नवरात्री के नौवे दिन (9th Day of Navratri) माँ दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरुप की पूजा होती है| माँ दुर्गा का सिद्धिदात्री स्वरुप सभी दिव्य आकांक्षाओं को पूरा करने वाला है| आइये जानते हैं इस वर्ष नवरात्री की नवमी कब है (9th Navratri) और क्या है माँ सिद्धिदात्री मंत्र, व्रत कथा:
नवरात्री की नवमी तिथि कब है (9th Day of Navratri)?
इस वर्ष 2023 में चैत्र माह में पड़ने वाला नवरात्री त्यौहार 22 मार्च को शुरू हो रहा है| इस माह नवमी तिथि जिसे रामनवमी के नाम से भी जाना जाता है 30 मार्च 2023 को पड़ रही है| इसी प्रकार आश्विन माह में पड़ने वाली नवरात्री में माँ सिद्धिदात्री को समर्पित नवमी तिथि 23 अक्टूबर 2023 को है|
जय माँ सिद्धिदात्री
नवरात्री के नौवे तथा आखिरी दिन दुर्गा माँ के सिद्धिदात्री रूप की पूजा की जाती है| सिद्धि का अर्थ है अलौकिक शक्ति, दात्री का अर्थ है दाता या प्रदान करने वाला| अर्थात सिद्धिदात्री का अर्थ है "अलौकिक शक्ति प्रदान करने वाली"|
माँ सिद्धिदात्री स्वरुप में देवी कमल पर विराजमान हैं| उनकी चार भुजाएं हैं| वह अपने हाथों में कमल, गदा, चक्र और शंख धारण करती हैं| माँ सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है| माँ सिद्धिदात्री सभी प्रकार की अज्ञानता को दूर करती हैं| वह सभी प्रकार की उपलब्धियों की स्वामिनी हैं| माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने से महिमा, अणिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, वशित्व तथा ईशित्व नाम की आठ सिद्धियां प्राप्त होती हैं तथा असंतोष, आलस्य, ईर्ष्या, द्वेष आदि सभी प्रकार की बुराइयों से छुटकारा प्राप्त होता है|
माँ सिद्धिदात्री व्रत कथा
वैदिक शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव ने सिद्धिदात्री देवी की पूजा करके सभी प्रकार की सिद्धियों को प्राप्त किया था| तथा उनका आधा शरीर नारी का हो गया था| इसलिए उन्हें अर्द्धनारीश्वर के नाम से जाना जाता है| जब ब्रह्माण्ड पूरी तरह से अँधेरा से भरा हुआ एक विशाल शुन्य था| दुनिया में कहीं भी किसी प्रकार का कोई संकेत नहीं था, तब उस अन्धकार से भरे हुए ब्रह्माण्ड में ऊर्जा का एक छोटा सा पुञ्ज प्रकट हुआ| देखते ही देखते उस पुञ्ज का प्रकाश चारों ओर फैलने लगा| फिर उस प्रकाश के पुञ्ज ने एक आकार लेना शुरू किया और एक दिव्य नारी की तरह लगने लगा| वह स्वयं देवी महाशक्ति थीं| सर्वोच्च शक्ति ने प्रकट होकर त्रिदेवों को जन्म दिया| तब ब्रह्मा, विष्णु और महादेव प्रकट हुए| तब देवी ने त्रिदेवों को सृष्टि को सुचारु रूप से चलाने के लिए अपने-अपने कर्त्तव्य निभाने के लिए आत्मचिंतन करने को कहा| तीनों देव, देवी शक्ति के कहे अनुसार आत्मचिंतन करने के लिए महासागर के किनारे बैठ गए और कई वर्षों तक तपस्या की|
उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर देवी माँ सिद्धिदात्री के रूप में उनके समक्ष प्रकट हुई| माँ सिद्धिदात्री ने ब्रह्मा जी को सरस्वती जी, विष्णु जी को लक्ष्मी जी तथा शिव शंकर भगवान को आदिशक्ति प्रदान की| माँ सिद्धिदात्री ने ब्रह्मा जी को सृष्टि की रचना का कार्यभार सौंपा| विष्णु जी को सृष्टि के पालन का कार्य दिया और शिव जी को समय आने पर संसार का संहार करने का कार्यभार सौंपा| माँ सिद्धिदात्री ने त्रिदेवों को बताया की उनकी शक्तियां उनकी पत्नियों के रूप में हैं, जो उन्हें उनके कार्य करने में मदद करेंगी| माँ सिद्धिदात्री ने उन्हें आशीर्वाद दिया की वे उन्हें दिव्य चमत्कारी शक्तियां भी प्रदान करेंगी, जो उन्हें उनके कर्त्वयों को पूरा करने में मदद करेंगी| यह कहते हुए देवी ने उन्हें आठ अलौकिक शक्तियां प्रदान की|
इस प्रकार दो भागों, आदमी तथा औरत, देव तथा दानव, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे तथा कई अन्य प्रजाति का जन्म हुआ| आकाश असंख्य तारों, आकाश गंगाओं और नक्षत्रों से भर गया| पृथ्वी पर विशाल महासागर, झीलों, नदियों आदि का निर्माण हुआ| सभी प्रकार की वनस्पतियों और जीवों की उत्पत्ति हुई और उन्हें उचित आवास प्रदान किये गए| इस प्रकार देवी सिद्धिदात्री की कृपा से सृष्टि की रचना, पालन तथा संहार का कार्य संचालित हुआ|
माँ सिद्धिदात्री मंत्र
ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः ||
माँ सिद्धिदात्री की प्रार्थना
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि|
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी||
माँ सिद्धिदात्री स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता|
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः||
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