Bathukamma Festival: भारत त्यौहारों का देश है, जहाँ हर तिथि का अपना एक विशेष महत्त्व होता है| यहाँ स्थान अनुसार एक ही समय में त्योहारों को अलग-अलग नामों से जाना जाता है| मुख्य रूप से तेलंगाना में मनाया जाने वाला बथुकम्मा महोत्सव ऐसा ही एक पर्व है, जो शारदीय नवरात्री के समय मनाते हैं| आइये जानते हैं इस वर्ष बथुकम्मा कब है (Bathukamma Festival 2022 Date) और क्या है इसका महत्व:
बथुकम्मा 2022 (Bathukamma 2022)
बथुकम्मा महोत्सव भारतीय राज्य तेलंगाना में मनाया जाने वाला नौ दिवसीय त्यौहार है| यह नौ दिवसीय अद्वितीय त्यौहार, फूलों से मनाया जाने वाला उत्सव है, जिसमें देवी गौरी की पूजा फूलों के रूप में की जाती है| इसी समयकाल में भारत में शारदीय नवरात्री भी मनाई जाती है| बथुकम्मा त्यौहार कुछ दशक पहले केवल तेलंगाना के ग्रामीण क्षेत्रों में सिमट कर रह गया था| लेकिन अब इसने अपनी लोकप्रियता फिर से हासिल कर ली है| यहां तक कि अब सोशल मीडिया के प्रभाव से बथुकम्मा उत्सव शहरी क्षेत्रों और विदेशों में भी फैल गया है|
बथुकम्मा त्योहार के दौरान, सात परतों में सुंदर फूलों के ढेर से मंदिर का आकार बनाया जाता है| पहले जंगली फूलों का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन आजकल खरीदे गए फूलों से भी यह उत्सव मनाया जाने लगा है| बथुकम्मा (सद्दुला बथुकम्मा) के अंतिम दिन, पुष्प प्रदर्शनों को पानी में विसर्जित करने के लिए नदी में ले जाया जाता है|
बथुकम्मा त्यौहार के प्रत्येक दिन
पहला दिन: एंगिली पुला बथुकम्मा
दूसरा दिन: अटकुला बथुकम्मा
तीसरा दिन: मुदप्पाप्पु बथुकम्मा
चौथा दिन: नानाबियाम बथुकम्मा
पांचवा दिन: अटला बथुकम्मा
छठा दिन: अलीगिना बथुकम्मा
सातवां दिन: वेपाकयाला बथुकम्मा
आठवां दिन: वेन्नामुड्डाला बथुकम्मा
नौवां दिन: सद्दुला बथुकम्मा
बथुकम्मा त्यौहार कब है (Bathukamma Festival 2022 Date)
बथुकम्मा त्यौहार मुख्य रूप से भारत के तेलंगाना राज्य में मनाया जाता है| तेलगु कैलेंडर में आश्विन (महालया) अमावस्या के दिन इसकी शुरुआत होती है और अगले नौ दिन दुर्गाष्टमी तक इसे मनाया जाता है| ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से यह सितम्बर या अक्टूबर में पड़ता है| इस वर्ष आश्विन अमावस्या 25 सितम्बर 2022 को पड़ रही है| इसलिए इसी दिन बथुकम्मा त्यौहार की शुरुआत होगी|
बथुकम्मा की परंपराएं
इस पारंपरिक त्यौहार की उत्पत्ति से जुड़ी कई कहानियां हैं| एक कहानी के अनुसार, धर्मांगद, एक चोल राजवंश राजा थे जो दक्षिण भारत पर शासन करते थे| उन्हें उनका शासन युहीं नहीं मिला| उनके और उनकी पत्नी के सौ बेटे थे जो सभी युद्ध में मारे गए थे| राजा और उनकी पत्नी ने देवी लक्ष्मी से एक और संतान के लिए प्रार्थना की| कहा जाता है देवी लक्ष्मी ने उनकी प्रार्थनाओं का जवाब दिया और शाही परिवार को एक बेटी का आशीर्वाद मिला, जिसका नाम उन्होंने लक्ष्मी रखा| बथुकम्मा नाम का यही कारण है, जिसका अर्थ है 'देवी मां स्वयं जीवित आई हैं'| बच्ची को फूल पसंद थे, यही कारण है कि बथुकम्मा को फूलों के साथ मनाया जाता है, जिनमें से कई के औषधीय उद्देश्य हैं|
एक दूसरी कथा के अनुसार देवी गौरी ने भयंकर लड़ाई के बाद राक्षस 'महिषासुर' को हराया था| इस भीषण युद्ध के बाद देवी गौरी थकान के कारण गहरी नींद में चली गई| बथुकम्मा के दौरान, हिंदू भक्त औषधीय फूलों का उपयोग करके माँ गौरी को नींद से जागने के लिए प्रार्थना करते हैं|
यह त्यौहार देवी पार्वती को भी समर्पित है क्योंकि यह माना जाता है कि देवी सती बथुकम्मा पर देवी पार्वती के रूप में लौटी थीं| भारत में मानसून के मौसम के अंत में, जब फूल पूरी तरह से खिल जाते हैं, तब बथुकम्मा एक शानदार और रंगीन पुष्प त्योहार है|
बथुकम्मा की शुभकामनाएं (Happy Bathukamma Festival 2022)
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने बथुकम्मा के पावन अवसर पर सभी को विशेषरूप से तेलंगाना की नारी शक्ति को बधाई दी है| एक ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहा, ''बथुकम्मा के पावन अवसर पर सभी को, विशेष रूप से तेलंगाना की नारी शक्ति को बधाई| मैं कामना करता हूं कि यह त्यौहार प्रकृति के साथ हमारे जुड़ाव को गहरा करे और फूलों के प्रति रुचि को गहरा करे|"
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