World Lion Day 2023: शाही लगना-दिखना मानव स्वभाव में है तो 'जंगल के राजा' कहे शेर के लिए एक दिवस मनाना तो बनता है| प्रतिवर्ष एक दिन जंगल के राजा को मनाने के लिए विश्व शेर दिवस (World Lion Day) मनाया जाता है| इस दिन का उद्देश्य शेरों के बारे में जागरूकता फैलाना और उनके संरक्षण की दिशा में प्रयास करने की तत्काल आवश्यकता को उजागर करना है| आइये जानते हैं विश्व शेर दिवस कब मनाया जाता है (World Lion Day 2023 Date):
शेर: जंगल का राजा (Lion: The King of Forest)
शेर शक्ति और साहस के प्रतीक होते हैं और इनकी इसी विशेषता के कारण इन्हें पुरे इतिहास में जाना गया है| वे रॉयल्टी और स्थिरता के भी प्रतीक हैं इसलिए वाक्यांश जंगल का राजा शेर को कहा गया है| घास के मैदानों, झाड़ियों और अफ्रीका के खुले जंगलों में रहते हुए शेर बाघों के बाद दुनिया में दूसरे सबसे बड़ी बिल्ली प्रजाति है|
एशियाई सिंह या भारतीय शेर अठारवीं शताब्दी तक देश के कई राज्यों में मिलते थे| लेकिन लगातार शिकार से इनका संख्या कम होती गई और फिर ये गुजरात तक सिमट तक रह गए| पुरे विश्व में सासन-गिर एशियाई सिंह का आखिरी आश्रय बचा है| शेरों पर चुपचाप दुनिया भर में विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है| लेकिन यह हमेशा चिंता का विषय नहीं था| जंगलों में मानव हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप शेरों की संख्या में काफी कमी आई है| पांच दशकों के दौरान, वैश्विक शेरों की आबादी में लगभग 95% की कमी आई है, जिससे शेर के संरक्षण की दिशा में काम करने की आवश्यकता बड़ी है, और इसी पर जोर देता है विश्व शेर दिवस यानी "वर्ल्ड लायन डे"|
विश्व शेर दिवस कब मनाया जाता है (World Lion Day 2023)
शेरों को बचाने की पहल वर्ष 2013 में शुरू हुई थी और इसी साल पहला विश्व शेर दिवस (World Lion Day) मनाया गया था| बिग कैट इनिशिएटिव और नेशनल ज्योग्राफिक से डेरेक और बेवर्ली जौबर्ट ने इस दिवस की स्थापना की| उनका उद्देश्य शेरों को उनके प्राकृतिक वातावरण में सुरक्षित रखना था| तब से यह दिन विश्व शेर दिवस (World Lion Day) के रूप में जंगल के राजा की प्रजाति की रक्षा की लड़ाई में एक प्रतीक बन गया है|
भारत में शेरों की आबादी
भारत शानदार एशियाई शेरों का घर हैं, जो सासन-गिर राष्ट्रीय उद्यान के सरंक्षित क्षेत्र में निवास करते हैं| वर्तमान में पूरी दुनिया की बात की जाए तो 30000 से एक लाख के बीच शेर बचे हुए हैं| इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ़ नेचर (IUCN) द्वारा इन्हें लाल सूची में एक सुभेद्य प्रजाति (vulnerable species) के रूप में नामित किया गया है| यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि विशेष रूप से गिर वन में, जो अफ्रीका के बाहर शेरों की एकमात्र जंगली आबादी का घर है, भारत में उनकी आबादी का लगातार विस्तार हुआ है|
गुजरात के गिर जंगल और बड़े सौराष्ट्र संरक्षित क्षेत्र में लंबी अवधि की गिरावट का सामना करने के बाद एशियाई शेरों की आबादी में लगातार वृद्धि हुई है| 2015 से 2020 के बीच इनकी आबादी 523 से बढ़कर 674 हो गई| गौरतलब है कि शेरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उनके समक्ष आने वाले खतरों के प्रति जन जागरूकता बढ़ाने और उनके प्राकृतिक आवास की रक्षा करना आवश्यक है|
शेरों के बारे में कुछ रोचक जानकारी
- अफ़्रीकी शेर सभी बिल्लियों की प्रजाति में से सबसे अधिक मिलनसार होते हैं और समूहों में एक साथ रहते हैं|
- शेर की दहाड़ पांच मील दूर से भी सुनी जा सकती है|
- एक शेर कम दुरी के लिए 50 मील प्रति घंटा की रफ़्तार से दौड़ सकता है और 36 फ़ीट तक छलांग लगा सकता है|
- शेर केवल मैदानों में रहता है और औसतन एक पुरुष शेर का वजन 180 किलो का होता है और एक महिला शेर का वजन लगभग 130 किलो का होता है| रिकॉर्ड की बात करें तो अबतक का सबसे भारी शेर 375 किलो का था|
- जंगली शेर लगभग 10 से 14 वर्ष तक जीवित रहते हैं| कैद में रहते हुए वे 20 से 25 साल तक जीते हैं|
- दस हज़ार साल पहले, मानव के बाद शेर दूसरे सबसे व्यापक भूमि स्तनपाई थे| वे अफ्रीका, यूरेशिया और अमेरिका में मौजूद थे|
0 Comments