विश्व जैव ईंधन दिवस कब मनाते हैं | World Biofuel Day 2022 Date and Theme

World Biofuel Day 2022: भारत देश सदा प्रकृति से जुड़ा रहा है| नदियों, वृक्षों, पर्वतों से लेकर धरती को भी यहाँ माँ का दर्जा दिया जाता है| पर्यावरण को सुरक्षित रखने और पारम्परिक जीवाश्म ईंधन के विकल्प के रूप में गैर जीवाश्म ईंधन के महत्त्व के बारे में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से हर साल एक दिन विश्व जैव ईंधन दिवस (World Biofuel Day) के रूप में मनाया जाता है| आइये जानते हैं विश्व जैव ईंधन दिवस कब मनाते हैं (World Biofuel Day 2022 Date) और क्या है इसका उद्देश्य:

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जैव ईंधन क्या है (What is Biofuel)

जैव ईंधन यानि बायो-फ्यूल पर्यावरण के अनुकूल एक ईंधन हैं जिसका उपयोग कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद कर सकता है| यह रिन्यूएबल बायोमास संसाधनों के माध्यम से बनाए जाते हैं और इसलिए टिकाऊ विकास के लिए एक मजबूत विकल्प बनते हैं| जैव ईंधन पशु अपशिष्ट, शैवाल, औद्योगिक और कृषि अपशिष्ट से उत्पादित होता है| 

जैव ईंधन कच्चे तेल पर हमारी निर्भरता को कम करने की कुंजी है जिससे एक स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित होता है| इससे ग्रामीण लोगों के लिए भी अधिक रोजगार का सृजन होता है| जीवाश्म ईंधन (Fossil fuel) के जलने से कार्बन उत्सर्जन होता है, जिससे हमारी हवा और पर्यावरण प्रदूषित होती है| लगातार जीवाश्म ईंधन के उपयोग के कारण और इसके जलने के कारण बढ़ते वायु प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन ने कई मेट्रो शहरों को जहरीले गैस चैंबर में बदल दिया है| 

वर्तमान समय में हर किसी को पर्यावरण के बारे में सोचने की जरूरत है और जैव ईंधन समय की आवश्यकता है| यदि इसे जीवाश्म ईंधन के विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता है, तो इससे कार्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे हानिकारक गैसों के उत्सर्जन को काफी कम किया जा सकता है| 


विश्व जैव ईंधन दिवस कब मनाते हैं (World Biofuel Day 2022 Date)

विश्व जैव ईंधन दिवस हर साल 10 अगस्त को मनाया जाता है| विश्व जैव ईंधन दिवस सर रुडोल्फ डीजल के सम्मान में मनाते हैं| जैसा कि नाम से पता चलता है, रुडोल्फ डीजल वही थे जिन्होंने डीजल इंजन का आविष्कार किया था और वही पहले व्यक्ति थे जिन्होंने एक प्रयोग के साथ जीवाश्म ईंधन के विकल्प के रूप में वनस्पति तेलों के उपयोग का मार्ग दिखाया था| उन्होंने वर्ष 1893 में मूंगफली तेल से एक यांत्रिक इंजन चलाया था| इस अद्भुत प्रयोग को चिह्नित करने के लिए, 10 अगस्त को विश्व जैव ईंधन दिवस के रूप में मनाया जाता है| 

भारत में मिनिस्ट्री ऑफ़ पेट्रोलियम एंड नेचुरल गैस, मिनिस्ट्री ऑफ़ फारेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज ने वर्ष 2015 से जैव ईंधन दिवस मनाना शुरू किया और जैव ईंधन को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की गई| उनमें से कुछ इस प्रकार हैं, जैव ईंधन का सम्मिश्रण करना, प्रधानमंत्री जी-वन योजना, गोबर-धन योजना, रूको (RUCO), नेशनल बायोफ्यूल पालिसी 2018 आदि|  


विश्व जैव ईंधन दिवस का उद्देश्य (World Biofuel Day 2022) 

बेहतर वातावरण के लिए पारंपरिक जीवाश्म ईंधन के खिलाफ गैर-जीवाश्म ईंधन के उपयोग के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए 10 अगस्त को विश्व जैव ईंधन दिवस मनाया जाता है। जैव ईंधन को गन्ना, ताड़ के तेल, लकड़ी और इतने पर पौधों से बनाया जाता है जो पर्यावरण के अनुकूल होते हैं|  जैव ईंधन को नवीकरणीय ऊर्जा माना जाता है, पारंपरिक जीवाश्म ईंधन के विपरीत जो हवा में प्रदूषण पैदा करता है| 

प्रतिवर्ष विश्व जैव ईंधन दिवस पर्यावरण को कम हानिकारक बनाने के लिए दुनिया में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है| जैव ईंधन जीवाश्म ईंधन जैसे प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम, और इसी तरह की तुलना में कम हानिकारक हैं| जीवाश्म ईंधन अधिक कार्बन मोनोऑक्साइड छोड़ता है जो पर्यावरण को बहुत बुरी तरह से नुकसान पहुंचाता है| जैव ईंधन नवीकरणीय स्रोतों से बने होते हैं और यह जीवाश्म ईंधन की तुलना में कम ग्रीनहाउस गैस बनाता है| जीवाश्म ईंधन के विपरीत, जैव ईंधन पर्यावरण में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के 20 से 60 प्रतिशत को कम करता है|


विश्व जैव ईंधन दिवस 2022 का विषय (World Biofuel Day 2022 Theme)

World Biofuel Day 2022 Theme: "Promote the use of bio fuel over conventional energy resources"

यानि इस वर्ष विश्व जैव ईंधन दिवस 2022 का विषय "पारंपरिक ऊर्जा संसाधनों पर जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना है"| 


जैव ईंधन के लाभ

  • जैव ईंधन अक्षय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) से बना है, जो पर्यावरण के अनुकूल होता है| 
  • जैव ईंधन एक स्वच्छ ईंधन है जिससे कम उत्सर्जन होता है और यह सस्ता भी होता है|  
  • दहनशील ईंधन के रूप में उपयोग किए जाने पर जैव ईंधन वाहन के इंजन के स्थायित्व को बढ़ाते है|  
  • जैव ईंधन फसलों, उप-उत्पादों, पौधों के पेड़ों, और इसी तरह के विभिन्न प्रकार के अपशिष्ट से बने होते हैं| 
  • जैव ईंधन रिन्यूएबल स्रोतों से बनते है और भविष्य में जीवाश्म ईंधन की तरह ख़त्म नहीं होंगे| 
  • जैव ईंधन वायुमंडल में जीवाश्म ईंधन की तुलना में कम ग्रीनहाउस गैसों का उत्पादन करते हैं| 

जैव ईंधन के प्रकार (Types of Biofuel)

लकड़ी: लकड़ी बायोमास का उत्पादन करती है जिसे दुनिया भर में विभिन्न प्रकार के पेड़ों का उपयोग करके आग का उत्पादन करने के लिए जलाया जा सकता है| 

बायोगैस: बायोगैस एक गैसीय बायो-फ्यूल है| बायोगैस में मीथेन गैस होती है जिसे संसाधित बायोगैस से उत्पादित कर दुनिया भर में घरेलू उपयोग के लिए सिलेंडरों में स्टोर करते हैं| यह बायोमास वेस्ट और एनिमल वेस्ट के अनएरोबिक डाइजेशन से बनता है| 

बायोडीजल: यह जैव ईंधन तरल रूप में स्टोर किया जाता है| यह पशु वसा और पौधों के तेलों से बनाया जाता है जिसमें उच्च ऊर्जा सामग्री होती है| इसे अल्कोहल से भी बनाया जाता है| 

इथेनॉल: इथेनॉल मुख्य रूप से चीनी संयंत्रों (शुगर प्लांट्स) में या हाई स्टार्च वाली फसलों के वेस्ट से बनाया जाता है| यह उच्च कार्बन सामग्री बायोमास से बनता है| इथेनॉल एक अल्कोहल है जिसे तरल रूप में स्टोर किया जाता है|  

मेथनॉल: मेथनॉल भी एक जैव ईंधन है जिसे उच्च शक्ति वाले इंजन में उपयोग किए जाने वाले तरल रूप में स्टोर किया जाता है| मेथनॉल का उपयोग ज्यादातर दुनिया भर में रेसिंग कारों में किया जाता है| 

ब्यूटेनॉल: ब्यूटोनल एक और प्रकार का जैव ईंधन है जो किण्वन की प्रक्रिया से उत्पन्न होता है| ब्यूटेनॉल में इथेनॉल की तुलना में प्रति यूनिट अधिक ऊर्जा होती है और इसका उत्पादन करना बहुत मुश्किल है| 

भारत में मुख्य रूप से बायो-डीजल, बायो-इथेनॉल, बायो-गैस का उपयोग बायो-फ्यूल यानि जैव ईंधन के तौर पर किया जाता है| 


विश्व जैव ईंधन दिवस 2022 (World Biofuel Day 2022)

विश्व जैव ईंधन 2022 के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से हरियाणा के पानीपत में 2जी इथेनॉल संयंत्र राष्ट्र को समर्पित किया| यह इथेनॉल संयंत्र देश में जैव ईंधन के उत्पादन एवं उपयोग को बढ़ावा देने हेतु सरकार के प्रयासों का हिस्सा है| इसके उपयोग से ऊर्जा क्षेत्र को अधिक किफायती, सुलभ, कुशल और टिकाऊ बनाने में भी मदद मिलेगी| इसका निर्माण इंडियन आयल कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा 900 करोड़ रूपए से अधिक की अनुमानित लागत से किया गया है| 
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अत्याधुनिक स्वदेशी तकनीक पर आधारित इस परियोजना के माध्यम से सालाना लगभग तीन करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन किया जा सकेगा| इसके लिए संयंत्र में सालाना लगभग दो लाख टन चावल के भूसे (पराली) का उपयोग किया जाएगा|  

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