समुद्रयान मिशन क्या है | Samudryaan Mission in Hindi

समुद्रयान मिशन: जून 2021 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा "डीप ओसियन मिशन" को एप्रूव किया गया था| इस मिशन का उद्देश्य गहरे समुद्र में संसाधनों का पता लगाना, महासागर संसाधनों के सतत उपयोग के लिए गहरे समुद्र की प्रौद्योगिकियों का विकास करना और भारत सरकार की ब्लू इकोनॉमी पहल का समर्थन करना है| इस मिशन की लागत पांच साल की अवधि में 4,077 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया है| "समुद्रयान मिशन" डीप ओसियन मिशन का ही एक हिस्सा है| आइये जानते हैं समुद्रयान मिशन क्या है (Samudrayaan Mission) और क्या है इसका उद्देश्य:

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समुद्रयान मिशन (Samudrayaan Mission)

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) ने 2021 में चेन्नई में भारत का पहला मानव सागर मिशन "समुद्रयान" लॉन्च किया था| इस अद्वितीय महासागर मिशन के साथ, भारत, समुद्री गतिविधियों से जुड़ी आला प्रौद्योगिकी और वाहनों के लिए अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान और चीन जैसे देशों के कुलीन क्लब में शामिल हो गया है| समुद्रयान नाम से ही इसके महत्त्व को समझा जा सकता है| यह भारत का पहला मानव सागर मिशन है| यह एक मानव युक्त पनडुब्बी वाहन MATSYA 6000 में तीन व्यक्तियों को गहरे पानी के नीचे अध्ययन के लिए समुद्र में 6000 मीटर की गहराई तक भेजेगा| ज्ञात हो आधुनिक पनडुब्बियां 300-450 मीटर के आसपास समुद्र के भीतर जाती हैं| 

समुद्रयान मिशन स्वच्छ ऊर्जा, ब्लू इकॉनमी के लिए महासागर संसाधनों का पता लगाकर अधिक विकास के रास्ते खोलेगा| विकसित देश पहले ही इसी तरह के समुद्री मिशनों को अंजाम दे चुके हैं, लेकिन भारत विकासशील देशों में पहला देश है जिसने गहरे समुद्र में मिशन को अंजाम दे रहा है| 

samudrayaan mission kya hai

समुद्रयान मिशन का उद्देश्य

समुद्रयान मिशन का उद्देश्य दुर्लभ खनिजों के गहरे समुद्र की खोज और खनन के लिए एक पनडुब्बी वाहन में इंसानों को गहरे समुद्र में भेजना है| समुद्रयान मिशन द्वारा वैज्ञानिक सेंसर और उपकरणों के एक सूट के साथ समुद्र में 6000 मीटर की पानी की गहराई तक 3 मनुष्यों को ले जाने के लिए एक स्व-चालित मानव युक्त पनडुब्बी को विकसित करना है| मानवयुक्त पनडुब्बी वैज्ञानिक कर्मियों को प्रत्यक्ष हस्तक्षेप द्वारा अनपेक्षित गहरे समुद्र क्षेत्रों का निरीक्षण करने और समझने की अनुमति देगी। इसके अलावा, यह गहरे समुद्र के मानव रेटेड वाहन विकास के लिए क्षमता को बढ़ाएगा| इस में परिचालन अवधि के 12 घंटे और आपातकालीन स्थिति में 96 घंटे की सहनशक्ति होगी| 

"समुद्रयान मिशन" के लिए अनुमानित समय सीमा 2020-2021 से 2025-2026 की अवधि तक पांच साल है| राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी), चेन्नई, जो पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान है, ने गहरे समुद्र की खोज के लिए 6000 मीटर गहराई रेटेड रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल (आरओवी) और विभिन्न अन्य पानी के नीचे के उपकरणों जैसे स्वायत्त कोरिंग सिस्टम (एसीएस), स्वायत्त पानी के नीचे वाहन (एयूवी) और गहरे समुद्र खनन प्रणाली (डीएसएम) को विकसित किया है| 

भारत की एक अनूठी समुद्री स्थिति है, एक 7517 किमी लंबी तटरेखा, जो नौ तटीय राज्यों और 1,382 द्वीपों का घर है|  मिशन का उद्देश्य केंद्र सरकार के 'न्यू इंडिया' के दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है जो विकास के दस प्रमुख आयामों में से एक के रूप में नीली अर्थव्यवस्था (Blue Economy) पर प्रकाश डालता है|  

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