Indian Classical Languages: पापुआ न्यू गिनी, इंडोनेशिया और नाइजीरिया के बाद भारत में दुनिया की चौथी सबसे अधिक भाषाएं हैं| आधिकारिक तौर पर यहाँ 22 अनुसूचित भाषाएं हैं जो संविधान की 8 वीं अनुसूची में शामिल हैं| इन भाषाओं में कुछ भाषाओँ को भारत की शास्त्रीय भाषा (Indian Classical Language) होने का दर्जा प्राप्त है| आइये जानते हैं भारत की शास्त्रीय भाषाएं कौनसी हैं (List of Classical Language of India):
भारत में शास्त्रीय भाषाएँ (Indian Classical Languages)
वर्तमान में छ: भाषाओं को वर्ष शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान किया गया जो इस प्रकार हैं-
तमिल (2004)
संस्कृत (2005)
कन्नड़ (2008)
तेलुगू (2008)
मलयालम (2013)
ओडिया (2014)
क्या है शास्त्रीय भाषा के वर्गीकरण का आधार
2004 में, भारत सरकार ने घोषणा की कि कुछ आवश्यकताओं को पूरा करने वाली भारत की भाषाओं को "शास्त्रीय भाषा" का दर्जा दिया जाएगा, जिसके बाद वर्तमान समय तक, छह भाषाओं को शास्त्रीय दर्जा दिया गया है और अन्य भाषाओं जैसे बंगाली और मराठी भाषा के लिए लगातार मांग की जा रही है| संस्कृति मंत्रालय द्वारा किसी भी भाषा को 'शास्त्रीय' घोषित करने के लिए निम्नलिखित दिशा निर्देश जारी किये गए हैं:
- इसके प्रारंभिक ग्रंथों का इतिहास 1500-2000 वर्ष से अधिक पुराना हो
- प्राचीन साहित्य/ग्रंथों का एक हिस्सा हो जिसे बोलने वाले लोगों की पीढ़ियों द्वारा एक मूल्यवान विरासत माना जाता हो
- साहित्यिक परंपरा मूल हो और किसी अन्य भाषण समुदाय से उधार नहीं ली गई हो
शास्त्रीय भाषा और साहित्य, आधुनिक भाषा और साहित्य से भिन्न हैं इसलिये इसके बाद के रूपों के बीच असमानता भी हो सकती है|
शास्त्रीय भाषाओं के लिए लाभ
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अनुसार, किसी भाषा को 'शास्त्रीय भाषा' के रूप में अधिसूचित करने से प्राप्त होने वाले लाभ इस प्रकार हैं-
- भारतीय शास्त्रीय भाषाओं में प्रख्यात विद्वानों के लिये दो प्रमुख वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों का वितरण
- शास्त्रीय भाषाओं में अध्ययन के लिये उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना
- मानव संसाधन विकास मंत्रालय यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) से अनुरोध करता है कि वह केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शास्त्रीय भाषाओं के लिये पेशेवर अध्यक्षों के कुछ पदों की घोषणा करें
शास्त्रीय भाषाओं को जानने और अपनाने से भाषा को पहचान ओर सम्मान मिलेगा और वैश्विक स्तर पर संस्कृति का प्रसार होगा जिससे शास्त्रीय भाषाओं के संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा| शास्त्रीय भाषाओं की जानकारी से भारत के लोग अपनी संस्कृति को और बेहतर तरीके से समझ सकेंगे तथा प्राचीन संस्कृति और साहित्य से और बेहतर तरीके से जुड़ सकेंगे|
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