रेलवे में बलास्ट क्या होता है और क्या है इनका फायदा | What is Ballast in Railway in Hindi

What is Ballast in Railway: भारत में रेलवे परिवहन, यात्रा का एक प्रमुख साधन है, जिससे करोड़ो लोग प्रतिदिन सफर करते हैं| ट्रेन यात्रा एक बहुत ही सुखदायक और अद्भुत यात्रा अनुभव देती है| हालांकि, हम में से अधिकांश ने अपने जीवन में कम से कम एक बार सोचा होगा कि रेलवे ट्रैक के पास पत्थर क्यों बिछाए जाते हैं| रेलवे की टेक्निकल भाषा में इसे 'ट्रैक बलास्ट' (Track Ballast) कहते हैं| आइये जानते हैं रेलवे में बलास्ट क्या होता है (What is Ballast in Railway in Hindi) और यह क्यों बिछाए जाते हैं:
what is ballast in railway in hindi

रेलवे में बलास्ट क्या होता है (What is Ballast in Railway)

रेलवे लाइन के आसपास ट्रैक के दोनों तरफ बिछाए गए पत्थरों/गिट्टी के लिए एक सामूहिक शब्द है "ट्रैक बलास्ट"| ट्रैक बलास्ट पर ही रेलवे स्लीपर्स और रेल लाइन बिछाई जाती हैं| इस प्रकार यह ट्रैकबेड का काम करते हैं| बलास्ट के रूप में बिछाई गई गिट्टियां नुकीले और एंगुलर होती हैं, जिन्हें ट्रैक के दोनों तरफ अच्छे से पैक किया जाता है| 

उपयोग की जाने वाली गिट्टी सामग्री में विभिन्न प्रकार के टूटे हुए पत्थर (ग्रेनाइट, हार्ड ट्रैप, क्वार्टजाइट आदि) का इस्तेमाल किया जाता है| टूटे पत्थरों के बदले लाइमस्टोन और सैंडस्टोन का भी इस्तेमाल किया जा सकता है| यह हाई-स्पीड रेलवे ट्रैक के लिए उपयुक्त माने जाते है| गिट्टी के रूप में चयनित टूटे हुए पत्थरों को कठोर, टफ और नॉन-पोरस होना चाहिए| 

टूटे पत्थरों (Broken Stone Ballast) के अलावा स्थान और उपयोग के आधार पर सैंड बलास्ट, ग्रेवल बलास्ट, मूरम बलास्ट, कोयले की राख का बलास्ट या ब्रिक बलास्ट का इस्तेमाल भी किया जाता है|  

ballast cushion

ट्रैक पर कितना बलास्ट बिछाया जाता है 

रेलवे ट्रैक पर बलास्ट के लिए भारतीय रेलवे के मैनुअल में स्पष्ट रूप से बलास्ट हाइट और 01 मीटर लम्बाई में बलास्ट मात्रा बताई गई है| इसी के साथ बलास्ट में इस्तेमाल होने वाली गिट्टियों का आकार भी रेलवे मानकों द्वारा बिछाया जाता है| 


रेलवे लाइन के बीच में और पटरी के दोनों तरफ पत्थर क्यों बिछाए जाते हैं? (Use of Ballast in Railway)

रेलवे लाइन के आसपास पत्थर बिछाने के कई कारण होते हैं| यह पत्थर हमेशा नुकीले होते हैं, जिस कारण यह आपस में जुड़े रहते हैं और इधर-उधर बिखरते नहीं है| 

एक सफल और सुरक्षित रेल यात्रा के लिए इन पत्थरों को बिछाने की कई वजहें हैं|   

रेलवे लाइन को जब लकड़ी या कंक्रीट के स्लीपर पर बिछाया जाता है तो ट्रैक बलास्ट इन स्लीपर्स को मजबूती के साथ पकड़ कर रखती हैं| यदि ट्रैक बलास्ट नहीं बिछाए जाएँ तो ये स्लीपर ट्रेन के भारी वजन और कम्पन की वजह से इधर-उधर खिसक सकते हैं, जो एक बड़े रेल हादसे का कारण भी बन सकता है| 

इसके साथ ट्रैक बलास्ट पटरियों पर गुजरने वाली ट्रेनों से उत्पन्न होने वाले जबरदस्त वाइब्रेशन और शोर को काफी हद तक नियंत्रित करता है| यदि पटरियों के पास ट्रैक बलास्ट न बिछाए जाएँ तो ट्रेन के भारी भरकम वजन से होने वाले कम्पन से रेलवे लाइन टूट सकती है| और बलास्ट न बिछाने से ट्रेन के रेलवे लाइन पर दौड़ने पर बहुत शोर होगा| 

ट्रैक बलास्ट, रेलवे ट्रैक पर घास और पौधों को उगने से रोकता है| ट्रेन के सुगम आवागमन के लिए ये बहुत जरुरी है कि रेलवे ट्रैक पूरी तरह से क्लियर हो| 

रेलवे लाइन के आसपास बिछाए जाने वाले बलास्ट बारिश के मौसम में पटरियों और स्लीपर्स की सुरक्षा करता है| यदि ट्रैक बलास्ट न हो तो बारिश की वजह से ट्रैक और स्लीपर्स के नीचे मौजूद मिट्टी खिसक सकती है जिससे रेल हादसा हो सकता है| बलास्ट इस मिट्टी को जगह पर पकड़ कर रखता है| 

ट्रैक बलास्ट की गैर मौजूदगी में ट्रेन का सारा वजन सीधे-सीधे पटरियों और स्लीपर्स पर पड़ता है| ट्रैक के दोनों तरफ बिछाए गए बलास्ट, ट्रेन के दबाव को बांटता है और खुद भी इसका वजन सहन करता है और साथ ही स्लीपर्स के रास्ते आने वाले ट्रेन के भार को जमीन पर ट्रांसफर करता है| 

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