National Handloom Day 2024: हथकरघा उद्योग (Handloom Industry) भारत में आर्थिक गतिविधियों के सबसे बड़े असंगठित क्षेत्रों में से एक है जो ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों के लाखों बुनकरों को रोजगार प्रदान करता है| इनमें से अधिकांश महिलाएं और आर्थिक रूप से वंचित समूहों के लोग हैं| देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में हथकरघे का योगदान और बुनकरों की आमदनी में वृद्धि करने के उद्देश्य से साल में एक दिन राष्ट्रीय हथकरघा दिवस (National Handloom Day) मनाया जाता है| आइये जानते हैं नेशनल हैंडलूम डे कब मनाया जाता है (National Handloom Day is celebrated on) और क्या है इसका महत्त्व:
हैंडलूम क्या होता है (Handloom meaning in hindi)
हैंडलूम का हिंदी अर्थ है "हथकरघा" जो दो शब्द हैंड (हाथ) और लूम (करघा) से मिलकर बना है| "करघा" धागा या धागा बुनकर कपड़ा बनाने के लिए एक उपकरण होता है| हाथ से संचालित होकर चलने वाला यह उपकरण 'हथकरघा' (हैंडलूम) कहलाता है| यह एक पुरानी तकनीक है जिसका उपयोग बुनकर कपड़े बनाने के लिए करते हैं| करघा आमतौर पर खंभे, लकड़ी के लॉग और रस्सियों से बना होता है|
हथकरघा का उपयोग विभिन्न उत्पादों जैसे साड़ी, कालीन/गलीचे, शॉल आदि को बुनने के लिए किया जा सकता है| हथकरघा के अलग-अलग प्रकार हैं जैसे पिट करघा, फ्रेम करघा, खड़े करघा| प्रत्येक प्रकार का करघा एक अलग उद्देश्य के लिए होता है|
भारत का प्राचीन उद्योग है हथकरघा
प्राचीन काल से ही भारत में हथकरघा उद्योग का विशेष महत्व रहा है| आज भी हैंडलूम यानी हथकरघा के जरिए लाखों लोगों को रोजगार मिला हुआ है| खासकर ग्रामीण क्षेत्र के लिए यह जीवन व्यापन का एक महत्वपूर्ण जरिया है| सबसे खास बात ये है कि हैंडलूम व्यापार भारत के पर्यावरण के भी अनुकूल है|
हथकरघा उद्योग से निर्मित सामानों का विदेशों में भी खूब निर्यात किया जाता है| लेकिन खूबसूरत बुनाई और कढ़ाई करने वाले कारीगरों की जगह अब मशीनों ने ले ली है| सरकार के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में बुनकरों की स्थिति में सुधार हुआ है और हैंडलूम की सेल कई गुना बढ़ी है| लेकिन अगर उनकी आर्थिक स्थिति की बात की जाये तो कहा जा सकता है कि तमाम सरकारी दावों के बावजूद उनकी स्थिति दयनीय ही बनी हुई है|
राष्ट्रीय हैंडलूम डे कब मनाया जाता है (National Handloom Day is celebrated on)
प्रति वर्ष भारत में 7 अगस्त को देश में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस (नेशनल हैंडलूम डे) मनाया जाता है| नेशनल हैंडलूम डे के साथ बहुत ऐतिहासिक पृष्ठभूमि जुड़ी हुई है| इसी दिन 1905 में स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत हुई थी| भारत सरकार इसी की याद में हर वर्ष 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाता है| 7 अगस्त 2015 को चेन्नई में मद्रास विश्वविद्यालय की शताब्दी के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रथम राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का उदघाटन किया था, जिसके बाद से यह प्रतिवर्ष मनाया जा रहा है| हथकरघा गरीबी से लड़ने में एक अस्त्र साबित हो सकता है, जैसे स्वतंत्रता के संघर्ष में स्वदेशी आंदोलन था|
स्वदेशी उद्योग और विशेष रूप से हथकरघा बुनकरों को प्रोत्साहित करने के लिए, और 7 अगस्त 1905 को चलाए गए स्वदेशी आंदोलन को सम्मान देते हुए सरकार ने हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया था| प्रधानमंत्री जी ने 2015 में हथकरघा दिवस की शुरुआत करते हुए कहा था कि सभी परिवार घर में कम से कम एक खादी और एक हथकरघा का उत्पाद जरूर रखें|
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का महत्त्व (National Handloom Day Importance)
रोज के कामकाज करते हुए भी लोग राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान दे सकते हैं, जैसे, "वोकल फॉर लोकल" के माध्यम से| हमारे देश के स्थानीय उद्यमियों, आर्टिस्टों, शिल्पकारों, बुनकरों को सपोर्ट करना, हमारे सहज स्वाभाव में होना चाहिए| हमारे देश के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में, हैंडलूम कमाई का बहुत बड़ा साधन है| ये ऐसा क्षेत्र है जिससे लाखों महिलाएं, लाखों बुनकर, लाखों शिल्पी जुड़े हुए हैं| पिछले कुछ वर्षों में लोगों और सरकारों के प्रयास से देश में खादी की बिक्री कई गुना बड़ी है| ऐसे ही छोटे-छोटे प्रयास बुनकरों में नई उम्मीद जगाते हैं|
इस वर्ष 07 अगस्त 2024 को दसवाँ नेशनल हैंडलूम डे मनाया जाएगा| स्वदेशी व्यापार और ख़ास तौर पर हैंडलूम बुनकरों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ही सरकार ने, हर साल, सात अगस्त को, राष्ट्रीय हैंडलूम दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी|
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाने का उद्देश्य सामान्य रूप से हथकरघा की महत्त्वत्ता और देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में इसके योगदान के बारे में जागरुकता उत्पन्न करना, हथकरघा को बढ़ावा देना और साथ ही बुनकरों की आय और उसके गौरव में वृद्धि करना है| इससे हथकरघा बुनकरों की स्थिति में सुधार होगा|
हथकरघा के लिए सरकार ने किए ये प्रयास (National Handloom Day 2024)
साल 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई तो उन्होंने बुनकरों की समस्या को गंभीरता से लिया और इस पर काम शुरु किया| यही कारण रहा कि साल 2015 में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाने का निर्णय किया गया| सरकार ने 29 जुलाई, 2015 को राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में अधिसूचित किया था| सरकार का प्रयास है कि गरीबों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिले और हथकरघा उद्योग का सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्तिकरण किया जा सके| सरकार कहती आ रही है कि वह बुनकरों की आय बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है| केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने उस्ताद योजना के तहत बुनकरों के प्रशिक्षण की भी व्यवस्था कराई जिससे उन्हें तकनीकी रूप से और समृद्ध किया जा सके|
सरकार भी बुनकरों को फैशन जगत से जोड़ने की बात दोहराती आयी है और बुनकरों को सीधे बाजार से उपलब्ध कराने की बात कहती आयी है|हथकरघा क्षेत्र के पुनरोत्थान के लिए कदम उठाए जा रहे है| 2017 में सरकार ने बड़ा फैसला करते हुए कहा था कि देश में जगह जगह स्थापित बुनकर सेवा केंद्रों (डब्ल्यूएससी) पर बुनकरों को आधार व पैन कार्ड जैसी अनेक सरकारी सेवाओं की पेशकश की जाएगी| ये केंद्र बुनकरों के लिए तकनीकी मदद उपलब्ध करवाने के साथ-साथ एकल खिड़की सेवा केंद्र बने हैं, लेकिन सेवाओं का सही लाभ नहीं मिल पाने की शिकायतें भी बुनकर लगातार करते आये हैं|
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस, भारत के समृद्ध और विविध हथकरघा को मनाने और हमारी विरासत के संरक्षण में बुनकरों के योगदान को स्वीकार करने का दिन है| हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में कहा कि देश 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाएगा और लोगों का एक छोटा सा प्रयास कई लोगों के जीवन को बदल देगा, उन्होंने लोगों से हैशटैग 'माई प्रोडक्ट माई प्राइड' के साथ सोशल मीडिया पर स्थानीय उत्पादों को अपलोड करने और खादी और हथकरघा के कपड़े खरीदना शुरू करने का आग्रह किया|
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