राष्ट्रीय महिला दिवस 2023: सरोजिनी नायडू एक राजनीतिक कार्यकर्ता, नारीवादी, कवयित्री और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनने वाली और भारतीय राज्य राज्यपाल नियुक्त होने वाली पहली भारतीय महिला थी| उनके जन्म दिवस को भारत में राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है| आइये जानते हैं सरोजिनी नायडू के जीवन से जुड़ी कुछ बातें और कब मनाया जाता है राष्ट्रीय महिला दिवस (National Women Day 2023):
राष्ट्रीय महिला दिवस कब मनाते हैं (Sarojini Naidu Birthday)
"भारत कोकिला" के नाम से मशहूर सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी, 1879 को हैदराबाद में हुआ था| सरोजिनी नायडू की जन्म तिथि 13 फरवरी को भारत में राष्ट्रीय महिला दिवस (National Women Day 2023) के रूप में मनाई जाती है| प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और कवयित्री सरोजिनी नायडू के सम्मान में उनकी जयंती पर यह दिवस मनाते हैं|
सरोजिनी नायडू के जीवन से महिलाओं को आज भी प्रेरणा मिलती है| उन्होनें महिलाओं की शिक्षा और समाज में उन्हें हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए बहुत प्रोत्साहित किया था| इसलिए अखिल भारतीय महिला संघ ने वर्ष 2014 से सरोजिनी नायडू की 135वीं जयंती के उपलक्ष्य पर उनके जन्मदिवस को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाए जाने की शुरुआत की| इस वर्ष 2023 में सरोजिनी नायडू की 144वीं जयंती है|
कौन थीं सरोजिनी नायडू? (Who was Sarojini Naidu)
सरोजिनी नायडू एक राजनीतिक कार्यकर्ता, नारीवादी, कवयित्री और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनने वाली और भारतीय राज्य राज्यपाल नियुक्त होने वाली पहली भारतीय महिला थी|
सरोजिनी चट्टोपाध्याय का जन्म एक बंगाली ब्राह्मण और निजाम कॉलेज, हैदराबाद के प्रिंसिपल रहे अघोरेनाथ चट्टोपाध्याय के घर हुआ| उनके पिता एक शिक्षाविद और समाज सुधारक थे और उनकी मां बंगाली कविताओं की रचना करती थीं|
उन्होंने 12 साल की उम्र में मद्रास विश्वविद्यालय में प्रवेश किया और किंग्स कॉलेज, लंदन में (1895-98) और उसके बाद गिर्टन कॉलेज, कैम्ब्रिज में अध्ययन किया| सरोजिनी 1898 में भारत लौट आईं और गोविंदराजुलु नायडू से विवाह किया, और इस प्रकार वे सरोजिनी नायडू बन गईं| भारत में वह औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में शामिल हो गई|
शानदार वक्तृत्व कौशल के साथ धन्य, सरोजिनी नायडू ने अपने कई भाषणों में भारतीय स्वतंत्रता के कारण को बढ़ावा दिया| 1906 में, उन्होंने पूर्ववर्ती कलकत्ता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और भारतीय सामाजिक सम्मेलन को संबोधित किया|
वह 1914 में महात्मा गांधी से मिलीं और उनसे प्रेरित होकर ही वे राजनीती में सक्रिय हुई| ब्रिटिश शासन के खिलाफ गांधी के अहिंसक प्रतिरोध के आंदोलन से प्रेरित होकर, वह उनके सत्याग्रह में शामिल हुई थी| सरोजिनी नायडू भारत में असहयोग आंदोलन में भी सक्रिय भागीदार थीं|
1925 में, सरोजिनी नायडू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष बनी और कुछ साल बाद, वह अखिल भारतीय महिला सम्मेलन की संस्थापक सदस्य बन गईं|
National Women Day in Hindi (राष्ट्रीय महिला दिवस 2022)
1930 में, सरोजिनी नायडू, खुरशेड नौरोजी और कमलादेवी चट्टोपाध्याय सहित कुछ अन्य महिला कार्यकर्ताओं के साथ महात्मा गांधी के नमक मार्च में शामिल हुई| 6 अप्रैल, 1930 को गांधी की गिरफ्तारी के बाद, सरोजिनी नायडू ने इस अभियान के नए नेता के रूप में पदभार संभाला था|
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पहले गोलमेज सम्मेलन में भाग नहीं लिया था| लेकिन सरोजिनी नायडू और कुछ अन्य कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने 1931 में दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया| भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के लिए 1942 में उन्हें 21 महीने के लिए कैद किया गया था| इससे पहले भी वह कई बार जेल जा चुकी थीं|
भारत ने 1947 में ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की| सरोजिनी नायडू को नव-स्वतंत्र राष्ट्र में संयुक्त प्रांत (वर्तमान उत्तर प्रदेश) का राज्यपाल नियुक्त किया गया था| इस प्रकार वह भारत की पहली महिला राज्यपाल बनी| वह अपनी मृत्यु तक इस पद पर बने रही| 02 मार्च 1979 को सरोजिनी नायडू का लखनऊ में निधन हुआ|
भारत कोकिला सरोजिनी नायडू की प्रकाशित पुस्तकें
सरोजिनी नायडू का लेखन के प्रति प्यार शुरु से ही था| उन्होंने ज्यादातर अंग्रेजी में कविता की रचना की, जिसमें आमतौर पर बच्चों की कविता, रोमांस, देशभक्ति और त्रासदी की शैलियों में लिरिकल पोएट्री होती थी| उनकी कविताओं की पहली पुस्तक, 1905 में लंदन में प्रकाशित हुई थी, जिसका शीर्षक "द गोल्डन थ्रेशोल्ड" था|
सरोजिनी नायडू को एक कवयित्री के रूप में प्रशंसा 1912 में मिली, जब उनकी कविताओं की दूसरी पुस्तक, "द बर्ड ऑफ टाइम", प्रकाशित हुई| उनकी 1927 में प्रकाशित पुस्तक, "द ब्रोकन विंग", उनके जीवनकाल में जारी हुई कविताओं का अंतिम संग्रह था|
एक कवयित्री के रूप में, सरोजिनी नायडू का बहुत सम्मान किया जाता था और उन्हें "भारत कोकिला" या "नाइटिंगेल ऑफ़ इंडिया" के रूप में जाना जाता था| उनकी सभी कविताओं का एक संग्रह, जिसमें पूर्व में अप्रकाशित कविताएं भी शामिल थीं, 1961 में मरणोपरांत प्रकाशित हुई थीं| "द फेदर ऑफ द डॉन" नामक इस पुस्तक का संपादन उनकी बेटी पद्मजा नायडू ने किया था|
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