World Leprosy Eradication Day 2023: कोरोनो वायरस महामारी के कारण होने वाली सामाजिक और आर्थिक उथल-पुथल से कुष्ठ रोग यानि लेप्रोसी से प्रभावित व्यक्तियों और उनके परिवारों पर विशेष रूप से प्रभाव पड़ा है| सरकारों द्वारा लागू किए गए लॉकडाउन ने उनके लिए उपचार और देखभाल तक पहुंचना कठिन बना दिया है| ऐसे में वर्ल्ड लेप्रोसी डे पर कुष्ठ रोगी से होने वाले भेदभाव पर विचार करना बहुत जरुरी हो जाता है| आइये जानते हैं वर्ल्ड लेप्रोसी डे कब मनाया जाता है (World Leprosy Day 2023 Date) और क्या है इस साल की थीम (World Leprosy Day 2023 Theme):
कुष्ठ रोग (Leprosy Disease)
कुष्ठ रोग मानव जाति के लिए ज्ञात सबसे पुरानी बीमारियों में से एक है| इसे हैनसेन की बीमारी के रूप में भी जाना जाता है, जिसका नाम नॉर्वेजियन चिकित्सक गेरहार्ड हेनरिक आर्मौर हैनसेन के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने उस समय की प्रचलित धारणा को खारिज कर दिया था कि कुष्ठ रोग एक वंशानुगत बीमारी थी| उन्होंने दिखाया कि बीमारी के वजह एक धीमी गति से बढ़ने वाला बैक्टीरिया माइकोबैक्टीरियम लेप्रे है| यह नसों, त्वचा, आंखों और नाक की परत को प्रभावित कर सकता है| शीघ्र निदान और उपचार से इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है|
विश्व कुष्ठ दिवस कब मनाया जाता है (World Leprosy Day is celebrated on)
विश्व कुष्ठ दिवस प्रत्येक वर्ष जनवरी महीने के आखिरी रविवार को मनाया जाता है| इस दिन की शुरुआत वर्ष 1954 में फ्रांसीसी लेखक और परोपकारी राउल फोलेरो द्वारा की गई थी| इस दिन का चयन उन्होनें महात्मा गाँधी को श्रद्धांजलि देने के लिए उनकी हत्या की वर्षगांठ (30 जनवरी) के दिन को चुना था| अपने जीवनकाल के दौरान, महात्मा गाँधी ने कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की बेहतरी के लिए अथक प्रयास किए थे| जहाँ विश्व में वर्ल्ड लेप्रोसी डे की तारीख आखिरी रविवार के साथ बदलती रहती है वहीँ भारत में लेप्रोसी डे 30 जनवरी को मनाया जाता है| इस साल 2023 में वर्ल्ड लेप्रोसी डे 29 जनवरी 2023 को मनाया जा रहा है|
वर्ल्ड लेप्रोसी डे का उद्देश्य (World Leprosy Day Significance)
वर्ल्ड लेप्रोसी डे मनाने का उद्देश्य इस घातक प्राचीन बीमारी के बारे में सामाजिक जागरूकता बढ़ाना है और लोगों का कुष्ठ रोग के प्रति दृष्टिकोण को बदलना है कि अब इसे आसानी से रोका और ठीक किया जा सकता है|
वर्ल्ड लेप्रोसी डे के दिन कई संगठन अनुसंधान के लिए धन जुटाने, रोगियों को उपचार प्रदान करने और बीमारी से पीड़ित लोगों के पुनर्वास के लिए रैलियां और मैराथन भी आयोजित करते हैं| इसके अलावा, कुष्ठ रोगियों द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं को दूर करने और उनके द्वारा सामना किए जाने वाले सामाजिक कलंक को कम करने के तरीके खोजने के लिए दुनिया भर में सेमिनार और कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं| इसी के साथ वर्ल्ड लेप्रोसी डे के दिन, संगठन और गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) सार्वजनिक और शैक्षिक आउटरीच कार्यक्रम आयोजित करते हैं जहां वे लोगों को बीमारी के प्रसार को रोकने के बारे में जानकारी देते हैं| भारत सरकार ने 2027 तक कुष्ठ रोग के शून्य संचरण को प्राप्त करने के लिए 30 जनवरी, 2023 को कुष्ठ रोग के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (एनएसपी) और रोडमैप (2023-27) शुरू किया है|
वर्ल्ड लेप्रोसी डे 2023 थीम (World Leprosy Day 2023 Theme)
पिछले साल वर्ल्ड लेप्रोसी डे 2022 का विषय था: "यूनाइटेड फॉर डिग्निटी" (United for Dignity)| "यूनाइटेड फॉर डिग्निटी" अभियान उन लोगों की गरिमा का सम्मान करने में एकता का आह्वान करता था जिन्होंने कुष्ठ रोग का अनुभव किया है| इस साल वर्ल्ड लेप्रोसी डे 2023 का विषय है:
World Leprosy Day 2023 Theme: "Act Now, End Leprosy"
इस वर्ष का विषय तीन प्रमुख संदेशों पर ध्यान आकर्षित करता है:
लेप्रोसी को ख़त्म करना संभव है: हमारे पास लेप्रोसी को फैलने से रोकने और इस बीमारी को हराने की शक्ति और उपकरण मौजूद हैं|
अभी कार्रवाई करें: हमें कुष्ठ रोग को समाप्त करने के लिए संसाधनों और प्रतिबद्धता की आवश्यकता है| कुष्ठ उन्मूलन को प्राथमिकता देने की जरुरत है|
हर लोगों तक पहुंच: कुष्ठ रोग को रोका जा सकता है और इसका इलाज हो सकता है|
लेप्रोसी के मामलों का पता लगाने और उनका इलाज करने में देरी से अपरिवर्तनीय शारीरिक हानि हो सकती है, इसलिए यह आवश्यक है कि ये कुष्ठ रोगियों के लिए सेवाएं जारी रहें|
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