Sant Ravidas Jayanti 2023 Date | रविदास जयंती कब है

Sant Ravidas Jayanti 2023: भारत देश में कई महान संत और कवि हुए हैं| संत रविदास उन महापुरुषों में से ही एक हैं जिन्होनें आध्यात्मिक वचनों से सारे संसार को आत्मज्ञान, एकता और भाईचारे का सन्देश दिया| रविदास जी से प्रभावित होकर ही कई लोग भक्ति के मार्ग से जुड़े| रविदास जी के अनुयायी आज भी उनके द्वारा बताए गए उपदेशों का आचरण करते हैं और उनकी जयंती (संत रविदास जयंती 2023) बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं| आइये जानते हैं इस साल संत रविदास जयंती कब है (Ravidas Jayanti 2023 Date):

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संत रविदास जयंती कब है (Ravidas Jayanti 2023 Date) 

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि को संत रविदास जयंती पुरे भारतवर्ष में (मुख्य रूप से उत्तर भारत में) पुरे हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है| साल 2023 में संत रविदास जयंती 05 फरवरी 2023, बुधवार को मनाई जायेगी| पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 04 फरवरी 2023 को रात 09 बजकर 29 मिनट पर होगी| पूर्णिमा तिथि की समाप्ति इसके अगले दिन 05 फरवरी 2023 को रात 11 बजकर 58 मिनट पर होगी|    


"मन चंगा, कठौती में गंगा" 

संत रविदास जयंती (Ravidas Jayanti)

संत रविदास को रैदास, रोहिदास या रुहीदास के नाम से भी जाना जाता है| भक्ति काल में जन्में भारत के महान रहस्यवादी कवि संत रविदास के भक्ति गीतों और छंदों ने भक्ति आंदोलन पर एक स्थायी प्रभाव डाला था| इन्हीं की शिक्षाओं और विचारों से मीराबाई समेत कई संत, साधु-साध्वी प्रभावित थे| संत रविदास जी की कई कविताओं को सिख धर्म के पवित्र ग्रन्थों में भी शामिल किया गया है| 

भक्ति आंदोलन के रहस्यवादी संत-कवि रविदास जी का जन्म वाराणसी के पास सीर गोवर्धनपुर गांव में 14वीं/15वीं शताब्दी में माघ पूर्णिमा के दिन हुआ था| इनके परिवार का मूल पेशा चमड़े का था| संत रविदास ने गंगा नदी के तट पर अधिकांश समय आध्यात्मिक गतिविधियों में बिताना बचपन से ही शुरू कर दिया था| इस कारण संत रविदास जी का ज्यादातर जीवन सूफी संतों, साधुओं और तपस्वियों के साथ बीता| 

sant ravidas jayanti

संत रविदास ने अनेक कुरीतियों में प्रहार करते हुए समाज को एकता के सूत्र में लाने का मन्त्र दिया था| रविदास जी ने जाति-व्यवस्था जैसी सामाजिक बुराइयों से लोगों को सुधारने की दिशा में धार्मिक तरीके से काम किया| भक्ति आंदोलन में कई लोकप्रिय भक्ति गीत लिखने वाले गुरु रविदास आज के रविदासिया धर्म के संस्थापक भी माने जाते हैं| संत रविदास जी को आध्यत्मिक गुरु के रूप में उत्तर भारत के कई राज्यों में पूजा जाता है| 

ऐसा चाहूँ राज मैं मिले सबन को अन्न| 

छोट-बड़ो सब सम बसे, रविदास रहे प्रसन्न||   

वाराणसी में संत रविदास जी का जन्म उत्सव बहुत ही भव्य तरीके से मनाया जाता है, जिसे देखने भक्तगण बहुत दूर-दूर से आते हैं| संत रविदास जी के भक्त उनके जन्म दिवस पर घर या मंदिर में बनी उनकी प्रतिमा पर गंगा जल चढ़ाते हैं| और पूरी निष्ठा से माला-फूल चढ़ाकर उनकी पूजा करते हैं| इस दिन लोग भजन कीर्तन करते हैं और जुलुस निकालते हैं| 

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