Geeta Jayanti 2022: हिन्दू पौराणिक ग्रंथों में गीता का स्थान सर्वोपरि रहा है, इसलिए गीता जयंती एक प्रमुख पर्व के रूप में मनाया जाता है| सनातन हिन्दू धर्म के सबसे बड़े ग्रन्थ के जन्म दिवस को हम गीता जयंती कहते हैं| भगवत गीता जीवन मन्त्र है, इसलिए सदियों से मनुष्य को सही राह दिखाता आ रहा है| तभी इसे सबसे पवित्र ग्रन्थ माना जाता है| महाभारत के समय भगवान श्रीकृष्ण द्वारा, अर्जुन को ज्ञान का मार्ग दिखाते हुए गीता का आगमन हुआ था| तब से लेकर आज तक भगवत गीता न केवल भारत के बल्कि विश्व भर के लोगों में ज्ञान का प्रकाश फैला रही है| सनातन हिन्दू धर्म ही ऐसा धर्म है जिसमें किसी ग्रन्थ की जयंती मनाई जाती है| आइए जानते हैं गीता जयंती 2022 कब है और क्या है इसका महत्त्व|
गीता की उत्पत्ति
कुरुक्षेत्र का मैदान गीता की उत्पत्ति है| कहा जाता है कलयुग में प्रारम्भ के महज 30 वर्षों के पहले ही गीता का जन्म हुआ, जिसे जन्म स्वयं योगेश्वर श्री कृष्ण ने नंदी घोष रथ के सारथि के रूप में दिया था| गीता का जन्म आज से लगभग 5140 वर्ष पूर्व हुआ था|
कब हुआ था गीता का वाचन और क्या है इसकी प्रासंगिकता
कुरुक्षेत्र का वह युद्ध जिसमें भाई ही भाई के सामने अस्त्र-शस्त्र लिए खड़ा था| जिसका प्रारम्भ तो था लेकिन अंत अनिश्चित था| क्यूंकि ये युद्ध धर्म की स्थापना के लिए था| रणभूमि में एक तरफ पाँचों पांडव तो दूसरी तरफ कौरव थे| अर्जुन को अपने ही दादा, भाई एवं गुरुओं गांडीव उठाना था| ऐसे में अर्जुन के हाथ गांडीव उठाते हुए कांपने लगे| जब अर्जुन स्वयं को युद्ध करने में असमर्थ पाने लगे, तब मधुसूदन अर्जुन को गीता का उपदेश दिया| इस प्रकार से कुरुक्षेत्र के रणभूमि में गीता का जन्म हुआ|
जब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को धर्म की वास्तविकता से अवगत कराया, तो धनुर्धर अर्जुन को ज्ञान प्राप्त हुआ| एक मनुष्य रूप में अर्जुन के मन में उठने वाले सभी प्रश्नों का उत्तर श्री कृष्ण ने स्वयं उसे ही दिया| उसी का विस्तार भगवत गीता में समाहित है| जो आज मनुष्य जाति को उसका कर्तव्य एवं अधिकार का बोध कराता है| गीता का जन्म मनुष्य को धर्म का सही अर्थ समझाने की दृष्टि से किया गया|
जब गीता का वाचन स्वयं प्रभु ने किये उस समय कलयुग का प्रारम्भ हो चुका था| कलयुग ऐसा दौर है जिसमें गुरु और ईश्वर स्वयं धरती पर मौजूद नहीं हैं, जो भटकते अर्जुन को सही राह दिखा पाएं| ऐसे में गीता के उपदेश मनुष्य जाति को राह प्रशस्त करते हैं|
गीता जयंती 2022 कब है (Geeta Jayanti 2022 Date)
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को महाभारत के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र में गीता का उपदेश दिया था| इसलिए मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गीता जयंती मनाई जाती है| खासकर गीता जयंती को कुरुक्षेत्र में बड़ी ही धूम-धाम से मनाते हैं| पिछले साल गीता जयंती 14 दिसंबर 2021 को मनाई गई थी| इस साल वर्ष 2022 में गीता जयंती 03 दिसंबर 2022 शनिवार के दिन पड़ रही है| मार्गशीर्ष में पड़ने वाली यह एकादशी तिथि 03 दिसंबर सुबह 05 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी और इस तिथि की समाप्ति 04 दिसंबर 2022 सुबह 05 बजकर 34 मिनट पर होगी|
गीता जयंती का महत्त्व
श्रीमद्भगवत गीता जीवन का सार है , जिसे पढ़कर, अपने जीवन में उतारकर हमें कलयुग में सही राह मिलती है| इसके महत्त्व को बनाये रखने के लिए ही सनातन हिन्दू धर्म में गीता जयंती मनाई जाती है| इसे मनाने का उद्देश्य मनुष्य में गीता के महत्व को जगाये रखना है|
गीता सम्पूर्ण मानवता का मार्गदर्शन करती है| गीता के उपदेश जाति,धर्म और सम्प्रदाय से परे हैं| गीता के अठारह अध्यायों में मनुष्य के सभी धर्म एवं कर्म का लेखाजोखा है| इसमें सतयुग से कलयुग तक मनुष्य के कर्म एवं धर्म का ज्ञान है| गीता के श्लोकों में मनुष्य जाति का आधार छिपा है| मनुष्य के लिए क्या कर्म है और उसका क्या धर्म है, इसका विस्तार स्वयं योगेश्वर श्रीकृष्ण ने अपने मुख से दिया जिससे व्यक्तित्व का विकास हो सके|
गीता जयंती के दिन क्या करें
मान्यता है कि आज के दिन जो भी विधिपूर्वक गीता व भगवान विष्णु की पूजा करता है और दान दक्षिणा देता है उसे हर प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है, तथा शुभ फलों की प्राप्ति होती है| गीता जयंती के दिन भगवान श्री विष्णु जी का पूजन करने से आत्मिक शांति व ज्ञान की प्राप्ति होती है और मोक्ष मार्ग प्रशस्थ होता है|
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