Karwa Chauth 2024 Date: भारत त्योहारों का देश है, जहाँ हर महीने की हर तिथि का अपना महत्व रहता है| ऐसी ही एक तिथि में करवा चौथ मनाया जाता है जिस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र की कामना के लिए उपवास रखती हैं| आइये जानते हैं करवाचौथ 2024 कब है (Karwa Chauth 2024 Date) और क्या है इस वर्ष चाँद निकलने का समय:
करवा चौथ 2024 कब है (Karwa Chauth 2024 Date)
करवा चौथ त्यौहार कार्तिक मॉस के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है| पिछले वर्ष यह तिथि (Karwa Chauth 2023 Date) 01 नवंबर के दिन पड़ी थी| इस साल 2024 में (करवाचौथ 2024) यह दिन 20 अक्टूबर 2022, रविवार को पड़ रहा है| इस दिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं| इस वर्ष कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी और यह अगले दिन 21 अक्टूबर को सुबह 04 बजकर 16 मिनट तक रहेगी|
Karwa Chauth 2022 Date : 13 अक्टूबर 2022
Karwa Chauth 2023 Date : 01 नवंबर 2023
Karwa Chauth 2023 Date : 01 नवंबर 2023
करवा चौथ 2024 में चाँद निकलने का समय (Karwa Chauth moon rise time)
20 अक्टूबर 2024 को यानि करवाचौथ की तिथि को चाँद निकलने का समय रात्रि 07 बजकर 54 मिनट पर रहेगा| इस दिन पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 46 मिनट से लेकर 07 बजकर 02 मिनट तक रहेगा| इसी के साथ करवाचौथ उपवास का समय सुबह 06 बजकर 25 मिनट से रात्रि 07 बजकर 54 मिनट तक होगा|
करवा चौथ की पूजा विधि
करवा चौथ का त्यौहार अलग-अलग जगह अलग तरीकों से मनाया जाता है| इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर सरगी खाने का नियम है| सरगी खाने के बाद स्त्रियां शाम तक चाँद देखकर पूजा करने से पहले पानी भी नहीं पीती| सरगी खाने के बाद स्नान आदि से निवृत होकर पूरा दिन व्रत रखा जाता है| संध्या के समय करवाचौथ की कथा सुनी जाती है| कहानी सुनने के बाद स्त्रियां बायना निकालती हैं और अपनी सास अथवा ससुर को देती हैं| रात को चन्द्रमा को अर्ध्य देकर भोजन किया जाता है| भारत में स्थान अनुसार करवा चौथ की पूजा विधि में थोड़ा बहुत फरक होता है परन्तु सभी स्थान पर यह व्रत स्त्रियां अपने पति की लम्बी आयु के लिए रखती हैं| कई क्षेत्रों में कुवांरी लड़कियां अपना इच्छित वर पाने के लिए भी इस व्रत को रखती हैं|
करवा चौथ की कहानी (Karwa Chauth ki Katha)
प्राचीन समय में एक विद्वान ब्राह्मण के सात बेटे और एक बेटी थी| वह अपने सातों भाइयों की बहुत लाड़ली बहन थी| भाई बहन हमेशा एक साथ ही भोजन करते थे| जब उनकी बहन की शादी हो गई तो वह सातों भाई बहुत उदास हो गए| अपने भाइयों की ऐसी हालात का समाचार पाकर बहन अपने मायके रहने आई| जब वह अपने मायके में थी तो कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी आने पर बहन ने करवाचौथ का व्रत रखा| करवाचौथ के दिन जब सातों भाई खाना खाने बैठे तो उन्होनें बहन को भी खाने के लिए बुलाया| उनके बुलाने पर उनकी माँ ने कहा इसका तो आज करवाचौथ का व्रत है, जब चाँद निकलेगा तब यह अर्घ्य देकर खाना खाएगी| सुबह से शाम हो गई| सातों भाई अपनी बहन को भूखा देखकर परेशान थे| तब उन्होनें सोचा उनकी बहन सुबह से भूखी हैं और चाँद तो निकल ही नहीं रहा| इस पर भाईयों ने दूर जंगल में जाकर आग जला दी| और छलनी में से चाँद की तरह एक नकली आकृति दिखाई और बहन को कहा कि चाँद निकल आया है| अब तुम चन्द्रमा को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोल लो|
बहन ने नकली चाँद को देखने के बाद अपनी भाभियों को भी बुलाया| इस पर भाभियों ने कहा कि यह चाँद तो तेरे लिए आया है, इसलिए तुम ही अर्घ्य दे दो| तब बहन ने उस नकली चाँद को ही अर्घ्य दिया और खाना खाने लगी| जैसे ही उन सातों भाइयों की बहन ने पहला निवाला तोड़ा, तो उसके ससुराल से बुलाया आ गया कि उसका पति बीमार है| तब उस लड़की की माँ ने उसे जाते हुए कपड़े देने के लिए संदूक खोला| जैसे ही उसने संदूक खोला तब उसके हाथ में सफ़ेद कपड़ा आया| फिर उसके मन में वहम हुआ और उसने दूसरा संदूक खोला| दूसरा संदूक खोलने पर भी उसके हाथ में सफ़ेद कपड़ा ही आया| ऐसे ही उसकी माँ ने चार संदूक खोले| चारों संदूकों में से सफ़ेद कपड़ा ही सामने आया| तब उसकी माँ ने उसे जल्दी से वही कपड़ा पहनाकर ससुराल भेज दिया और जाने से पहले उसे एक सोने का सिक्का भी दिया और कहा रास्ते में सभी को नमस्कार करके पैरों को छूकर आशीर्वाद लेना और जो तुम्हें सुहागिन होने का आशीष दे उसे ही यह सिक्का देना| फिर वह लड़की उस सिक्के को लेकर वहां से चली गई| रास्ते में उसने बहुत लोगों के पैर छुए परन्तु किसी ने भी उसे सुहागिन होने का आशीर्वाद नहीं दिया|
जब वह ससुराल के दरवाजे पर पहुंची तो उसकी छोटी ननद मिली| उसने अपनी छोटी ननद के पैर छू दिए और तब उसकी ननद ने कहा-"तुम्हारे बेटे हों, तुम मेरे भाई का सुख देखने वाली हो"| यह सुनते ही सातों भाइयों की बहन ने सोने का सिक्का अपनी ननद को दे दिया और अपने पल्ले में गांठ बांध ली| अंदर जाने पर उसकी सास ने कहा ऊपर कोठरी है, वहां जाकर बैठ| जब वह ऊपर गई तो उसने देखा उसका पति अचेत पड़ा है| पति को लेकर वह वहीँ पड़ी रही और अपने पति की सेवा करने लगी| उसकी सास नौकरों के हाथ बची-कूची रोटी उसके लिए भेज देती थी| इस प्रकार अपने पति की सेवा करते हुए उसे एक वर्ष बीत गया|
अगले वर्ष करवाचौथ का व्रत फिर से आया| सभी सुहागिन स्त्रियों ने करवा चौथ का व्रत किया| सिर धोया और हाथों में मेहंदी लगाई| सभी ने सुहाग ने काम की नई चूड़ियां पहनी| वह लड़की यह सब देखती रही| एक पड़ोसन ने उससे कहा कि वह भी करवाचौथ का व्रत रखे| तब वह बोली- "मैं कैसे व्रत करूँ?"| इस पर पड़ोसन ने कहा कि चौथ माता सब ठीक कर देंगी| पड़ोसन के कहने पर उसने भी व्रत किया| कुछ देर बाद करवे बेचने के लिए एक औरत आई और आवाज लगाई-"करवा लो, भाइयों की प्यारी करवा लो, दिन में चाँद उगाने वाली करवा लो, ज्यादा भूख की मारी करवा लो"| बहु ने आवाज लगाई- हे करवा वाली, मुझे भी करवा दे जा| इस पर करवे वाली ने कहा मेरी दूसरी बहन आएगी, वह तुझे करवा देगी| फिर उसकी दूसरी बहन आई और आवाज देने लगी-"करवा लो, भाइयों की प्यारी करवा लो, दिन में चाँद उगाने वाली करवा लो, ज्यादा भूख की मारी करवा लो"| बहु ने फिर से आवाज लगाई-हे करवा वाली, मुझे भी करवा दे जा| इस पर करवे वाली ने कहा मेरी तीसरी बहन आएगी, वह तुझे करवा देगी| इस तरह से पांच बहने आई, सभी ने यही कहा कि उनकी एक बहन आएगी और उसे करवा देगी| फिर उनकी छठी बहन आई और उसने कहा "हमारी सातवीं बहन आएगी, तब तुम उससे करवा लेना| जब वह आए तब तुम उसके रास्ते पर कांटे बिखेर देना| जब उसके पैर में कांटा चुभेगा और वह चिल्लाएगी, तो तुम सुई लेकर उसका पैर पकड़ कर जबरदस्ती कांटा निकाल देना| तुम्हारा काँटा निकालते ही जब वह तुम्हें आशीर्वाद देगी, तब तुम उससे करवा माँगना| और करवा लेकर तुम व्रत का उद्द्यापन करना| जिससे तुम्हारा पति ठीक हो जाएगा|"
उसकी सारी बातें सुनकर उसने वैसा ही किया और काँटा चुभने पर उसे निकाल ही दिया| जिसने सातवीं करवे वाली ने उस लड़की को बहुत आशीर्वाद दिया| तब उस लड़की ने करवे वाली के पैर पकड़ लिए और कहा तुमने मुझे आशीर्वाद दिया है तो मुझे अब करवे भी देकर जाओ| तब करवे वाली बोली-"तूने तो मुझे ठग लिया, यह कहकर चौथ माता ने उसे आँख से काजल, नाखूनों से मेहंदी, मांग से सिंदूर निकालकर, छोटी ऊँगली से उसे छींटा दिया साथ ही उसे करवा भी दिया| करवा लेकर बहु ने व्रत रखा और उद्यापन भी किया| यह सब होने पर उसका पति जीवित हो गया और कहने लगा- "मैं तो बहुत सोया"| तब उसकी पत्नी बोली-"तुम सोए नहीं, बारह महीने से मैं तुम्हारी सेवा कर रही हूँ| यह तो कार्तिक मास की चौथ माता ने मुझे मेरा सुहाग दिया है|" उसके बाद दोनों पति-पत्नी ने करवा चौथ व्रत का उद्यापन करके और चन्द्रमा को अर्घ्य देकर खाना खाया| खाना खाकर वह दोनों चौपड़ खेलने लगे| जब वह चौपड़ खेल रहे थे तो उसकी सास ने दासी को तेल में बना हुआ खाना देकर बहु के पास भेजा| दासी ने देखा कि वह दोनों तो चौपड़ खेल रहे हैं| वह उल्टे पैर लौट गई और जाकर सास से कहा कि तुम्हारे महल में तो खूब रौनक है, तुम्हारे बहु-बेटा तो चौपड़ खेल रहे हैं| यह सुनकर सास हैरान हो गई और ख़ुशी-ख़ुशी जाकर उन्हें देखने चली गई| जब वह वहां गई तो उसकी बहु ने सास के पैर छुए| सास ने कहा- "बहु, सच-सच बता तूने यह चमत्कार कैसे किया"| तब बहु ने करवा चौथ की सारी बात बताई|
जब राजा के कानों में यह बात पड़ी तो उसने सारे नगर में यह ढिंढोरा पिटवा दिया कि सभी बहनें करवाचौथ का व्रत जरूर करें और पहला करवाचौथ अपने बीहड़ में करें और वहीँ उसका उद्यापन भी करें|
इस प्रकार करवा चौथ माता सभी व्रत रखने वालों की मनोकामना पूरी करती है उन्हें अखंड सुहाग का आशीर्वाद देती हैं|
करवा चौथ पर पत्नी के लिए गिफ्ट (Karwa chauth Gift for wife)
स्त्रियों द्वारा अपने पति की लम्बी आयु के लिए करवाचौथ का व्रत रखा जाता है| पति भी इस दिन अपने प्यार को जाहिर करते हुए अपनी पत्नियों को उपहार देते हैं|
Karwa chauth 2024
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