दिवाली 2022 कब है | Diwali 2022 Date | दिवाली पूजा विधि, कथा | Happy Diwali Wishes

Diwali 2022 Date: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन दिवाली का पर्व मनाया जाता है| इस दिन धन की देवी माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है| दिवाली भारत के सबसे बड़े और सर्वाधिक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है| दिवाली दीपों का त्यौहार है| आध्यात्मिक रूप से यह अन्धकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है| भारत वर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्योहारों में दिवाली का सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व है| इसे दीपोत्सव भी कहते हैं| आइये जानते हैं इस वर्ष 2022 में दिवाली कब है (Diwali 2022 Date) और क्या है दिवाली कथा (Diwali Katha in Hindi): 

diwali kab hai 2021

'दिवाली' का क्या मतलब होता है?

दिवाली यानि दीपावली विश्व में हिन्दुओं द्वारा मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्यौहार है| दीपों का खास पर्व होने के कारण इस त्यौहार को दिवाली या दीपावली का नाम दिया गया है| दिवाली का अर्थ है 'दीपों की अवली' यानि पंक्ति| इस प्रकार "दीपों की पंक्ति" से सुसज्जित इस त्यौहार को दीपावली कहा जाता है|  

दिवाली कब है? (Diwali 2022 Date)

दीपावली यानि दिवाली का पर्व हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है| इस वर्ष यह तिथि 24 अक्टूबर 2022, सोमवार के दिन पड़ रही है| इसी दिन दिवाली का पर्व मनाया जाएगा| अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर 2022 को शाम 05 बजकर 27 मिनट पर प्रारम्भ होगी और अगले दिन 25 अक्टूबर 2022 को शाम 04 बजकर 18 मिनट पर यह तिथि समाप्त होगी| दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 50 मिनट से रात्रि 08 बजकर 22 मिनट तक रहेगा| 

दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा के बाद सभी कमरों में शंक और घंटी बजाना चाहिए| इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा और दरिद्रता बाहर चली जाती है और घर में माँ लक्ष्मी का वास होता है| इस दिन अमावस्या रहती है और इस तिथि पर पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करना चाहिए| ऐसा करने से शनि दोष और काल सर्प दोष समाप्त हो जाता है| 

दिवाली के दिन का महत्व 

दिवाली के दिन अयोध्या के राजा भगवान राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात लौटे थे| अयोध्या वासियों का हृदय अपने राजा के आगमन से प्रफुलित हो उठा था| श्री राम के स्वागत में अयोध्या की प्रजा ने घी के दीपक जलाए| कार्तिक मास की अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रौशनी से जगमगा उठी| तब से लेकर आज तक यह प्रकाश का पर्व हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं| 

दिवाली का यह पांच दिनों का पर्व देवताओं और राक्षसों द्वारा सागर मंथन से पैदा हुई माँ लक्ष्मी के जन्म दिवस से शुरू होता है| दिवाली की रात वह दिन है जब लक्ष्मी ने अपने पति के रूप में भगवान विष्णु को चुना और फिर उनसे विवाह किया| माता लक्ष्मी के साथ-साथ विघ्नहर्ता भगवान गणेश और संगीत साहित्य की देवी माँ सरस्वती और धन प्रबंधक कुबेर को प्रकाश अर्पित करते हैं| 

दिवाली को भगवान विष्णु के वैकुण्ठ में वापसी के दिन के रूप में भी मनाते हैं| इस दिन माता लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं और जो लोग इस दिन उनकी पूजा करते हैं वे आगे के वर्ष के दौरान मानसिक, शारीरिक दुःख से दूर रहते हैं|      

दिवाली के पावन दिन भगवान श्री विष्णु जी ने राजा बलि को पाताल का इंद्र बनाया था| तब इंद्र देव ने बड़ी प्रसन्नता से दिवाली मनाई कि मेरा स्वर्ग का सिंहासन बच गया| इसी पावन दिन राजा विक्रमादित्य ने अपने सम्वत की रचना की थी| 

दिवाली की व्रत कथा (Diwali Katha in Hindi) 

एक गांव में एक साहूकार रहता था| उसकी बेटी प्रतिदिन पीपल पर जल चढ़ाती थी| जिस पीपल के पेड़ पर वह जल चढ़ाने जाती थी, उस पेड़ पर  लक्ष्मी जी का वास था| एक दिन लक्ष्मी जी ने साहूकार की बेटी से कहा "मैं तुम्हारी सहेली बनना चाहती हूँ"| लड़की ने कहा- मैं अपने पिता से पूछ कर आउंगी, अगर मेरे पिता जी ने हाँ कर दी, तो मैं तुम्हारी सहेली बन जाउंगी"| साहूकार की बेटी आकर अपने पिता को यह बात बताई| तब पिता ने कहा "क्यों नहीं वह तो साक्षात् लक्ष्मी जी हैं और हमें क्या चाहिए, तुम उनकी सहेली बन जाओ"| अगले दिन जब साहूकार की बेटी पीपल सींचने गई तो उसने माँ लक्ष्मी की सहेली बनना स्वीकार कर लिया| उसके बाद साहूकार की बेटी और माँ लक्ष्मी अच्छी सहेलियों की तरह हर रोज बातें करने लगी| 

एक दिन लक्ष्मी जी ने साहूकार की बेटी को घर आने का निमंत्रण दिया| जब साहूकार की बेटी लक्ष्मी जी के वहां गई तो लक्ष्मी जी ने उसे ओढ़ने के लिए शॉल दिया| सोने के चौकी पर बैठाकर, सोने की थाली मैं अनेक प्रकार के भोजन परोसे| साहूकार की बेटी जब खा-पीकर वापस लौटने लगी तो लक्ष्मी जी ने प्रश्न किया-"तुम मुझे अपने घर कब बुलाओगी"| लक्ष्मी जी के पूछने पर साहूकार की बेटी ने कहा- "अच्छा आ जाना"| उसने लक्ष्मी जी को अपने घर बुला तो लिया पर अपने घर की आर्थिक स्थति देखकर वह उदास हो गई और रूठ कर बैठ गई| तब साहूकार ने पूछा कि लक्ष्मी जी तो भोजन करने आएँगी और तू उदास होकर बैठी है| तब साहूकार की बेटी बोली- "पिताजी लक्ष्मी जी ने मुझे इतना कुछ दिया है और स्वादिष्ट भोजन कराया है, मैं उन्हें किस प्रकार खिलाऊंगी| हमारे घर पर तो कुछ भी नहीं है|" तब साहूकार ने कहा-"वह तुम्हारी सहेली हैं, हमसे जो हो पाएगा, हम वैसे ही कर देंगे| तू गोबर-मिट्टी का चौका देकर घर की सफाई करदे| चार बत्ती वाले मुख जला ले| और लक्ष्मी जी का नाम लेकर बैठ जा"| 

diwali kaun si tareek ki hai


जब साहूकार की बेटी दिया लेकर बैठी थी तो एक चील रानी का नौ लखा हार पंजे में दबाकर जा रही थी| उसके पंजे से रानी का वह हार लड़की के आगे गिर गया| लड़की वह हार देखने लगी| उसने अपने पिता को वह हार दिया| बहार शोर हो रहा था कि एक चील रानी का नौ लखा हार लेकर उड़ गई है, किसी को मिले तो लौटा देना| एक बार तो साहूकार के मन में विचार आया कि इस हार को बेचकर लक्ष्मी जी के स्वागत का प्रबंध करें| लेकिन अच्छे संस्कारों की वजह से साहूकार ने अपनी बेटी को कहा कि वह यह हार रानी को लौटा देंगे| लक्ष्मी जी के स्वागत में धन तो नहीं है पर हम उन्हें पूरा मान-सम्मान देंगे| ऐसा सोचकर साहूकार और उसकी बेटी ने वह नौ लखा हार राजा को दे दिया| तब राजा ने प्रसन्न होकर कहा-"जो चाहो वह मांग लो"| तब साहूकार ने कहा- "मेरी बेटी की सहेली के स्वागत के लिए शॉल-दुशाला, सोने की चौकी, सोने की थाली, कटोरी और छतीस प्रकार के व्यंजनों की व्यवस्था करवा दीजिये| राजा ने तुरंत व्यवस्था करवा दी| 

तब लड़की ने लक्ष्मी जी व गणेश जी दोनों को बुलाया| फिर आगे-आगे गणेश जी और लक्ष्मी जी साहूकार की बेटी के वहां पहुँच गए| साहूकार की बेटी ने लक्ष्मी जी से सोने की चौकी पर बैठने को कहा| तब लक्ष्मी जी ने चौकी पर बैठने से बहुत मना किया और कहा-"इस चौकी पर तो राजा रानी बैठते हैं, मैं इस चौकी पर नहीं बैठूंगी"| लड़की की जिद्द के आगे लक्ष्मी जी की एक ना चली और वह उस चौकी पर बैठ गई| तब साहूकार की बेटी ने लक्ष्मी जी की बहुत खातिर की जिससे लक्ष्मी जी बहुत प्रसन्न हुई| और उन्होनें साहूकार के घर को धन-धान्य से भर दिया| हे लक्ष्मी माँ जैसे आप साहूकार की चौकी पर बैठी और उन्हें धन-धान्य से भरपूर कर दिया वैसे ही अपनी कृपा सब पर बनाए रखना|       

दिवाली की शुभकामनाएं (Happy Diwali Greetings)                  

**"May every candle that will be lit on the evening of Diwali brings joys and prosperity for you. Happy Diwali 2022 to you and your family."**

happy diwali 2021 wishes


**"May you overcome your life difficulties with the help and guide of "Goddess Laxmi". Have a blessed and Happy Diwali 2022."**

happy diwali wishes 2021


**"रंगोली के रंगों की तरह, आशा है यह दिवाली आपके लिए नई मुस्कान लाए!!! दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं"**

diwali ki message 2021


**"May the festival of light brighten up you and your near and dear ones lives!!! Happy Diwali 2022"**

Post a Comment

0 Comments