जय माँ महागौरी: नवरात्री के आठवे दिन (8th Day of Navratri) माँ दुर्गा के महागौरी स्वरुप की पूजा होती है| इस दिन माँ महागौरी की पूजा करने से मनुष्य को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है| यदि अविवाहित कन्याओं का विवाह न हो रहा हो, तो वे मनवांछित पति पाने के लिए महागौरी जी का व्रत करती हैं| और विवाहित महिलाएं अखंड सुहाग के लिए माँ को श्रृंगार का सामान चढाती हैं| आइये जानते हैं इस वर्ष दुर्गाष्टमी कब है (8th Navratri) और क्या है माँ महागौरी मंत्र, व्रत कथा और व्रत का महत्व:
दुर्गाष्टमी कब है (8th Day of Navratri)?
इस वर्ष 2023 में चैत्र माह में पड़ने वाला नवरात्री त्यौहार 22 मार्च को शुरू हो रहा है| इस माह दुर्गाष्टमी 29 मार्च को पड़ रही है| इसी प्रकार आश्विन माह में पड़ने वाली नवरात्री में दुर्गाष्टमी यानी माँ महागौरी की पूजा 22 अक्टूबर 2023 को होगी|
जय माँ महागौरी
नवरात्री के आठवें दिन दुर्गा माँ के महागौरी रूप की पूजा की जाती है| महा का अर्थ है अत्यंत और गौरी का अर्थ है श्वेत| महागौरी माता के नाम से ही पता चलता है कि इनका रूप पूरी तरह से गौर वर्ण है| इनकी उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से की गई है| "अष्टवर्षा भवेद् गौरी" यानि इनकी आयु आठ साल की मानी गई है| इनके सभी आभूषण और वस्त्र सफ़ेद रंग के हैं जिस कारण इन्हें श्वेताम्बरधरा कहा गया है| महागौरी माता की चार भुजाएं हैं| इनके ऊपर वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है और नीचे वाला हाथ त्रिशूल धारण किया हुआ है| महागौरी माँ ने ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू धारण कर रखा है और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है| इनकी पूरी मुद्रा बहुत ही शांत है| महागौरी का वाहन वृषभ है इसीलिए माँ महागौरी को वृषारूढ़ा भी कहा जाता है|
माँ महागौरी व्रत कथा
पर्वत राज हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लेने के बाद आदि शक्ति पार्वती ने पति रूप में शिव भगवान को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी| तपस्या करते समय सभी प्राकृतिक आपदाओं को झेलने के कारण और धूल, सर्दी, गर्मी, बरसात आदि से इनका शरीर काला पड़ गया था| लेकिन इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर कांतिमय बना दिया| इनका रूप गौर वर्ण हो गया था इसीलिए पार्वती माँ, महागौरी के नाम से जानी जाने लगी| इस प्रकार माँ महागौरी, पार्वती माता का ही एक रूप हैं|
एक दूसरी कथा के अनुसार कालरात्रि के रूप में सभी राक्षसों को मारने के बाद जब देवी पार्वती के पति महादेव ने उन्हें काली कहकर चिढ़ाया था, तो उत्तेजित होकर पार्वती माँ ने अपनी निष्पक्ष त्वचा को पाने के लिए कई दिनों तक कड़ी तपस्या की और ब्रह्मा जी को अर्घ दिया| ब्रह्मा जी ने प्रसन्न होकर देवी पार्वती को हिमालय में मानसरोवर नदी में स्नान करने की सलाह दी| ब्रह्मा जी की बात मानते हुए माँ पार्वती ने मानसरोवर गंगा नदी में स्नान किया| मानसरोवर में स्नान करने के बाद उनकी गहरी त्वचा उनसे अलग हो गयी और उसने एक स्त्री का रूप ले लिया| यह स्त्री कोशिकी हैं जो राक्षसों शुम्भ और निशुम्भ का वध करती हैं तथा पार्वती माता ने अपने श्वेत रंग और सुंदरता को पुनः प्राप्त कर लिया और महागौरी नाम से जानी जाने लगी|
माँ महागौरी पूजा विधि
नवरात्री के आठवे दिन यानि महाष्टमी के दिन महागौरी की पूजा कन्या रूप में की जाती है| दुर्गा अष्टमी के दिन सुबह स्नान आदि करके देवी की पूजा की जाती है| पूजा करने के लिए लाल फूल, लाल चन्दन, दिया, धूप आदि का प्रयोग किया जाता है| महाष्टमी के दिन देवी को उबले हुए काले चने, हलवा, पूड़ी तथा कच्चे नारियल का प्रसाद चढ़ाया जाता है| उसके बाद नौ कन्याओं तथा एक लड़के की पूजा करके प्रसाद खिलाया जाता है| नौ कन्याएं देवी के नौ रूपों का प्रतीक मानी जाती हैं और लड़के को लांगुर के रूप में माना जाता है| बहुत से भक्त इस दिन महागौरी को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ व हवन भी करते हैं| महागौरी की पूजा करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है| यदि अविवाहित कन्याओं का विवाह न हो रहा हो, तो वह मनवांछित पति पाने के लिए महागौरी जी का व्रत करती हैं| और विवाहित महिलाएं अखंड सुहाग के लिए माँ को श्रृंगार का सामान चढाती हैं|
माँ महागौरी मंत्र
ॐ देवी महागौर्ये नमः||
माँ महागौरी की प्रार्थना
श्वेते वृषेसमारुड़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:|
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा||
माँ महागौरी स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता|
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः||
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