माँ स्कंदमाता, माता दुर्गा की पांचवी स्वरुप हैं| नवरात्र के पांचवे दिन (Navratri Day 5) स्कन्द माता की पूजा की जाती है| पौराणिक कथाओं के अनुसार माँ स्कंदमाता, हिमालय की पुत्री पार्वती हैं| इन्हें महेश्वरी और गौरी के नाम से भी जाना जाता है| आइए जानते हैं कब है 2023 में नवरात्री के समय पड़ने वाली पंचमी तिथि (5th Day of Navratri), जब माँ स्कंदमाता की पूजा होती है:
नवरात्र की पंचमी तिथि कब है (माँ स्कंदमाता)
भारत में नवरात्री त्योहारों का विशेष महत्व है| यह मुख्य रूप से देवी शक्ति दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों को समर्पित है| नवरात्री का अर्थ है नौ विशेष रातें| नवरात्री वर्ष में चार बार आती है| इसे पौष, चैत्र, आषाढ़ और अश्विन महीने में बड़ी धूमधाम से मनाते हैं| नवरात्री के पांचवी तिथि को (5th Day of Navratri) देवी के पांचवे स्वरुप माँ स्कंदमाता की पूजा होती है|
वर्ष 2023 में चैत्र नवरात्री की पंचमी तिथि 26 मार्च 2023 को थी| इसके साथ वर्ष के अश्विन माह में पड़ने वाली पंचमी तिथि 19 अक्टूबर 2023 को है| इस दिन माँ स्कंदमाता की पूजा-आराधना करने से माँ प्रसन्न होती है| (Navratri Day 5)
माँ स्कंदमाता का नाम
माँ दुर्गा के इस स्वरुप के नाम के पीछे भगवान कार्तिकेय हैं| दरअसल माता पार्वती और भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय का नाम स्कन्द भी है| इसीलिए स्कन्द की माता यानी स्कंदमाता के रूप में माँ दुर्गा की पूजा नवरात्र के पांचवे दिन की जाती है| संतान प्राप्ति में बाधाओं को दूर करने के लिए माँ स्कंदमाता की पूजा की जाती है|
माँ स्कंदमाता
माँ स्कंदमाता शेर पर सवारी करती हैं| इनकी चार भुजाएं हैं| इनकी दाहिने तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कन्द को गोद पकड़े हुए हैं| नीचे की दोनों भुजा में कमल का पुष्प है| और एक हाथ आशीर्वाद देने की मुद्रा में है|
माँ स्कंदमाता की पूजा विधि
माँ स्कंदमाता की पूजा के दौरान सफ़ेद वस्त्र धारण करने चाहिए| नवरात्र के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा विधिवत करनी चाहिए| सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करने के बाद सर्वप्रथम एक लकड़ी की चौकी पर स्वच्छ वस्त्र बिछाकर, स्कंदमाता की प्रतिमा स्थापित करें| फिर गंगा जल छिड़क कर शुद्धिकरण करें| माँ को पीले रंग के पुष्प अर्पित करें| रोली, अक्षत लगाएं और माँ को केले का भोग अति प्रिय है| इन्हें केसर डालकर खीर का प्रसाद भी चढ़ाना चाहिए| इस दिन किसी गरीब को केले का दान करें| तत्पश्चात धूप-दीप जलाकर माँ की विधिवत पूजा करें| स्कन्द माता के लिए मन्त्र का जाप करें (स्कंदमाता मन्त्र):
ॐ देवी स्कंदमातायै नमः ||
इस मन्त्र का जाप कम से कम 108 बार अवश्य करें, फिर अपनी मनोकामना माँ स्कंदमाता से कहें| स्कंदमाता की पूजा से रोगों से निजात मिलता है और परिवार में कलह दूर होती है| स्कंदमाता की कृपा से संतान की इच्छुक दम्पति को संतान सुख की प्राप्ति होती है| अगर बृहस्पति कमजोर हो तो माँ स्कंदमाता की पूजा अराधना करनी चाहिए| माँ अपने भक्तों की सारी मनोकामना पूरी करती हैं|
माँ स्कंदमाता कथा
सती द्वारा स्वयं को यज्ञ में भस्म कर देने के बाद शंकर भगवान सांसारिक मामलों से अलग हो गए, और कठिन तपस्या में लीन हो गए थे| उसी समय देवता तारकासुर के अत्याचारों से कष्ट भोग रहे थे| तारकासुर को वरदान था कि केवल भगवान शिव की संतान ही उनका वध कर सकती है| बिना सती के शिव की संतान नहीं हो सकती, यह सोचकर देवता भगवान विष्णु के पास मदद मांगने के लिए गए| लेकिन भगवान विष्णु ने उन्हें कहा कि यह स्थिति के लिए आप स्वयं ही जिम्मेदार हैं| अगर आप सब दक्ष प्रजापति के यज्ञ में भगवान शिव के बिना उपस्थित नहीं होते तो सती को अपना शरीर नहीं छोड़ना पड़ता| उसके बाद विष्णु भगवान उन्हें पार्वती माता के बारे में बताते हैं, जो आदि शक्ति माता सती की अवतार हैं| उसके बाद देवताओं की ओर से महर्षि नारद, पार्वती के पास जाते हैं और उनसे तपस्या करके भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कहते हैं जो पिछले जन्म में भी उनके पति थे| हज़ारों वर्ष की तपस्या के बाद शिव भगवान पार्वती माता से विवाह करते हैं|
भगवान शिव और माँ पार्वती की ऊर्जा मिलकर एक ज्वलंत बीज को पैदा करती है| जब तक वह बीज शिव भगवान की संतान नहीं बन जाता, तब तक अग्नि को सर्वाना झील में सुरक्षित रूप से ले जाने का काम सौंपा जाता है| बीज से निकलने वाली गर्मी अग्नि के लिए असहनीय हो जाती है और वह बीज को गंगा माँ को सौंप देती है, जो उसे सुरक्षित सर्वाना झील में ले जाती है| देवी पार्वती ने तब जल श्रोत का रूप धारण कर लिया ताकि वह बीज की सुरक्षा कर सके| इस प्रकार छह माता द्वारा देखभाल किये जाने के कारण छह मुखी कार्तिकेय जन्म लेते हैं| वह बड़े होकर सुन्दर, बुद्धिमान और शक्तिशाली कुमार बने|
स्कंदमाता बीज मंत्र
ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नमः
कार्तिकेय जी को ब्रह्मा जी के पास शिक्षा के लिए भेजा गया, लेकिन पहले ही दिन उन्होंने ब्रह्मा जी से ॐ का अर्थ पूछा| ब्रह्मा जी ने उन्हें बारह हज़ार श्लोकों में अर्थ समझाया| लेकिन कार्तिकेय को संतुष्टि नहीं मिली|
उन्होंने शिव भगवान से वही प्रश्न पूछा, फिर शिव भगवान ने बारह लाख श्लोकों में ॐ का अर्थ समझाया| वहां से भी असंतुष्ट होकर उन्होंने स्वयं को बारह करोड़ श्लोकों में ॐ का अर्थ समझाकर संतुष्टि प्राप्त की| शिक्षा प्राप्त करने के बाद देवताओं के सेनापति के रूप में उन्हें सभी देवताओं ने आशीर्वाद दिया और तारकासुर के खिलाफ युद्ध के लिए विशेष हथियार प्रदान किए| कार्तिकेय भगवान ने एक भयंकर युद्ध में तारकासुर को मार डाला| इस प्रकार माँ स्कंदमाता को एक सर्वश्रेष्ठ बच्चे की माँ के रूप में पूजा जाता है| स्कंदमाता की पूजा करने से भगवान कार्तिकेय की पूजा स्वचालित हो जाती है, क्यूंकि वह अपनी माँ की गोद में विराजे हुए हैं| उनकी पूजा से सुख, शांति, समृद्धि और मोक्ष प्राप्त होता है|
माँ स्कंदमाता की प्रार्थना
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्धया |
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ||
माँ स्कंदमाता की स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
माँ स्कंदमाता की आरती
ॐ जय स्कंदमाता
ॐ जय श्यामा गौरी
तुमको निशदिन ध्यावत
हरी ब्रह्मा शिवजी ||
जय तेरी हो स्कंदमाता
पांचवा नाम तुम्हारा आता
सब के मन की जानन हारी
जग जननी सब की महतारी ||
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं
हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं
कई नामों से तुझे पुकारा
मुझे एक है तेरा सहारा ||
कहीं पहाड़ों पर है डेरा
कई शहरों में तेरा बसेरा
हर मंदिर में तेरे नज़ारे
गुण गाये तेरे भगत प्यारे ||
भक्ति अपनी मुझे दिला दो
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो
इन्द्र आदि देवता मिल सारे
करे पुकार तुम्हारे द्धारे ||
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आये
तुम ही खंडा हाथ उठाये
दासो को सदा बचाने आई
भक्त की आस बुझाने आई ||
ॐ जय स्कंदमाता की आरती
जो कई नर गाता
उर आनंद समाता
पाप उतर जाता ||
ॐ जय स्कंदमाता
मैया जय स्कंदमाता
कहत सदानंद स्वामी
रिद्धि सिद्धि पावे ||
0 Comments