हरेली त्यौहार 2024: हरेली मध्य भारतीय राज्य छत्तीसगढ़ का क्षेत्रीय त्यौहार है| जैसा नाम से ही पता चलता है इसका संबंध हरियाली से है| यह प्रकृति के प्रति प्रेम और समर्पण का त्यौहार है, जिसे छत्तीसगढ़ में प्रथम त्यौहार के रूप में सामूहिक ढंग से मनाया जाता है| आइए जानते हैं हरेली त्यौहार 2024 कब है और हरेली तिहार में क्या करते हैं|
हरेली त्यौहार कब है 2024 (Hareli Tihar)
हरेली त्यौहार हिन्दुओं के पवित्र महीने श्रावण मास में पड़ने वाली अमावस्या को मनाया जाता है| इस दिन छत्तीसगढ़ राज्य में क्षेत्रीय सार्वजनिक अवकाश होता है| ग्रेगोरियन कैलेंडर की बात करें तो यह जुलाई या अगस्त महीने में पड़ता है| इस वर्ष 2024 में श्रावण माह की अमावस्या 04 अगस्त को है इसीलिए हरेली त्यौहार 2024 में 04 अगस्त को ही मनाया जाएगा|
हरेली त्यौहार की परम्पराएं (Hareli Festival 2024)
हरेली त्यौहार एक कृषि त्यौहार है को छत्तीसगढ़ राज्य में ग्रामीण किसानों द्वारा बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है| इस लोकप्रिय त्यौहार का नाम हरेली, हिंदी के शब्द "हरियाली" से आया है| श्रावण माह में भारत में मॉनसून आया रहता है जिसके कारण बारिश होने से चारों तरफ हरियाली होती है| इस समय किसान लोग अपनी अच्छी फसल की कामना करते हुए कुल देवता एवं ग्राम देवता की पूजा करते हैं|
इस दौरान छत्तीसगढ़ राज्य के किसान अपने उपकरणों की पूजा करते हैं| हरियाली और प्रकृति से जुड़े इस हरेली त्यौहार के दिन किसान अच्छी और भरपूर फसल की कामना करते हैं| हरेली त्यौहार के दौरान लोग अपने-अपने खेतों में भेलवा के पेड़ की डाली लगाते हैं| इसी के साथ घरों के प्रवेश द्वार पर नीम के पेड़ की शाखाएं भी लगाई जाती हैं| नीम में औषधीय गुण होते हैं जो बीमारियों के साथ-साथ कीड़ों से भी बचाते हैं|
हरेली के दिन बच्चे सुबह से ही गेड़ी की तैयारी में जुट जाते हैं| यह गेड़ी बांस से बनी होती है जिसमें पैर रखने के खांचे होते हैं| इसमें चढ़कर बच्चे खेत के चक्कर लगाते हैं|
हरेली तिहार में विभिन्न रस्में
- इस दिन दइहान में पशुधन को चावल आटे की लोंदी खिलाने की परंपरा है|
- घर में अंगाकर रोटी, बरा-सोहारी एवं गुड़ का चीला बनाने की भी रस्म है|
- इस दिन प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करते हुए और वर्ष में अच्छी फसल की कामना करते हुए किसान अपने कुल देवता एवं ग्राम देवता की पूजा करते हैं|
- हरेली त्यौहार के दिन कृषि उपकरण एवं औजारों की पूजा की जाती है|
- बच्चे इस दिन गेड़ी चढ़कर खेतों के चक्कर लगाते हैं| इसी के साथ खो-खो और नारियल फेंक प्रतियोगिता का आयोजन भी इस दिन किया जाता है|
- लोहार जाति के लोग इस दिन अपने घर को अनिष्ट शक्तियों से बचाने के लिए घर के हर दरवाजे पर पाती ठोंकते हैं| पाती लोहार द्वारा बनाया एक लोहे का नोकीला कील होता है|
- कई लोगों में यह अंधविश्वास है कि श्रावण अमावस्या की रात को घर से नहीं निकलना चाहिए| माना जाता है कि इस दिन अनिष्ट शक्तियां तंत्र-साधना और जादू-टोना सिद्ध करती हैं इसलिए इनसे रक्षा हेतु घर के बाहरी दीवारों पर गोबर से प्रेत बनाया जाता है और घर के दरवाजे पर पाती ठोका जाता है, ताकि यह शक्तियां इसे भेद न सकें|
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