रेलवे बोर्ड ने रेलवे के पैनल में शामिल निजी अस्पतालों (प्राइवेट हॉस्पिटल) में स्वास्थ्य वितरण प्रणाली और आपातकालीन उपचार में सुधार के लिए 28.12.2020 को अपने पत्र के माध्यम से एक निति को मंजूरी दी थी| अब रेलवे बोर्ड ने पिछले निर्देशों को सुपरसीड करते हुए अपने लेटर नंबर 2018/Trans.Cell/Health/CGHS दिनांक 15.06.2021 के द्वारा अलग-अलग मिले सुझावों के तहत निम्नलिखित मंजूरियां दी हैं:
रेलवे चिकित्सा लाभार्थी (सर्विस में या रिटायर्ड) अब आपातकालीन स्थिति में बिना किसी पूर्व रेफर के रेलवे पैनल में शामिल निजी अस्पतालों में दाखिला ले सकता है| ऐसी परिस्थिति में पैनल में शामिल अस्पताल रेलवे हॉस्पिटल से रेफर नहीं मांगेगे या आपातकालीन स्थिति में किसी प्रकार का एडवांस की मांग नहीं रखेंगे और मरीज को कैशलेस चिकित्सा मुहैया कराएंगे|
अपने एरिया में रेलवे पैनल में शामिल अस्पताल का पता करें
CGHS पैनल के अस्पतालों और भारत सरकार के बीच हुए MOU के हिसाब से ही आपातकालीन परिस्थिति को परिभाषित किया गया है, और यही भारतीय रेलवे के केस में भी लागू रहेंगे|
रेलवे कर्मचारियों को इशू हुए उम्मीद कार्ड (UMID Card)/ CSTE Card को रेलवे चिकित्सा लाभार्थी पहचान के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा|
ऐसी स्थिति में जब रेलवे अस्पताल को, पैनल में शामिल निजी अस्पतालों द्वारा प्रस्तुत प्रवेश रिपोर्ट में यह पता चलता है कि रोगी आपात स्थिति से पीड़ित नहीं था, ऐसे मामलों में, यह सुचना सामने आने तक के बिलों का भुगतान रेलवे द्वारा सीधा उस अस्पताल को किया जाएगा| इसके बाद भी रोगी चाहे तो उसी अस्पताल में अपना इलाज करा सकता है, पर उसे आगे के बिलों का भुगतान (CGHS रेट या प्राइवेट हॉस्पिटल के रेट का न्यूनतम) खुद से करना होगा|
आपात स्थिति की प्रकृति और उपयुक्तता सत्यापन के अधीन होती है, इसलिए नामित प्राधिकारी द्वारा अपने हिसाब और विवेक से सत्यापित, निरक्षण या चिकित्सा रूप से ऑडिट किया जा सकता है|
पैनल में शामिल अस्पताल आपात स्थिति में बिना किसी पूर्व अनुमति के, भर्ती हुए सभी मामलों की सुचना रेलवे अधिकारियों को जल्द से जल्द, 24 घंटों के भीतर देगा, जिसे रेलवे उसके अगले 24 घंटों तक रिवर्ट करेगा, नहीं तो इसे अप्रूवल के रूप में मान लिया जाएगा| अपनी दी जाने वाली जानकारी में निजी अस्पतालों को MOU के अनुसार स्पष्ट रूप से आपात स्थिति का उल्लेख और उसे प्रमाणित करना होगा|
रेलवे अस्पताल और पैनल में शामिल निजी अस्पताल दोनों ही अपना कॉन्टैक्ट नंबर और ईमेल एड्रेस, इस उद्देश्य के लिए साझा करेंगे और साथ ही अपनी-अपनी वेबसाइट पर इस जानकारी को डालना सुनिश्चित करेंगे| रोगी का समय और होने वाली परेशानी से बचाने के लिए दस्तावेज और अप्रूवल ईमेल पर साझा किये जाएंगे| निजी अस्पताल किसी भी प्रकार से रोगी से रेलवे हॉस्पिटल से अप्रूवल या एक्सटेंशन लाने की जिद नहीं करेगा| यह सब रेलवे अस्पताल और पैनल के निजी अस्पताल द्वारा कांटेक्ट नंबर और मेल से कोआर्डिनेट और एप्रूव्ड किया जाएगा|
रेलवे अस्पताल मरीजों को पैकेज के अनुसार उचित अवधि के लिए पैनल में शामिल अस्पतालों को रेफर करेगा| अतिरिक्त ठहरने के मामलों में सभी औपचारिकताएं ऊपर बताई गई प्रक्रिया के अनुसार की जायेगी|
रेलवे पैनल में शामिल निजी अस्पताल, रेलवे चिकित्सा लाभार्थियों को नॉन-रेफर और नॉन-इमरजेंसी के केस में OPD में CGHS रेट या प्राइवेट रेट पर (न्यूनतम) आवश्यक इलाज देगी, जिसका भुगतान लाभार्थी करेगा|
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