सभी सरकारी कर्मचारियों को, चाहे वह राज्य सरकार या केंद्र सरकार के अधीन कार्य करते हैं, प्रमोशन या MACP के केस में उन्हें फाइनेंसियल बेनिफिट मिलता है और उनका पे फिक्सेशन अगले लेवल पर किया जाता है| आइये जानते हैं MACP क्या होता है और कैसे MACP मिलने पर पे फिक्सेशन किया जाता है|
MACP क्या होता है?
MACP भारत सरकार की एक स्कीम है जिससे कर्मचारी को हर दस साल की सर्विस के बाद एक इन्क्रीमेंट दिया जाता है और सातवे वेतन आयोग की पे मैट्रिक्स में उसे एक लेवल ऊपर करा जाता है| इसमें कर्मचारी की पोस्ट नहीं बदलती| यदि किसी कर्मचारी का दस साल की सर्विस तक प्रमोशन नहीं होता और वह उसी लेवल पर काम कर रहा होता है, तो 10 साल पूरा होने के बाद उसे एक लेवल ऊपर कर दिया जाता है बाद यदि अगले दस साल की सेवा देने के बाद भी उसका लेवल नहीं बदलता, तो 20 साल की कुल सर्विस के बाद उसका एक लेवल और ऊपर किया जाता है| ऐसा ही 30 साल की सर्विस के बाद भी किया जाता है|
01.10.1999 में ACP मिलने की शुरुआत हुई थी, जिसमें सर्विस के दौरान दो प्रोग्रेस का प्रावधान था| 31.08.2008 को ACP को बंदकर, 01.09.2008 से MACP लागू किया गया था| बाद में सातवे वेतन आयोग की सिफारिश पर भारत सरकार ने इसे जारी रखा| MACP का फायदा लेवल-15 तक के सरकारी कर्मचारियों को दिया जाता है| जिन कर्मचारियों के पास पदोन्निति के चान्सेस कम होते हैं उन्हें 10, 20 या 30 साल की सर्विस के बाद अगले ऊपर लेवल पर डाला जाता है| MACP के समय एक इन्क्रीमेंट देकर अगले लेवल पर उस कर्मचारी का पे फिक्स किया जाता है|
कैज़ुअल एम्प्लाइज जैसे टेम्पररी स्टेटस वाले कर्मचारी या कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को इस MACP स्कीम के बाहर रखा गया है|
क्या होती है MACP मिलने की प्रक्रिया
MACP योजना के तहत वित्तीय उपग्रडेशन प्रदान करने के मामले पर विचार करने के लिए विभाग द्वारा एक स्क्रीनिंग समिति का गठन किया जाता है| इस कमिटी में एक चेयरपर्सन और दो सदस्य होते हैं| यह कमिटी उन सभी कर्मचारियों की जानकारी अप्पोइंटिंग अथॉरिटी को भेज देती है, जिनकी सर्विस बिना लेवल बड़े 10, 20 या 30 साल की हो चुकी है| MACP पर अंतिम निर्णय अप्पोइंटिंग अथॉरिटी ही लेती है|
प्रशासनिक तंत्र पर अनुचित दबाव को रोकने के लिए स्क्रीनिंग कमिटी साल में दो बार बैठक करती है|
Full Form of MACP : Modified Assured Career Progression
2017-2018 से MACP ग्रांट करने के लिए सभी कर्मचारियों का APAR कम से कम "very good" होना चाहिए| यानि अगर कर्मचारी का पिछले वर्षों में प्रदर्शन "very good" या उससे अच्छा नहीं है तो उसे MACP के लिए विचार नहीं किया जाएगा| कर्मचारी के पास पे फिक्सेशन करवाने के दो ऑप्शन मौजूद होते हैं| नीचे बताये गए ऑप्शन MACP के लिए हैं लेकिन यह प्रमोशन के केस में भी उसी तरह लागू होते हैं|
MACP पर जब पे फिक्स कराते हैं तो कर्मचारी के पास FR 22(1)(A)(1) के अंतर्गत दो विकल्प होते हैं:
- Option-1: कर्मचारी के पास पहला ऑप्शन होता है Pay fixation from the date of grant of MACP, जिसका अर्थ है जब से कर्मचारी को MACP मिली है उसी तारीख से उसका पे फिक्सेशन किया जाए|
- Option-2: दूसरा ऑप्शन होता है Pay Fixation from date of Next Increment, यानी कि एम्प्लोयी को MACP मिलने के बाद अगले इन्क्रीमेंट के समय पे फिक्सेशन कराये जाए|
अगर कोई कर्मचारी MACP मिलने के बाद दोनों विकल्पों में से कोई विकल्प नहीं चुनता या ऑप्शन फॉर्म नहीं भरता है तो उसके लिए ऑप्शन 01 अपने आप एप्लीकेबल हो जाएगा, और उसका पे फिक्सेशन MACP ग्रांट होने की तारीख से हो जाएगा| कोई कर्मचारी अगर ऑप्शन 02 को चुनना चाहता है तो उसे लिखित में यह विकल्प देना ही होगा| इस ऑप्शन फॉर्म को भर के देने के बाद HOS से काउंटरसाइन कराना और डायरी रजिस्टर में एंट्री करना जरुरी होता है, और इसे MACP मिलने की तारीख से एक महीने के भीतर जमा करवाना होता है| नहीं तो खुद से MACP पर ऑप्शन 01 लागू हो जाता है|
FR22 के अंतर्गत भरा जाने वाला फॉर्म ऑफ़ ऑप्शन इस प्रकार होता है
उदहारण से समझते हैं कि कैसे MACP द्वारा पे फिक्सेशन किया जाता है:
यदि किसी कर्मचारी को MACP 01 जनवरी को ग्रांट होती है, और वेतन वृद्धि की तारीख 01 जुलाई है, उस केस में कर्मचारी को कोई ऑप्शन फॉर्म भरने के जरुरत नहीं है क्यूंकि इस स्थिति में ऑप्शन-01 ही उपयुक्त होता है| कर्मचारी को 01 जनवरी को सातवे पे मैट्रिक्स के हिसाब से पिछले लेवल के वेतन पर एक इन्क्रीमेंट दिया जाएगा और उसकी बेसिक पे उस इन्क्रीमेंट के बाद आई संख्या या उसके ठीक अगली ऊँची फिगर के बराबर अगले लेवल पर फिक्स कर दी जायेगी| इसके बाद कर्मचारी की अगली वेतन वृद्धि उसी वर्ष 01 जुलाई को होगी और इसके बाद हर साल इन्क्रीमेंट 01 जुलाई को ही लगेगा|
यदि किसी कर्मचारी को MACP 02 जनवरी से 30 जून के बीच ग्रांट होती है, और उसकी वेतन वृद्धि की तारीख 01 जुलाई है, उस केस में कर्मचारी को ऑप्शन 02 फॉर्म भरना लगभग सभी मामलों में ज्यादा फायदेमंद होता है| यदि कर्मचारी कोई फॉर्म नहीं भरता तो स्वतः ऑप्शन 01 लागू हो जाता है या वह ऑप्शन-01 चुनता है तो कर्मचारी को पहले पिछले लेवल पर MACP के रूप में एक नोशन इन्क्रीमेंट प्रदान किया जाता है| उसके बाद उसकी बेसिक-पे को, सातवे पे मैट्रिक्स के हिसाब से अगले लेवल में उसी संख्या पर या उससे ठीक ऊपर वाले वेतन पर फिक्स कर दिया जाता है| इसके बाद कर्मचारी की अगली वेतन वृद्धि अगले वर्ष 01 जनवरी को होगी और इसके बाद हर साल इन्क्रीमेंट 01 जनवरी को ही लगेगा| यदि कर्मचारी खुद से ऑप्शन 02 का विकल्प चुनता है, यानी वह MACP का पे फिक्सेशन अगले वेतन वृद्धि के समय चाहता है, तो उस स्थिति में 01 जुलाई को पहले उसे पिछले लेवल पर एक एनुअल इन्क्रीमेंट दिया जाएगा| उसके बाद उसी तारीख में MACP के कारण उसी लेवल पर एक नोशन इन्क्रीमेंट प्रदान किया जाएगा| अंत में उसकी बेसिक पे उस नोशन इन्क्रीमेंट लगने के बाद आई संख्या या उसके ठीक अगली ऊँची फिगर के बराबर अगले लेवल पर फिक्स कर दी जायेगी| इसके बाद कर्मचारी की अगली वेतन वृद्धि अगले वर्ष 01 जनवरी को होगी और इसके बाद हर साल इन्क्रीमेंट 01 जनवरी को ही लगेगा|
यदि किसी कर्मचारी को MACP 01 जुलाई को ग्रांट होती है, और उसकी वेतन वृद्धि की तारीख भी 01 जुलाई है, उस केस में कर्मचारी को कोई ऑप्शन फॉर्म भरने के जरुरत नहीं है| कर्मचारी को पहले 01 जुलाई को सातवे पे मैट्रिक्स के हिसाब से पिछले लेवल के वेतन पर एक इन्क्रीमेंट दिया जाएगा| उसके बाद उसे MACP के कारण एक नोशन इन्क्रीमेंट प्रदान किया जाएगा| अंत में उसकी बेसिक पे उस नोशन इन्क्रीमेंट लगने के बाद आई संख्या या उसके ठीक अगली ऊँची फिगर के बराबर अगले लेवल पर फिक्स कर दी जायेगी| इसके बाद कर्मचारी की अगली वेतन वृद्धि अगले वर्ष 01 जनवरी को होगी और इसके बाद हर साल इन्क्रीमेंट 01 जनवरी को ही लगेगा|
यदि किसी कर्मचारी को MACP 02 जुलाई से 31 दिसंबर के बीच ग्रांट होती है, और उसकी वेतन वृद्धि की तारीख 01 जुलाई है, उस केस में कर्मचारी को भी ऑप्शन 02 फॉर्म भरना लगभग सभी मामलों में ज्यादा फायदेमंद होता है| यदि कर्मचारी कोई फॉर्म नहीं भरता तो स्वतः ऑप्शन 01 लागू हो जाता है या वह ऑप्शन-01 चुनता है तो कर्मचारी को पहले पिछले लेवल पर MACP के रूप में एक नोशन इन्क्रीमेंट प्रदान किया जाता है| उसके बाद उसकी बेसिक-पे को, सातवे पे मैट्रिक्स के हिसाब से अगले लेवल में उसी संख्या पर या उससे ठीक ऊपर वाले वेतन पर फिक्स कर दिया जाता है| इसके बाद कर्मचारी की अगली वेतन वृद्धि अगले वर्ष 01 जुलाई को होती है और इसके बाद हर साल इन्क्रीमेंट 01 जुलाई को ही लगता है| यदि कर्मचारी खुद से ऑप्शन 02 का विकल्प चुनता है, यानी वह MACP का पे फिक्सेशन अगले वेतन वृद्धि के समय चाहता है, तो उस स्थिति में 01 जुलाई को पहले उसे पिछले लेवल पर एक एनुअल इन्क्रीमेंट दिया जाएगा| उसके बाद उसी तारीख में MACP के कारण उसी लेवल पर एक नोशन इन्क्रीमेंट प्रदान किया जाएगा| अंत में उसकी बेसिक पे उस नोशन इन्क्रीमेंट लगने के बाद आई संख्या या उसके ठीक अगली ऊँची फिगर के बराबर अगले लेवल पर फिक्स कर दी जायेगी| इसके बाद कर्मचारी की अगली वेतन वृद्धि अगले वर्ष 01 जुलाई को होगी और इसके बाद हर साल इन्क्रीमेंट 01 जुलाई को ही लगेगा|
यदि MACP मिलने पर लेवल बदलने से टी.ए के रेट में कोई बदलाव आ रहा होता है, तो यह MACP ग्रांट होने की तारीख से ही लागू हो जाता है|
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