Types of gauges in Indian Railway: भारतीय रेलवे द्वारा रेल संचालन के लिए रेलवे ट्रैक के अलग-अलग गेज का इस्तेमाल किया जाता रहा है| लेकिन वर्तमान में सभी भारतीय रेलवे ट्रैक को एक गेज में बदला जा रहा है| आइये जानते हैं ऐसा करने की क्या जरुरत पड़ी और क्या हैं Types of gauges in Indian Railway|
रेलवे में गेज क्या होता है (What is gauge in railway?)
रेलवे ट्रैक पर दोनों तरफ की रेल के बीच की न्यूनतम दुरी को गेज कहा जाता है| भारत में यह दुरी (clear distance) रेल के भीतरी फेस से मापी जाती है| जैसे यदि यह दुरी 01 मीटर है तो हम कह सकते हैं कि रेलवे ट्रैक की गेज दुरी (Gauge Distance) 01 मीटर है यानि यह मीटर गेज है|
विश्व में रेलवे गेज Gauges on World Railway
विश्व भर में ऐतिहासिक और विभिन्न कारणों से अलग-अलग गेज का प्रयोग किया जाता है| ब्रिटिश रेलवे ने पहले 1525 मिलीमीटर का गेज अपनाया था| उस समय रेलगाड़ी के चक्के के फ्लैंज (व्हील फ्लैंज) रेलवे ट्रैक की रेल के बाहरी तरफ होते थे| बाद में रेलगाड़ी के पहिये के बेहतर मार्गदर्शन के लिए व्हील फ्लैंज को रेल के अंदर की तरफ कर दिया गया| उस समय रेल की ऊपरी चौड़ाई 45 मिलीमीटर की होने के कारण गेज दुरी 1435 मिलीमीटर रह गई| इसे विश्व रेलवे में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है और यह दुरी आज भी ज्यादातर देशों में स्टैण्डर्ड गेज से जानी जाती है|
भारतीय रेलवे में गेज के प्रकार (Types of Gauges in Indian Railways)
शुरुआत में ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में रेल के लिए स्टैण्डर्ड गेज को ही अपनाना चाह रही थी लेकिन भारत सरकार के कंसल्टिंग इंजीनियर W.Simms ने 1676 मिलीमीटर के ज्यादा चौड़े गेज के लिए अपनी राय प्रकट करी, जिसे मान लिया गया और 05 फ़ीट 06 इंच की यह दुरी भारतीय ब्रॉड गेज बन गयी|
First Broad Gauge Train in India: 16 अप्रैल 1853 में बॉम्बे से ठाणे के लिए चली पहली रेलगाड़ी ब्रॉड गेज रेलवे ट्रैक पर ही चली थी| 1871 में कम लागत के साथ भारत के हर छोर में पहुँचने और विकास करने के उद्देश्य से, यहाँ की सरकार ने रेलवे ट्रैक के लिए 1000 मिलीमीटर के गेज को पेश किया|
First Meter Gauge Train in India: भारत की पहली मीटर गेज लाइन दिल्ली से फरुखनगर के बीच 1873 में शुरू हुई| बाद में समय के साथ दूर-दराज के पहाड़ी क्षेत्र में पहुँचने के लिए 762 मिलीमीटर और 610 मिलीमीटर के दो और नए गेज पेश किये गए| 1881 में भारत की पहली पहाड़ी रेलवे, दार्जीलिंग हिमालयन रेलवे का नैरो गेज ट्रैक पर उद्घाटन किया गया| इस प्रकार भारत में तीन गेज का इस्तेमाल किया जाता है, ब्रॉड गेज (5'6"- 1.676 मीटर), मीटर गेज (1 मीटर), नैरो गेज (2'6"-762 मिलीमीटर और 2' - 610 मिलीमीटर)|
वर्तमान में चल रहे भारत के बुलेट ट्रेन मेगा-प्रोजेक्ट या हाई स्पीड रेल लाइन कॉरिडोर में स्टैण्डर्ड गेज के रेलवे ट्रैक का निर्माण किया जा रहा है|
Type of Gauge (गेज का प्रकार) | गेज दुरी (मिलीमीटर) |
ब्रॉड गेज | 1676 |
मीटर गेज | 1000 |
नैरो गेज - I | 762 |
नैरो गेज - II | 610 |
स्टैण्डर्ड गेज | 1435 |
भारत में Multi-Gauge System से हो रही प्रॉब्लम
भारत में तीन गेज के इस्तेमाल के कारण कई दिक्कतें आ रही थी जिसकी वजह से भारत सरकार ने 1992 में एक साहसिक निर्णय लेते हुए Multi-Gauge System के बदले 1676 मिलीमीटर के ब्रॉड गेज के साथ Uni-gauge पॉलीसी अपनाने का फैसला किया| Multi-Gauge System के कारण निम्नलिखित प्रॉब्लम का सामना करना पड़ता है:
- गेज के बदलने पर यात्रियों को बीच में ट्रेन बदलनी पड़ती है, जिससे उन्हें असुविधा होती है|
- मालगाड़ी से जाने वाले सामान को गेज चेंज होने पर दूसरी ट्रेन में लोड करना पड़ता है जिससे अधिक समय, लागत के साथ सामान के टूटने की गुंजाईश बनी रहती है|
- Multi-Gauge System होने से भविष्य में गेज परिवर्तन के लिए बड़ी कठिनाइयों का सामना करना होता है, क्यूंकि मौजूदा ट्रैक को चौड़ा करने में भारी प्रयास की आवश्यकता होती है|
- Multi-Gauge System होने के कारण यातायात की गति धीमी रहती है जिससे युद्ध, बाढ़ और दुर्घटना जैसी आपातकालीन स्थिति में मुश्किल होती है|
भारतीय रेलवे क्यों अपना रही है Uni-gauge Policy
1992 से भारत में गेज परिवर्तन के कार्य में तेजी आई है| मार्च 2021 तक भारत में लगभग 95 प्रतिशत रेलवे ट्रैक ब्रॉड गेज से संचालित हो रहा है| ब्रॉड गेज को अपनाने से भारतीय रेलवे और उसके यात्रियों को कई फायदे होंगे|
ब्रॉड गेज के रूप में Uni-gauge Policy को अपनाने से यात्रा के दौरान गेज बदलने के वजह से होने वाली असुविधा नहीं होगी| साथ ही निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा कि उनका सामान भारत के किसी भी छोर पर सही समय में बिना किसी रुकावट के पहुँच सकेगा| इस प्रकार देश में एक समान गेज ट्रैक होने से ट्रेन का सुचारु, तेज और कुशल संचालन होता है| इसलिय ब्रॉड गेज जैसे बड़ी दुरी वाली ट्रैक की अधिक लागत के बावजूद भारत में सिंगल गेज सिस्टम के लिए ब्रॉड गेज को चुना गया|
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