नए मराठवाड़ा रेलवे कोच फैक्ट्री लातूर की 7 अहम् बातें

marathwada rail coach factory latur

भारत में ICF कोच को LHB में बदलने का कार्य तेजी से चल रहा है| वर्तमान में सभी रेल कोच फैक्ट्री में LHB कोच का निर्माण किया जा रहा है| इस कार्य को और गति देने के लिए रेल विकास निगम लिमिटेड द्वारा एक नई रेल कोच फैक्ट्री का निर्माण किया गया, जिसका नाम रखा गया "मराठवाडा रेल कोच कारखाना", लातूर| आइए जानते हैं इस नई रेल कोच फैक्ट्री की 7 अहम् बातें| 


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  • मराठवाड़ा रेल कोच फैक्ट्री,लातूर भारत की चौथी रेल कोच निर्माता* फैक्ट्री है| यह महाराष्ट्र के लातूर में स्थित है| इस कोच फैक्ट्री में सुशासन दिवस के दिन यानी 25 दिसंबर 2020 को पहले कोच शेल के निर्माण के साथ उत्पादन शुरू किया गया|  

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  • RVNL द्वारा बनाई गयी इस रेल कोच फैक्ट्री को 28 अगस्त 2018 में स्वीकृति मिली| 30 अगस्त 2018 को यह प्रोजेक्ट रेल विकास निगम लिमिटेड को मिलने के बाद, 12 अक्टूबर 2018 से यहाँ निर्माण कार्य की शुरुआत हुई| लगभग दो वर्ष बाद 25 अगस्त 2020 को, कोरोना काल के बावजूद, इस फैक्ट्री ने अपना उत्पादन शुरू कर दिया|
  • यह फैक्ट्री इंडियन रेलवे के ग्रीन एनर्जी की पहल के तहत बनी है| इसकी छत पर 800 किलो वाट के सोलर पैनल लगे हुए हैं जिससे कि ऊर्जा खपत में बहुत बचत होगी| इसके अंदर सीवेज वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट और री-साइक्लिंग प्लांट यानी जल उपचार के लिए प्लांट भी लगाया गया है| साथ ही इधर जल संचयन (वाटर हार्वेस्टिंग) की भी व्यवस्था की गई है| इस क्षेत्र में दस हज़ार पेड़ लगाने की योजना तैयार की गई है| इस वर्कशॉप में LED लाइट लगाई गई हैं और साथ ही प्राकृतिक दिन की रौशनी के लिए भी छत पर ट्रांसलूसेंट तकनीक का इस्तेमाल किया गया है|
  • इस कारखाने का निर्माण 350 एकड़ जमीन पर किया गया है, जिसमें 24 एकड़ में आवासीय कॉलोनी, 52000 वर्ग मीटर में इंजीनियर्ड बिल्डिंग शेड, 33 किलोवाल्ट का इलेक्ट्रिक सब-स्टेशन, तीन लाइन का यार्ड,कैंटीन आदि बनाई गई हैं|   
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  • इस फैक्ट्री को 5 किलोमीटर लम्बी रेल लाइन द्वारा नए इलेक्ट्रानिक रूप से इंटर-लॉक्ड हरुंगुल रेलवे स्टेशन से जोड़ा गया है| इससे पहले यह स्टेशन केवल एक हाल्ट स्टेशन हुआ करता था|
  • इस रेल कोच वर्कशॉप को प्रति वर्ष 250 MEMU/EMU/LHB/ ट्रेन सेट प्रकार के उन्नत कोच बनाने की प्रारंभिक क्षमता के लिए तैयार किया गया है, जो भविष्य में जरुरत अनुसार बढ़ाई जायेगी| यह फैक्ट्री पूरी तरह से आधुनिक मशीनरी से लैस है| 
  • इस परियोजना की लागत 500 करोड़ से अधिक हुई है| साथ ही भूमि अधिग्रहण में 120 करोड़ खर्च हुए हैं|      

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