DFC Corridor यानि डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (Dedicated Freight Corridor) भारतीय रेलवे द्वारा हाई स्पीड और अधिक एक्सल लोड पर रेल से माल ढुलाई के लिए बनाया जा रहा एक नया रेलवे कॉरिडोर है| आइये जानते हैं DFC से जुडी कुछ अहम् जानकारियाँ|
- What is Dedicated Freight Corridor (DFC)? DFC कॉरिडोर क्या है?
- Details of DFC Corridor (DFC कॉरिडोर की जानकारी)
- वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर
- WDFC रूट और WDFC मैप
- ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर
- EDFC रूट और EDFC मैप
- डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC corridor) के होने के फायदे
- DFC Corridor के Salient फीचर्स
What is Dedicated Freight Corridor (DFC)? DFC कॉरिडोर क्या है?
भारतीय रेलवे यात्रियों को उनके गंतव्य स्टेशन पर छोड़ने के साथ माल ढुलाई का महत्वपूर्ण कार्य करती है| माल ढुलाई से ही भारतीय रेलवे के राजस्व में एक बड़ा हिस्सा (लगभग 64 प्रतिशत) आता है| इसके बावजूद रेल माल गाड़ियां को यात्री रेलगाड़ियों को रास्ता देने के लिए कई दिनों तक अपना सफर लम्बा करना पड़ता है| इस परेशानी को दूर करने के साथ माल ढुलाई की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, भारतीय रेलवे उच्च एक्सल भार के साथ बड़े हुए यातायात को ले जाने के लिए विशेष रूप से डबल लाइन रेलवे डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC Corridor) बना रही है| फ्रेट कॉरिडोर माल गाड़ियों के रास्ते को कहा जाता है| यह Dedicated Freight Corridor रेलवे माल गाड़ियों के लिए समर्पित रहेगा|
विशेष रूप से माल ढुलाई के लिए बन रहे इस कॉरिडोर पर पुरे स्वर्ण चतुर्भुज और उसके दोनों डायगोनल पर डबल समान्तर लाइन बिछाई जाने की योजना बनाई गई है| इससे माजूदा प्रणाली एक यात्री कॉरिडोर बन जायेगी| Golden Quadrilateral और उसके दोनों diagonals को मिलाकर इस डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर की कुल लम्बाई लगभग 8325 किलोमीटर रहेगी, यानी 16650 किलोमीटर का रेलवे रैक|
Details of DFC Corridor (DFC कॉरिडोर की जानकारी)
DFC Corridor को छह भाग में बांटा गया है जिमसें से वर्तमान में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के पहले चरण की दो परियोजनाएँ चल रही हैं| इनमें 1506 किलोमीटर का, उत्तर प्रदेश के दादरी से मुंबई, महाराष्ट्र में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट (JNPT) तक पश्चिमी कॉरिडोर बनाया जा रहा है और 1805 किलोमीटर का, पंजाब के लुधियाना से दनकुनि, पश्चिम बंगाल तक पूर्वी कॉरिडोर का निर्माण कार्य (सोननगर से दनकुनि को छोड़कर) चल रहा है| वेस्टर्न DFC और ईस्टर्न DFC को बनाने के लिए स्वीकृति 2006 में मिल गयी थी और वर्तमान में इन कॉरिडोर का कुछ भाग बनकर तैयार भी हो गया है| बजट 2021-2022 में तीन और कॉरिडोर (पूर्व-पश्चिम DFC, उत्तर-दक्षिण DFC, ईस्ट-कोस्ट DFC) बनाने की घोषणा करी गई है, जबकि एक दक्षिणी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर भी प्रस्तावित है|
DFC (Dedicated Freight Corridor) | लम्बाई (KM) | स्टेटस |
WDFC (वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर) | 1504 | आंशिक रूप से संचालित |
EDFC (ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर) | 1839 | आंशिक रूप से संचालित |
EWDFC (ईस्ट-वेस्ट डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर) | 2000 | बजट 2021-22 में घोषित |
NSDFC (नार्थ-साउथ डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर) | 975 | बजट 2021-22 में घोषित |
ECDFC (ईस्ट कोस्ट डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर) | 1115 | बजट 2021-22 में घोषित |
SDFC (साउथर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर) | 892 | प्रस्तावित |
वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (WDFC)
WDFC (वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर) ग्रेटर नोयडा, उत्तर प्रदेश के दादरी से मुंबई, महाराष्ट्र में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट तक बनाया जा रहा है| 1504 किलोमीटर का यह कॉरिडोर, भारत के पांच राज्यों से होकर गुजरता है| जिसमें हरयाणा(177 किलोमीटर), राजस्थान(567 किलोमीटर), गुजरात(565 किलोमीटर), महराष्ट्र(177 किलोमीटर) और उत्तर प्रदेश (18 किलोमीटर) आते हैं| यह कॉरिडोर गुजरात के पीपावाव, कार्ला, मुंद्रा पोर्ट से जुड़ा हुआ है| इस कॉरिडोर की मदद से कोई सामान राजधानी दिल्ली से पश्चिमी तटीय क्षेत्र में 24 घंटे के अंदर पहुँचाया जा सकेगा| वर्तमान में रेवाड़ी से गुजरात के पालनपुर और आगे सानंद तक के 938 किलोमीटर का कार्य पूरा हो चूका है| पिछले साल 2022 में पालनपुर से न्यू मेहसाणा और सानंद सेक्शन को जोड़ लिया गया| इससे नई दिल्ली से पिपावा पोर्ट, मुद्रा पोर्ट और कांडला पोर्ट की कनेक्टिविटी संभव हो पाई है|
WDFC (Western Dedicated Freight Corridor) | लम्बाई (KM) | स्टेटस |
दादरी से रेवाड़ी | 127 | कमीशंड |
रेवाड़ी से मादर | 306 | कमीशंड |
मादर से पालनपुर | 353 | कमीशंड |
पालनपुर से मकरपुरा | 290 | दिसंबर 2023 का लक्ष्य |
मकरपुरा से सचिन | 135 | जून 2023 का लक्ष्य |
सचिन से वैतरणा | 186 | जून 2023 का लक्ष्य |
वैतरणा से जवाहरलाल नेहरू पोर्ट | 101 | मार्च 2024 का लक्ष्य |
WDFC Route (वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर रूट मैप)
वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का रूट (WDFC Route) उत्तरप्रदेश के खुर्जा से दादरी होते हुए हरयाणा में प्रवेश करेगा| हरयाणा में यह कॉरिडोर पृथला, रेवाड़ी, नरनौल होते हुए राजस्थान के फुलेरा, अजमेर से होकर गुजरेगा| गुजरात में WDFC रूट इक़बालगढ़, पालनपुर, महेसाणा, अहमदाबाद के आमली रोड, वड़ोदरा के मकरपुरा और सचिन(सूरत) से जा होकर जा रहा है| अंत में यह महाराष्ट्र राज्य में वसई रोड स्टेशन से होते हुए जवाहरलाल नेहरू पोर्ट, मुंबई तक जाएगा|
ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर
EDFC कॉरिडोर लम्बाई में WDFC कॉरिडोर से थोड़ा बड़ा है| इसकी कुल लम्बाई पंजाब के लुधियाना से पश्चिमी बंगाल के दनकुनि तक 1805 किलोमीटर है| यह कॉरिडोर भारत के छह राज्यों पंजाब(88 किलोमीटर), हरयाणा(72 किलोमीटर), उत्तरप्रदेश(1076 किलोमीटर), बिहार(236 किलोमीटर), झारखण्ड(199 किलोमीटर) और पश्चिम बंगाल(202 किलोमीटर) से होकर गुजरेगा| इस कॉरिडोर के 538 किलोमीटर के एक हिस्से को (सोननगर से दनकुनि) PPP यानि पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप मॉडल से बनाया जाएगा|
EDFC (Eastern Dedicated Freight Corridor) | लम्बाई (KM) | स्टेटस |
लुधियाना से खुर्जा | 401 | अगस्त 2023 का लक्ष्य |
खुर्जा से भावपुर | 351 | कमीशंड |
भावपुर से डी.डी.यु | 402 | कमीशंड |
डी.डी.यु से गंजख्वाजा | 37 | कमीशंड |
गंजख्वाजा से चिरैलपथु (सोननगर) | 100 | कमीशंड |
खुर्जा से दादरी (ब्रांच लाइन) | 46 | कमीशंड |
EDFC Route (ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर रूट मैप)
ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का रूट (EDFC Route) पंजाब के लुधियाना से सिरहिंद, राजपुरा होते हुए हरयाणा में प्रवेश करेगा, जहाँ यह अम्बाला, यमुनानगर से होकर गुजरेगा| उत्तरप्रदेश में प्रवेश करने के बाद EDFC रूट सहारनपुर, मुज़फ्फरनगर, मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर से होते हुए खुर्जा तक जाएगा| खुर्जा स्टेशन के बाद दादरी स्टेशन से ही EDFC रूट को WDFC रूट से जोड़ा गया है| यह रूट उत्तरप्रदेश के राज्य में फिर अलीगढ, हाथरस, टूंडला, इटावा, कानपूर के भावपुर, प्रेमपुर, मनौरी (प्रयागराज) से होते हुए पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर से होकर गुजरेगा| गंजख्वाजा के बाद ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बिहार के सोननगर, झारखंड के गोमोह से होते हुए पश्चिम बंगाल के अण्डाल ज. से अंत में दनकुनि तक जाएगा| वर्तमान में खतौली से खुर्जा होते हुए सोन नगर तक के ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का कार्य पूरा करके कमीशंड किया जा चूका है|
भारत सरकार ने DFC के अंतर्गत तीन और परियोजनाओं को 2021 के बजट में अनाउंस किया, पूर्व-पश्चिम DFC, उत्तर-दक्षिण DFC, ईस्ट-कोस्ट DFC जिससे भारत की चारों मेट्रो शहरों को एक दूसरे के साथ जोड़ा जा सके| इनके साथ भारत सरकार दक्षिणी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बनाने की योजना बना रही है| इन सबके बन जाने पर इसे Golden Quadrilateral Freight Corridor कहा जाएगा|
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC corridor) के होने के फायदे
DFC के निर्माण से निम्नलिखित कारणों से मुख्य रूप से क्षमता और गतिशीलता में काफी वृद्धि होगी:
- इससे धीरे चलने वाली माल गाड़ियों (75-100KMPH) के कारण तीव्र गति से चलने वाली यात्री गाड़ियों को रुकावट नहीं आएगी और साथ ही धीरे चलने वाली माल गाड़ियों को यात्री गाड़ियों को तवज्जो देते हुए इन्तजार नहीं करना पड़ेगा| इसके कारण माल गाड़ियों और यात्री गाड़ियों दोनों की ही औसतन गति में इजाफा होगा|
- DFCs पर चलने वाले उच्च एक्सल लोड वाले वैगन प्रति ट्रेन ज्यादा सामान ढो सकेंगे|
- पहले के कॉरिडोर (यात्री कॉरिडोर) को माल गाड़ियों के DFC में शिफ्ट होने से ज्यादा भारीभरकम फ्रेट ट्रेनों को नहीं सहना होगा जिससे उनके रखरखाव में काफी राहत मिलेगी|
- माल गाड़ियों के DFCs पर जाने से यात्री गाड़ियों की गति में इजाफा होगा और साथ ही अधिक यात्री गाड़ियां ट्रैक पर दौड़ सकेंगी|
- DFC बन जाने पर भारत में लॉजिस्टिक कॉस्ट में कमी आएगी|
DFC Corridor के Salient फीचर्स
- DFC कॉरिडोर में डबल स्टैक कंटेनर वाली ट्रेन दौड़ती हैं| वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर 7.10 मीटर हाइट क्लीयरेंस और 3.66 मीटर चौड़े वैगन के साथ 1.5 किलोमीटर लम्बी रेलगाड़ी चल रही है, जो अपने आप में विश्व में अपनी तरह की पहली है| इससे पहले भारतीय रेल में वैगन की कुल हाइट रेल लेवल से 4.265 मीटर और चौड़ाई 3.2 मीटर होती थी| EDFC कॉरिडोर पर 3.66 मीटर चौड़े और 5.1 मीटर ऊँचे वैगन दौड़ सकते हैं|
- इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव दौड़ाने के लिए नई पीढ़ी के 7.5 मीटर के विश्व रिकॉर्ड धारक ऊँचे पैंटोग्राफ के होने से इन ट्रैकों पर डबल स्टैक कंटेनर ले जा रहे हैं|
- DFC कॉरिडोर में चलने वाली रेलगाड़ियों की कुल लम्बाई 1500 मीटर तक है|
- DFC की सभी परियोजनाओं में ट्रैक ब्रॉड गेज होगा और साथ ही ट्रेन की अधिकतम गति 100 किलोमीटर प्रति घंटा होगी|
- डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर इलेक्ट्रिक इंजन से मालगाड़ी 400 क्षमता के साथ डबल स्टैक कंटेनर के सहारे कुल 13000 टन का लोड ले जा सकेगी, जो दुनिया में अपनी तरह का पहला है| इससे पहले यह क्षमता मात्र 5000 टन की थी|
- डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर कोई लेवल क्रासिंग नहीं है, जिससे ट्रेन के संचालन और गति में कोई रुकावट नहीं आएगी|
- वेस्टर्न रोलऑन/रोलऑफ रोलऑन/रोलऑफ यानि पहिये वाली गाड़ियां जैसे कार, बस, ट्रक, ट्रेलर ले जा सकेगा| EDFC की कुल क्लीयरेंस हाइट 5.10 मीटर की है और इस कॉरिडोर पर रोलऑन/रोलऑफ की सुविधा नहीं होगी|
- DFC कॉरिडोर में ट्रैक भार क्षमता 12 टन/मीटर डिज़ाइन है|
- DFC कॉरिडोर में 12000 हॉर्स पावर (WAG12) के 800 लोकोमोटिव को तैनात किया जाएगा|
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