CLW चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स कहाँ है, कब बना और यहाँ बनने वाले इंजन

clw chittaranjan locomotive works
चि.रे.का वर्षों में सबसे कुशल, आशाजनक और विश्वसनीय लोकोमोटिव निर्माताओं में से एक साबित हुआ है| इसने खुद को स्टीम लोकोमोटिव के निर्माता से डीजल लोकोमोटिव और अंततः आधुनिक उच्च शक्ति, इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव निर्माता के रूप में बदला है| आइये जानते हैं चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स की कुछ अहम् जानकारियां| 
  

CLW Full Form in Railway: Chittaranjan Locomotive Works 
चित्तरंजन रेल कारखाना को "चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स", "CLW", "चि.रे.का", "चित्तरंजन लोकोमोटिव फैक्ट्री", "चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्कशॉप"  नाम से पुकारा जाता है| 

चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स कहाँ पर स्थित है? 

"चित्तरंजन रेल कारखाना" भारत का एक इलेक्ट्रिक रेल इंजन बनाने वाला कारखाना है| यह पश्चिम बंगाल के आसनसोल सदर सब-डिवीज़न में चित्तरंजन में स्थित है| यह आसनसोल से 32 किलोमीटर और कोलकाता से 237 किलोमीटर दूर है| इसकी एक सहायक इकाई दनकुनि में भी है| चि.रे.का दुनिया की सबसे बड़ी लोकोमोटिव निर्माता इकाई है| वर्ष 2019-2020 में यहाँ पर रिकॉर्ड 431 लोकोमोटिव का निर्माण हुआ|    

चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स कब बना और इसका नाम कैसे पड़ा?       

चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स का नाम महान स्वतंत्रता सेनानी, नेता और राजनेता देशबंधु चित्तरंजन दास के नाम पर रखा गया है| 1948 में चीफ इंजीनियर श्री एम.गणपति के नेतृत्व में "लोको बिल्डिंग फैक्ट्री" के नाम से स्थापित इस फैक्ट्री की आधारशिला रखी गयी थी| 

chittaranjan locomotive works starts on

26 जनवरी 1950 को जब राष्ट्र ने अपने सविंधान की स्थापना करते हुए गणराज्य की स्थापना की थी, ठीक उसी समय बंगाल के एक छोटे से गाँव में देशबंधु चितरंजन दास की पत्नी श्रीमती बसंती देवी द्वारा इस लोकोमोटिव बिल्डिंग फैक्ट्री का प्रथम उत्पादन कार्य का शुभारम्भ किया गया| प्रथम दिन से ही राष्ट्र निर्माण के लिए उत्साहित एवं समर्पित इस संस्थान द्वारा शुरुआत के 280 दिनों में 1 नवंबर 1950 को "देशबंधु" नाम के पहले स्टीम इंजन का अनावरण किया गया| इस स्टीम रेल इंजन को भारत के राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रसाद द्वारा राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित किया गया था और उसी दिन इस फैक्ट्री का नाम बदलकर प्रसिद्ध देशभक्त और समाजसेवी श्री देशबंधु चित्तरंजन दास के नाम पर "चित्तरंजन रेल इंजन कारखाना" या "चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स" रखा गया| 

चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (CLW) में बने रेल इंजन 

CLW एक ऐसा कारखाना है जो समय के साथ-साथ भारत के गणराज्य की तरह मजबूत और प्रगतिशील संस्थान बनकर उभरा है| 26 जनवरी 1950 से आरम्भ, चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स का शुरूआती उत्पादन स्टीम लोकोमोटिव था| 1950 से 1972 के बीच चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स ने 2351 स्टीम लोकोमोटिव की कुल संख्या निकाली| 1972 में निर्मित अंतिम स्टीम इंजन को चिन्हित करने के लिए यहीं पर बने देशबंधु लोको पार्क में "अंतिम सितारा" नाम के इस अंतिम स्टीम इंजन को गर्व से सरंक्षित किया गया है|

WAG 1 rail engine

चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्कशॉप में 1968 से 1993 तक CLW ने 842 डीजल इंजिनों का उत्पादन किया और 1961 से मार्च 2020 तक कुल 7212 विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रिकल इंजिनों का उत्पादन किया है| स्टीम इंजन से डीजल इंजन और फिर समय की जरुरत और मांग के अनुसार इलेक्ट्रिक इंजिनों तक पहुंचे इस कारखाने में 14 अक्टूबर 1961 को पहले WCM 5 DC इलेक्ट्रिक लोको "लोकमान्य", इसके बाद 16 नवंबर 1963 को पहला WAG 1 AC इलेक्ट्रिक लोको, "विधान" का निर्माण किया गया| आगे चलकर 06 जनवरी 1968 में पहला DG हाइड्रोलिक शंटर, "इंद्रप्रस्थ" का निर्माण किया गया था|  

WCM 5 rail engine

CLW में विद्युत् रेल इंजिनों का निर्माण 

विद्युत् रेल इंजन के निर्माण में चि.रे.का ने समय अनुसार वृद्धि की है| सर्व प्रथम 1961 में विदेश की इंग्लिश इलेक्ट्रिक से तकनिकी करार के अंतर्गत 3000 हॉर्स पावर के विद्युत् रेल इंजन का निर्माण शुरू किया गया था, जो कि 1970 में बढ़ाकर 4000 HP का किया गया| चिरेका ने 1997 तक स्वदेशी तकनीक से निर्मित 5000 HP का WAP 4 रेल इंजन बनाया| 

1998 से यहाँ पर विश्व में उपलब्ध उन्नत GTO तकनीक को अपनाकर, मेस्सेर्स ABB के संग समझौता कर तीन फेज की तकनीक पर आधारित 6000 HP के WAG 9 विद्युत् इंजन "नवयुग" का निर्माण किया गया| यह GTO तकनीक रि-जनरेटेड पावर का इस्तेमाल कर विद्युत् ऊर्जा की खपत को कम करता है| 6000 हॉर्स पावर मालवाही रेल इंजन WAG 9 में तकनिकी सुधार कर बाद में इसे सवारी गाड़ियों के संचालन हेतु प्रशस्त किया गया, जो कि आज WAP 7 रेल इंजन के नाम से जाना जाता है| 10 मई 2000 को इस प्रथम रेल इंजन का निर्माण किया गया था और इस रेल इंजन की गुणवत्ता और विश्वसनीयता बरकरार रही है| बाद में चिरेका ने विद्युत् रेल इंजन निर्माण के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान रचा, जिसमें WAP 7 HS रेल इंजन जिसका ट्रायल रन सफलता पूर्वक 160 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार पर पूरा हुआ है| यह WAP 7 विशेष रूप से काफी शक्तिशाली रेल इंजन है जो उच्च गति वाली रेलगाड़ियों के 24 कोच तक को खींचने की क्षमता रखता है| 

WAG 9 HC rail engine

नई तकनीक से युक्त एवं ऊर्जा बचत के क्षेत्र में कामयाब विद्युत् रेल इंजन WAP 7, हेड ऑन जनरेशन HOG से युक्त है| इसके संचालन से ध्वनि प्रदुषण में कमी आती है तथा यह इंजन ग्रीन एनर्जी से युक्त होता है| HOG श्रेणी का विद्युत् रेल इंजन राजधानी, शताब्दी तथा दुरोंतो जैसी हाई स्पीड यात्री गाड़ियों में सफलता पूर्वक कार्य कर रहा है| 

चित्तरंजन से aerodynamic डिज़ाइन युक्त दो-सौ किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार से चलने वाला WAP-5P रेल इंजन का भी निर्माण किया गया| यहाँ पर तकनीक को और अधिक उन्नत कर 6000 HP के रेल इंजन को 9000 HP तक बनाया गया, WAG-9 HH रेल इंजन, जिससे लम्बी माल गाड़ियों की औसतन गति बढ़ाने में सहायक हुई| इस इंजन का ट्रायल रन 100 किलोमीटर प्रति घंटा पर सफलता पूर्वक किया गया है|   

लम्बी माल गाड़ियों में DPWCS (Dual Power Wireless Control System) तकनीक की मदद से संचालन हेतु दो या दो से अधिक रेल इंजिनों को परस्पर सयोंजित कर वायरलेस टेक्नोलॉजी के माध्यम से सामान गति पर संचालन करने की विधि पर भी कार्य किया गया है| इस इंजन (WAG 9 H) में एक विशेष प्रकार की ऑडियो, वीडियो रिकॉर्डिंग व्यवस्था है जो एक ब्लैक बॉक्स की तरह कार्य करता है, जिससे रेल इंजन के बाहर और भीतर निगरानी रखी जा सकती है, जो रेल संचालन में सुरक्षा के लिहाज़ से अत्यंत आवश्यक है| इस तकनीक को व्यवहार में लाया जा चूका है| 

वर्तमान में CLW गर्व से अत्याधुनिक 3 फेज लोको का उत्पादन कर रहा है| जिसमें नवीनतम "इंसुलेटेड गेट बाइपोलर ट्रांजिस्टर" (IGBT) तकनीक की सभी आधुनिक विशेषताएं हैं| 

वित्तीय वर्ष 2021-22 में चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स का कीर्तिमान 

चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स, चितरंजन ने रेलवे बोर्ड के 485 लोको के उत्पादन लक्ष्य के मुकाबले वित्तीय वर्ष 2021-22 में रिकॉर्ड 486 लोकोमोटिव का उत्पादन करके एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है| रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री वीके त्रिपाठी ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के 486वें लोकोमोटिव, डब्ल्यूएजी-9 एचसी (33562) को हरी झंडी दिखाई और 31 मार्च 2022 को सीएलडब्ल्यू के महाप्रबंधक श्री सतीश कुमार काशयुप की उपस्थिति में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (सीएलडब्ल्यू) से राष्ट्र को समर्पित किया| यह उपलब्धि केवल 283 कार्य दिवसों में हासिल की गई है। यह किसी भी वित्तीय वर्ष में CLW द्वारा अब तक का सबसे अच्छा लोको उत्पादन प्रदर्शन है| 

रेल इंजन के निर्माण में चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स ने भारत को एक नई गति प्रदान की है और लोगों की यात्रा सुगम बनाने का कार्य किया है और आशा है हमेशा करता रहेगा|   

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