निर्माण कार्यों में कंक्रीट का महत्व किसी से छिपा नहीं है| लेकिन समय-समय पर आवश्यकता अनुसार कंक्रीट में कुछ परिवर्तन किये जाते रहे हैं, जिससे इसकी स्ट्रेंथ (strength), वर्काबिलिटी (workability) आदि में सकारात्मक प्रभाव पड़ें| इसी तरह की एक कंक्रीट है- सेल्फ कोम्पक्टिंग कंक्रीट (Self Compacting Concrete)|
सेल्फ कोम्पक्टिंग कंक्रीट एक विशेष कंक्रीट है, जिसे इस्तेमाल करते समय (placing) और कॉम्पैक्ट (compaction) करने के लिए, हमें किसी प्रकार की कंपन (Vibration) की आवयश्कता नहीं पड़ती| बिना किसी वाइब्रेटर (vibrator) के इस्तेमाल के यह कंक्रीट केवल अपने भार से (self-weight) फॉर्मवर्क के हर कोने में पहुँचने में सक्षम होती है|
सेल्फ कोम्पक्टिंग कंक्रीट- SCC का विकास
1983 में, कंक्रीट सरंचनाओं के स्थायित्व (durability of concrete structures) का अध्ययन करते समय एक समस्या उत्पन्न हुई| यह समस्या थी कि एक टिकाऊ ठोस कंक्रीट पाने के लिए कुशल कारीगरों द्वारा पर्याप्त कॉम्पैक्शन (compaction) की आवश्यकता पड़ती है| जिससे न केवल ज्यादा खर्च होता है बल्कि कंक्रीट गुणवत्ता में भी कमी रह जाने की गुंजाईश रहती है|
इसका हल खोजते हुए जापान के 'ओकुमारा' Okumara ने 1986 में सेल्फ कोम्पक्टिंग कंक्रीट SCC का आविष्कार किया| इसलिए इन्हें "फादर ऑफ़ सेल्फ कोम्पक्टिंग कंक्रीट" (Father of SCC) कहा जाता है|
SCC कैसे बनाई जाती है
SCC बनाने के लिए हमें आवश्यकता पड़ती है :
- सीमेंट (Cement): OPC सीमेंट 43 या 53 ग्रेड
- एग्रीगेट (Aggregate): Well Graded क्यूबिकल (cubical) या राउंड (round) एग्रीगेट
- पानी (water): भारतीय मानक 456 के अनुसार
- एडमिक्सचर (Admixture): SCC में super plasticizer का प्रयोग किया जाता है विशेषकर poly-carboxylated ether|
- मिनरल एडमिक्सचर (Mineral Admixture): SCC में हम मिनरल एडमिक्सचर जैसे fly ash, GGBFS, silica fume का प्रयोग भी करते हैं|
- स्टोन पाउडर (Stone Powder): SCC के लिए powder content बढ़ाने के लिए finely crushed limestone या granite भी इस्तेमाल कर सकते हैं|
SCC के फायदे और नुकसान
फायदे:
- SCC के प्रयोग से साइट पर श्रमिकों की संख्या पर निर्भरता कम होती है
- वाइब्रेटर द्वारा होने वाली समस्याएं कम हो जाती है
- प्लेसिंग करने में आसानी होती है
- निर्माण कार्य में तेजी होती है
- अच्छी सतह (Surface finish) आती है
- बेहतर संघनन और कंक्रीट की homogenity के कारण durability में सुधार होता है
नुकसान:
- बड़ी हुई पेस्ट मात्रा के कारण shrinkage और creep में बढ़ोतरी होती है
- बनाने में trial mix की अधिक आवश्यकता पड़ती है
SCC सेल्फ कोम्पक्टिंग कंक्रीट से हमारे समय, लागत में बचत होती है और साथ ही कंक्रीट की durability बढ़ती है| इसके साथ ही इसे congested reinforcement के बीच आसानी से प्लेस किया जा सकता है|
SCC की जांच कैसे करते हैं
SCC की जांच मुख्य रूप से कंक्रीट के fresh state में होती है| क्यूँकि इसी दौरान हमें यह सुनिश्चित करना होता है कि हमारा मिक्स में SCC के गुण हैं या नहीं| इसके लिए हम निम्नलिखित गुणों की जाँच करते हैं:
Filling Ability: SCC का वह गुण जिससे कंक्रीट अपने ही भार से formwork के हर कोने में पहुँच सके| इसके लिए हम slump flow टेस्ट, ORIMET टेस्ट करते हैं|
Passing Ability: वह गुण जिसकी वजह से कंक्रीट रुकावटी जगह से आसानी से पार हो सके| इसके लिए L Box टेस्ट, J Ring टेस्ट, U Box टेस्ट, Fill Box टेस्ट करते हैं|
Segregation Resistance: इस गुण की वजह से fresh state में कंक्रीट ठोस होने तक अपने homogeneous प्रकार में रहती है| इसके लिए GTM Screen stability टेस्ट, Penetration टेस्ट, Segregation Probe टेस्ट, L Box टेस्ट होते हैं|
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