फॉर्मवर्क या शटरिंग एक निर्माण कार्य का अहम् हिस्सा है| जिस तरह कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में कंक्रीट का योगदान रहता है, उसी तरह फॉर्मवर्क को निर्माण क्षेत्र से अलग कर नहीं देखा जा सकता| चाहे in situ (साइट पर) कंक्रीट हो या प्री-फैब्रिकेटेड (साइट से दूर वर्कशॉप में बने) कंक्रीट, दोनों में एक उच्च गुणवत्ता की शटरिंग की आवश्यकता होती है|
अब किसी भी फॉर्मवर्क की सिमित लम्बाई (height) होने के कारण, निर्माण में लिफ्ट के अनुसार काम होता है, जिसकी वजह से हर लिफ्ट के बाद शटरिंग को अगली लिफ्ट के लिए तैयार करने में निर्माण अवधि का एक अहम् समय जाता है| इसी समय की बचत के लिए स्लिप फॉर्म (slip-form), जम्प फॉर्म (jump-form) जैसे विकल्पों का आविष्कार किया गया|
जम्प फॉर्मवर्क (Jump Form System) कैसे काम करता है
अगर किसी ऊंची बिल्डिंग की सीधी दीवार में चढ़ने के लिए किसी को एक 05 मीटर की सीढ़ी दी जाए और कहा जाए की हर पांच मीटर की दुरी पर दीवार में सीढ़ी को फ़साने के लिए हुक दिए गए हैं, तो सबसे पहले वह व्यक्ति सीढ़ी को अपने से ऊपर वाले हुक में फंसाएगा फिर उसी सीढ़ी से पांच मीटर चढ़ कर हुक तक पहुँच जाएगा| फिर अपने एक हाथ से हुक को पकड़ कर सीढ़ी उस हुक से निकालेगा और अगले हुक में फंसा देगा, और फिर उसी तरह सीढ़ी से अगले पांच मीटर की चढाई करेगा| ठीक इसी तरह हमारा जम्प फॉर्मवर्क काम करता है, जहाँ इंसान की भूमिका में हमारा jump formwork system होता है और सीढ़ी की भूमिका में इस सिस्टम में उपयोग में आने वाला प्रोफाइल|
जम्प फॉर्म सिस्टम में आमतौर पर चार प्लेटफार्म होते हैं-
a) +1 लेवल - जहाँ से कंक्रीट को डाला (pouring platform) जाता है
b) +0 लेवल - जहाँ से सरिया बांधने का, शटरिंग को संरेखित (alignment of formwork) आदि कार्य किये जाते हैं
c) -1 लेवल - जहाँ से हाइड्रोलिक जैक ऑपरेशन (hydraulic jack operation) द्वारा जम्प फॉर्म सिस्टम को उठाया जाता है
d) -2 लेवल - जहाँ से कंक्रीट सतह में यदि कोई अंतिम सुधार कार्य हो, तो उसे अंजाम दिया जाता है
यह पूरा जम्प फॉर्म सिस्टम ठोस कंक्रीट में शू (shoe) से टिका होता है, और प्रत्येक ऊपर वाली कंक्रीट करते समय हमें अगले शू (shoe) को टिकाने के लिए पेंच छोड़ना होता है|
जम्प फॉर्म की प्रक्रिया (Jump Form Procedure)
1. कंक्रीट करते समय शू (shoe) को टिकाने के लिए पेंच (bolt) छोड़ने पड़ते हैं| कंक्रीट के ठोस होने पर टाई रोड (tie-rod) और शटर खोलने होते हैं|
2. अगला काम छोड़े गए पेंच में शू टिकाने का होता है, जिसमें हम प्रोफाइल को लगाते हैं| यानी अब हमारा प्रोफाइल नए लगाए शू और पुराने शू से बंधा होता है|
3. इस प्रोफाइल में कुछ अंतराल में स्लॉट होते हैं, जिसमे से हमारा जम्प फॉर्म सिस्टम जैक (hydraulic jack) की मदद से ऊपर बढ़ता है|
4. ऊपर बढ़ते हुए जब लेवल 0 प्लेटफार्म अगले शू तक पहुँच जाता है तो इसे हम उस शू से बाँध देते हैं|
5. फिर अगली लिफ्ट के लिए स्टील बाँधा जाता है और टाई रोड द्वारा शटर लगाया जाता है| जिसके बाद अगली कंक्रीट करी जाती है|
जम्प फॉर्म के फायदे ( Jump Form Advantages)
1. जम्प फॉर्म के उपयोग से निर्माण कार्य की गति बढ़ती है|
2. स्वतः चढ़ने से क्रेन पर निर्भरता नहीं रहती|
3. अच्छी गुणवत्ता की कंक्रीट सतह मिलती है|
4. यह सिस्टम झुकी हुई दीवारों में भी आसानी से काम करता है|
5. इसमें कम लेकिन कुशल कारीगरों की आवश्यकता होती है|
6. शटर संरेखित (alignment) करने में आसानी होती है|
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