नाग पंचमी 2024: हिन्दू धर्म में वर्ष भर में कई त्यौहार मनाये जाते हैं व व्रत-उपवास रखकर देवी-देवताओं के प्रतीकों की पूजा अर्चना की जाती है| ऐसा ही एक विशेष दिन है नाग पंचमी| नाग जहाँ भगवान् विष्णु की शैय्या हैं वहीँ भोलेनाथ के गले का हार भी हैं| भारत के लोगों का भी नागों से गहरा नाता रहा है जिसके कारण प्राचीन काल से नाग की देवता के रूप में पूजा की जाती है| सावन का महीना भगवान् शिव का महीना माना जाता है और भारत में इसी माह में वर्षा ऋतू भी होती है| ऐसे समय में नाग धरती पर दिखने लगते हैं| वह किसी अहित का कारण न बनें इसलिए नाग देवता को प्रसन्न करने के लिए नाग पंचमी के दिन पूजा जाता है|
कब मनाते हैं नाग पंचमी | नाग पंचमी 2024 कब है
सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है| वर्ष 2024 में यह दिन 09 अगस्त, शुक्रवार को पड़ रहा है| सावन महीने की पंचमी तिथि 09 अगस्त को रात्रि 12:36 पर शुरू होकर 10 अगस्त को रात्रि 03:14 पर समाप्त होगी| 09 अगस्त को पंचमी का सूर्योदय होने के कारण इसी दिन नागपंचमी मनाया जाएगा|
नाग पंचमी 2020 : 25 जुलाई 2020
नाग पंचमी 2021 : 13 अगस्त 2021
नाग पंचमी 2022 : 02 अगस्त 2022
नाग पंचमी 2023 : 21 अगस्त 2023
नाग पंचमी 2024 : 09 अगस्त 2024
क्यों मनायी जाती है नाग पंचमी
महाभारत के अनुसार, कुरु वंश के राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय अपने पिता की साँप द्वारा काटे जाने के बाद मृत्यु से बहुत दुखी होते हैं| अपने पिता के कातिल तक्षक नामक सर्प से बदला लेने के लिए वह सर्प सत्र यज्ञ करवाते हैं| इस यज्ञ से दुनिया के सभी साँपों को मारने के लिए अग्नि यज्ञ की शुरुआत होती है| तक्षक सर्प अपनी रक्षा के लिए इंद्र की शरण में जाते हैं, लेकिन पुजारियों के मन्त्रों का पाठ इतना शक्तिशाली था कि स्वयं इंद्र भी तक्षक के साथ यग्न कुंड की तरफ खिचने लगते हैं|
यह देख देवी देवता भी भयभीत हो जाते हैं और मनसादेवी से हस्तक्षेप करने की बात करते हैं| मनसादेवी अपने पुत्र अस्तिका को यज्ञ स्थल पर जाकर जनमेजय से सर्प सत्र यज्ञ को रोकने का अनुरोध करने को कहती हैं| एक बार पहले अस्तिका ने जनमेजय को अपने ज्ञान से प्रभावित किया था, जिस पर जनमेजय ने उनसे वरदान मांगने को कहा था| अस्तिका ने उसी वरदान का प्रयोग करते हुए जनमेजय से सर्प सत्र यज्ञ रोकने का अनुरोध किया|
जनमेजय को अस्तिका की बात माननी पड़ी और इस प्रकार तक्षक, इंद्र और सभी नाग जाति के जीवन को बचा लिया गया| हिन्दू मान्यताओं के हिसाब से यह दिन श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी थी और तब से इस दिन को नाग पंचमी के रूप में मनाते हैं क्यूंकि इस दिन उनके जीवन को बक्शा गया था|
श्री कृष्ण का नाग पंचमी से संबंध
नाग पंचमी की पूजा का एक किस्सा भगवान् श्रीकृष्ण से जुड़ा हुआ है| जब कृष्ण छोटे थे तब उनके कंस मामा ने उन्हें मारने के लिए कालिया नामक एक नाग को भेजा| पहले उसने गाँव में खूब आतंक मचाया| पुरे गाँव में लोग उससे भयभीत रहने लगे| एक दिन जब बालकृष्ण अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे तो उनकी गेंद पास बहती यमुना नदी में जा गिरी| जब वे उसे लेने नदी में उतरे तो कालिया ने उन पर आक्रमण कर दिया| कृष्ण और कालिया नाग की जोरदार लड़ाई हुई| जिसमें कालिया नाग हार गया और कृष्ण उसके फन पर नाचने लगे|
जब कालिया नाग थक गया तो वह अपने प्राण बचाने के लिए कृष्ण से प्राथना करने लगा जिस पर कृष्ण ने उन्हें वहां से जाने को कहा| कृष्ण को सही सलामत पाकर सभी बहुत खुश हुए और गोकुल में उत्सव मनाया गया| कालिया नाग पर श्रीकृष्ण की विजय को भी नाग पंचमी के रूप में मनाते हैं|
नागपंचमी का ज्योतिषीय महत्व
नागपंचमी पर नाग देवता की पूजा करने का ज्योतिषीय कारण भी है| कुंडली के तमाम दोषों में से एक दोष कालसर्प दोष भी होता है| इस दोष से मुक्ति पाने के लिए ज्योतिषाचार्य नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा कर उनको प्रसन्न करने का महत्व बताते हैं|
नाग पंचमी पर क्या करना चाहिए
नाग पंचमी पर भूमि की खुदाई नहीं की जाती| इस दिन नागदेव की मिट्टी या धातु से बनी प्रतिमा की पूजा की जाती है और दूध, धान, खिल और दूब चढ़ावे के रूप में अर्पित किये जाते हैं| इस दिन सपेरों से नाग को मुक्ति दिलाने को भी सर्वश्रेष्ठ बताया गया है| जीवित सर्प को दूध पिलाकर भी नागदेवता को प्रसन्न किया जाता है|
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