World tallest Rail Pier Bridge: भारत में तेजी से रेल नेटवर्क का विस्तार हो रहा है| मैदानी छेत्रों के साथ अब हिमालय की दूर-दराज पहाड़ियों में भी भारतीय रेल की गूंज सुनाई देगी| भारत में हो रहे विकास में नजर रखने वालों ने जम्मू कश्मीर के यू.एस.बी.आर.एल प्रोजेक्ट में चेनाब ब्रिज, अंजी ब्रिज, पीर पंजाल टनल के बारे में जरूर सुना होगा| लेकिन अब तक रेल की पहुंच से दूर समझे जाने वाले अधिकतर उत्तर-पूर्व भारत के राज्यों में जल्द भारतीय रेल दस्तक देने वाला है|
असम के डिब्रूगढ़ तक भारतीय रेल की पहुँच है| जनवरी 2022 में मणिपुर राज्य में पहली माल गाड़ी पहुंची| पूर्वोत्तर के सात राज्यों को रेल नेटवर्क से जोड़ना हमेशा से एक चुनौतीपूर्ण कार्य रहा है और इस चुनौती को स्वीकार करते हुए हिमालय पर्वतमाला के इस हिस्से में निर्माण कार्य ज़ोर-शोर से चल रहा है| मणिपुर में चल रहे 111 किलोमीटर लम्बे जिरीबम-तुपुल-इम्फाल रेल प्रोजेक्ट, असम से सटे मणिपुर राज्य के जिरिबम से राजधानी इम्फाल को जोड़ेगी, जो अब तक रेल से अछूता रहा है|
इस लाइन में स्थित ब्रिज नंबर 164, दुनिया का सबसे ऊँचा रेल गर्डर ब्रिज है, जिसकी ऊंचाई 141 मीटर (कुतुबमीनार से दुगनी) है| यह अपने तरह के पुलों में सबसे ऊँचा पुल है| भारतीय रेल के लिए हिमालय श्रेणियों में दुनिया का सबसे ऊँचे रेलवे गर्डर ब्रिज का निर्माण करना, वास्तव में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है| वर्तमान में यूरोप में स्थित माला-रिजेका Viaduct दुनिया का सबसे ऊँचा है, जिसकी ऊंचाई 139 मीटर है|
इस पुल के स्टील गर्डर पहले वर्कशॉप में तैयार होकर साइट में लाये गए| फिर इन्हें केंटिलीवर लॉन्चिंग स्कीम के तहत अपनी जगह पर बैठाया गया| ब्रिज के हर पियर के पास सेल्फ इरेक्टिंग इलेक्ट्रिक लिफ्ट का इस्तेमाल किया गया जिससे मानव और सामग्रियों को पियर के ऊपर सुरक्षित ले जाने में सुविधा हुई|
आइये हम दुनिया के सबसे ऊँचे रेल गर्डर पुल और जिरिबम-तुपुल-इम्फाल रेल लाइन के बारे में कुछ दिलचस्प विवरणों पर नज़र डालते हैं:
1) ब्रिज नंबर 164 नोनी के पास ईजई नदी की घाटी में बनाया जा रहा है, और इसे 120 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम ट्रेन गति के लिए डिज़ाइन किया जा रहा है|
2) यह पुल महत्वपूर्ण माल ढुलाई में मदद करेगा, इसे 25 टन तक एक्सल-लोड वाली माल गाड़ियों के लिए डिज़ाइन किया गया है|
3) ब्रिज नंबर-164 भूकंप के ज़ोन - 5 में स्थित है, इसलिए पुल की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन में इसे अति महत्वता दी गई है| अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग भारी बारिश या भूकंप के कारण भूस्खलन की जांच करने के लिए भी किया जाएगा, जिनका उत्तर-पूर्व राज्यों में आज से पहले कभी उपयोग नहीं किया गया|
4) 241 किलोमीटर प्रति घंटा की अधिकतम हवा की गति के तहत पुल की स्थिरता और सुरक्षा का विश्लेषण करने के लिए अध्ययन किये गए हैं, और उसी के अनुसार पुल का निर्माण किया जा रहा है|
5) जम्मू-कश्मीर के आगामी चेनाब पुल की तरह यह ब्रिज ब्लास्ट प्रूफ नहीं होगा| पर क्षेत्र में सक्रिय आतंकवादी संगठनों से इसे 24x7 सुरक्षा प्रदान की जायेगी| इसके अतिरिक्त सी.सी.टी.वी के माध्यम से पुल की निगरानी और उपकरणों और सेंसर द्वारा दूरस्थ निगरानी को भी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रयोग में लाया जायेगा|
6) तीन आई.आई.टी (कानपूर, रुड़की और गुवाहाटी) और एन.आई.टी सिल्चर भी इस महत्वाकांक्षी भारतीय रेलवे परियोजना के साथ जुड़े हुए हैं ताकि पुल को cost-efficient और टिकाऊ बनाने के लिए तकनिकी सहायता और डिज़ाइनों की प्रूफ चेकिंग की जा सके|
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