आसमान तो केवल एक वायुमंडल है तो इसका रंग नीला क्यों दिखाई पड़ता है| इसको समझने के पहले हमें कुछ बातें जाननी पड़ेंगी|
रंग क्या होते हैं|
हरा, नीला, पीला आदि रंग हमें दिखने के पीछे उसके विज्ञान को समझना होगा| हर किसी किरण (ray of light) की कुछ वेवलेंथ (wavelength) और फ्रीक्वेंसी (frequency) होती हैं| जहाँ वेवलेंथ क्रेस्ट से क्रेस्ट की दुरी है वहीँ फ्रीक्वेंसी 1 सेकंड में होने वाली किरणों की पूरी वेवलेंथ की संख्या है (1/ T) |
मानलो कोई वस्तु हमें नीली दिखाई दे रही है तो इसका अर्थ है उस वस्तु से जो किरणें हमारी आँखों के रास्ते हमारे मस्तिष्क में जा रही होंगी उसकी वेवलेंथ या फ्रीक्वेंसी नीले रंग की वेवलेंथ और फ्रीक्वेंसी के समान होंगी|
ब्रह्माण्ड की सभी किरणें हमें दिखाई नहीं देती| मानव प्रजाति रंगों की जिस रेंज को देख पाती है उसकी एक निश्चित वेवलेंथ और फ्रीक्वेंसी है|
सूरज से जब किरणें हमारे वायुमंडल में प्रवेश करती हैं, रिफ्लेक्शन, रिफ्रक्शन या स्कैटरिंग से वे अलग-अलग वेवलेंथ में बदल जाती हैं, और जिनकी वेवलेंथ 390 नैनोमीटर से 700 नैनोमीटर तक के करीब होती है उन्हें ही हम देख पाते हैं|
सूरज से आने वाली किरणें
सूरज से आने वाला प्रकाश सफ़ेद दिखाई पड़ता है, पर असल में यह इंद्रधनुष के सभी रंगों से मिलकर बना है| प्रकाश सीधी दिशा में आगे बढ़ता है| जब इसके रास्ते में कुछ चीज़ आती है तो या तो वो पूरा रिफ्लेक्ट (Reflect) हो जाएगा जैसे शीशे में होता है, या तो किसी अलग दिशा में झुक (Bend) जाएगा जैसे प्रिज़्म में होता है| और या तो बिखर (Scatter) जाएगा जैसे की हवा में मौजूद गैस के कणों से होता है|
आसमान नीला दिखने का कारण
सूर्य का प्रकाश पृथ्वी के वायुमंडल में पहुँचता है और हवा में मौजूद गैसों और कणों द्वारा अलग-अलग दिशा में बिखर जाता है (Scattering of light)| नीली रोशनी अन्य रंगों की तुलना में ज्यादा बिखरती है, इसलिए ज्यादातर समय आसमान हमें नीला दिखाई देता है|
जब आसमान हल्का नीला या सफ़ेद होता है
कभी आपको लगता होगा की हॉरिजोन के पास आसमान हल्का नीला या फिर सफ़ेद है इसका कारण है कि नीला प्रकाश वायुमंडल से जब ज्यादा दुरी से गुजरता है तो वह पृथ्वी से रिफ्लेक्ट होने के कारण और बिखरे हुए नीले रंग को एक बार फिर से मिलने के कारण सफ़ेद या हल्का नीला दिखाई पड़ता है|
संध्या काल में आसमान के लाल होने का कारण
शाम या सुबह के समय सूरज से आने वाली किरणें वायुमंडल में ज्यादा दुरी तय करती हैं| नीले रंग की कम वेवलेंथ होने के कारण, हम तक पहुँचने से पहले ही वो बिखर (Blue light scattered) जाता है| परन्तु लाल या पीला रंग ज्यादा दुरी तय करता है जिस कारण हमें सुबह और शाम आसमान के साथ सूरज भी लाल या संतरी दिखाई पड़ता है|क्या आपको पता है हमें दिखने वाले रंगों में से सबसे ज्यादा वेवलेंथ लाल रंग की होती है इसलिए वह बिना ज्यादा बिखरे (Scattering) ज्यादा दुरी तय करता है| लाल रंग की इसी विशेषता के कारण इसे खतरे का संकेत देने के लिए उपयोग किया जाता है|
क्या दूसरे ग्रहों का आसमान भी नीला होता होगा
अगर वहां का वायुमंडल पृथ्वी जैसा है , तो वहां भी जरूर आसमान नीला दिखाई पड़ेगा| यह पूरी तरह वायुमंडल पर निर्भर करता है| जैसे, मंगल गृह की हवा बहुत हल्की है, और उसका ज्यादातर हिस्सा कार्बन डाई-ऑक्साइड या फिर बारीक़ धूल के कर्ण हैं| इसलिए पृथ्वी पर होने वाली प्रकाश के बिखरने की प्रक्रिया, मंगल गृह से अलग है| इसलिए यह जरुरी नहीं की वहां का आसमान पृथ्वी के आसमान की तरह नीला ही होगा|
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