उत्तराखंड को राज्य का दर्जा 09 नवंबर 2000 को दिया गया| उत्तरप्रदेश से अलग होकर बने इस हिमालय छेत्र के राज्य का नाम उत्तरांचल रखा था, जिसे 01 जनवरी 2007 से बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया|
कई हिन्दू मंदिरों और तीर्थ स्थान होने के कारण इस राज्य को देवभूमि कहा जाता है| उत्तराखंड राज्य दो मंडलों में बाँटा गया है, कुमाऊं मंडल और गढ़वाल मंडल, जिन दोनों में मिलाकर 13 जिले आते हैं|
उत्तराखंड का गठन
नवंबर 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग होकर एक नया राज्य उत्तराखंड बनना इस पहाड़ी छेत्र में रहने वालों के लम्बे संघर्ष का ही परिणाम था| भगौलिक रूप से इस अद्वितीय छेत्र में विकास की कमी, बढ़ती बेरोजगारी और पहाड़ों से उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ से दुरी जैसी अनेक समस्याओं ने एक अलग राज्य की पुरानी मांग को फिर से जन्म दिया|
एक अलग पहाड़ी राज्य की मांग लगभग 60 वर्षों से लंबित थी, लेकिन 1994 में मुज़फ्फरनगर में दिल्ली को प्रदर्शन करने जा रहे उत्तराखंड एक्टिविस्ट पर हुई गोलीबारी के बाद इसे गति मिली| इसी घटना के बाद राजनितिक दल भी अलग राज्य के समर्थन में आ खड़े हुए|
1930 में इसकी शुरूआत हुई थी, जब पहाड़ों में रह रहे लोग बहुमत से एक अलग राज्य का प्रस्ताव ले कर आये| 1957 में इस मांग ने आंदोलन का रूप ले लिया जब टेहरी के तत्कालीन शासक मानवेन्द्र शाह के नेतृत्व में कई प्रदर्शन हुए| लेकिन यह 1973 में उत्तराखंड राज्य परिषद् के बनने के बाद ही था, जब इस छेत्र के हर निवासी का यह आम मुद्दा बन गया|
इसी के कारण 1979 में कुमाऊं विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति की अध्यक्षता में "उत्तराखंड क्रांति दल" का जन्म हुआ| और अगले ही साल 1980 में हुए चुनाव में इसके पहले विधायक जसवंत सिंह चुने गए| इसके बाद भारतीय जनता पार्टी पूरी ताकत से इस आंदोलन में शामिल हो गई और इसको गति देने के लिए उत्तराखंड क्रांति दल से कमान संभाली|
1994 में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह जो इस पहाड़ी राज्य के खिलाफ थे, उन्होनें कनिस्क्या समिति का गठन किया, जिसके द्वारा 21 जून 1994 में सौंपी गई रिपोर्ट नए रा यों ने भी इसमें बढ़चढ़कर भाग लिया और वो हड़ताल पर चले गए| यह आंदोलन उस समय हिंसक हो गया जब 01 सितम्बर 1994 को पुलिस ने खटीमा में प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई, जिससे कई लोग मारे गए और प्रशासन को खटीमा और हल्द्वानी में कर्फ्यू लगाना पड़ा| अगले दिन हिंसा दूसरी जगहों पर भी फैल गई और मसूरी में पुलिस फायरिंग में सात लोगों की जान चली गई| इन दोनों घटनाओं से आंदोलन और उग्र हो गया| स्थिति तब और बदतर हो गई जब दिल्ली जा रहे प्रदर्शनकारियों पर रामपुर तिराहे में पुलिस ने गोली चला दी| इस घटना की आग दिल्ली तक पहुंची|
चार साल बाद 1998 में NDA सरकार ने राष्ट्रपति के माध्यम से उत्तर प्रदेश विधानसभा को एक नए राज्य उत्तराँचल बनाने का अध्यादेश भेजा| कई संसोधन करने के बाद 27 जुलाई 2000 को सरकार ने अटल बिहारी वाजपेयी की अध्यक्षता में उत्तरप्रदेश पुनर्गठन बिल 2000 लोक सभा में पेश किया| यह 1 अगस्त 2000 को लोक सभा में और 10 अगस्त 2000 को राज्य सभा में पास हुआ| 28 अगस्त 2000 को इसे राष्ट्रपति से भी मंजूरी मिली, और केंद्र सरकार ने 09 नवंबर 2000 को उत्तराँचल राज्य बनाने का दिन चुना|
उत्तराँचल तब भारत का 27 वा राज्य बना था| 13 जिले के इस राज्य के पहले राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला नियुक्त किये गए और नित्यानंद स्वामी इस राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने|
पहले से इस पहाड़ी छेत्र का नाम उत्तराखंड कहा जाता रहा था| अगस्त 2006 में केंद्र द्वारा ने चार साल से उत्तराखंड विधानसभा और बड़े नेताओं की ओर से उत्तरांचल का नाम बदलकर उत्तराखंड रखने की आ रही मांग को स्वीकार किया| बाद में बिल लाकर इस हिमालय राज्य का नाम 01 जनवरी 2007 से उत्तराखंड रख दिया गया|
उत्तराखंड की राजधानी और प्रमुख शहर
उत्तराखंड राज्य की शीतकालीन राजधानी देहरादून और ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैण है| राज्य के गठन के बाद इसकी राजधानी देहरादून रखी गई| लेकिन तभी से इसकी राजधानी गैरसैण करने की मांग उठती रही| 20 साल के लम्बे अंतराल के बाद गैरसैण को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी बना दिया गया|
राजधानी के स्थानांतरण से एक्टिविस्ट का मुख्य कारण गैरसैण की भौगोलिक महत्वता था| और यह उत्तराखंड के दोनों मंडलों के मध्य में भी स्थित है| गैरसैण चमोली जिले में एक तहसील है जो देहरादून से 280 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है|
राजधानी के अलावा उत्तराखंड के मुख्य शहरों में हल्द्वानी आता है जिसे कुमाऊं का मुख्य द्वार भी कहते हैं| इसके अलावा कुमाऊं में पड़ने वाले मुख्य छेत्र हैं- रामनगर, काशीपुर, रुद्रपुर, अल्मोड़ा, नैनीताल, रानीखेत, द्वारहाट, चौखुटिया, चम्पावत, बागेश्वर, पिथौरागढ़, मुक्तेश्वर आदि|
गढ़वाल छेत्र में आने वाले प्रमुख छेत्र इस प्रकार हैं- जोशीमठ, चमोली, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग, देवप्रयाग, पौड़ी गढ़वाल, हरिद्वार, ऋषिकेश, उत्तरकाशी, श्रीनगर आदि|
उत्तराखंड के जिले
उत्तराखंड को मुख्य तौर पर दो मंडलों में बांटा गया है- कुमाऊं मंडल और गढ़वाल मंडल|
कुमाऊं मंडल में 06 जिले आते हैं जो इस प्रकार हैं -
जिला | मुख्यालय | छेत्रफल |
नैनीताल | नैनीताल | 3422 वर्ग कि.मी |
अल्मोड़ा | अल्मोड़ा | 3689 वर्ग कि.मी |
चम्पावत | चम्पावत | 2004 वर्ग कि.मी |
उधमसिंह नगर | रुद्रपुर | 3055 वर्ग कि.मी |
पिथौरागढ़ | पिथौरागढ़ | 7169 वर्ग कि.मी |
बागेश्वर | बागेश्वर | 1696 वर्ग कि.मी |
शुरू में कोल आदिवासियों द्वारा बसाए गए इस छेत्र में किरातो, ख़स और इंडो-स्कीथियन्स की लहरें भी देखी गई| इस छेत्र के पहले शासक कुणिन्दा थे| उसके बाद यहाँ कत्यूरी शासन रहा जिन्होंने सन 700 से सन 1200 तक यहाँ राज किया| कत्यूरी साम्राज्य के बाद यह छेत्र आठ अलग रियासतों में विभाजित हो गया| लगभग सन 1581 में रूद्र चंद के समय, इस पुरे छेत्र को एक बार फिर एक साथ करके कुमाऊँ कहा गया|
प्राचीन में कई हिन्दू शासकों द्वारा राज के बाद, ब्रिटिश राज में सन 1816 में कुमाऊं मंडल का गठन हुआ|
इसी प्रकार उत्तराखंड का पश्चिमी छेत्र गढ़वाल मंडल कहलाता है जिसमें 07 जिले सम्मिलित हैं, जो इस प्रकार हैं
जिला | मुख्यालय | छेत्रफल |
चमोली | गोपेश्वर | 7520 वर्ग कि.मी |
देहरादून | देहरादून | 3088 वर्ग कि.मी |
हरिद्धार | हरिद्धार | 2360 वर्ग कि.मी |
पौड़ी गढ़वाल | पौड़ी | 5230 वर्ग कि.मी |
रुद्रप्रयाग | रुद्रप्रयाग | 2439 वर्ग कि.मी |
टेहरी गढ़वाल | न्यू टेहरी | 3796 वर्ग कि.मी |
उत्तरकाशी | उत्तरकाशी | 8016 वर्ग कि.मी |
गढ़वाल कई गढ़ यानी किलों वाली भूमि है| पंवार शासकों के वंशवादी शासन से पहले गढ़वाल का इतिहास बहुत अस्पष्ट है| कनक पाल सन 823 के समय गढ़वाल छेत्र का पहला शासक था|
इस प्रकार उत्तराखंड में तेरह जिले आते हैं जिसमें नैनीताल, उधमसिंह नगर, देहरादून और हरिद्धार के कुछ इलाके को छोड़ सभी पहाड़ी छेत्र हैं|
उत्तराखंड राज्य में प्रशासन
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री
उत्तराखंड को जब राज्य का दर्जा मिला, उस समय भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व की सरकार ने नित्यानंद स्वामी को मुख्यमंत्री के नए कार्यालय का अधिग्रहण करने को कहा, जिसके बाद 09 नवंबर 2000 को ही उन्होनें मुख्यमंत्री की शपथ ली| उन्होनें बाद में यह पद स्वेच्छा से छोड़ दिया| तब भगत सिंह कोशियारी ने उत्तरांचल के दूसरे मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली|
2002 में उत्तराँचल में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस ने 36 सीटों में जीत हासिल करी| कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी ने अगले पांच साल मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला| 2007 में हुए उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भुवन सिंह खंडूरी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी 35 विधानसभा सीटों में विजय होकर राज्य की सत्ता में आयी|
2012 में हुए चुनाव का गणित थोड़ा अलग था, इसमें 70 में से कांग्रेस के 32 और भाजपा के 31 विधायक बने| इसी कारण राजनितिक उठापठक के बीच सन 2016 में दो बार राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा| लेकिन इस पांच साल के कार्यकाल में कांग्रेस की ही सरकार रही| 2017 में हुए चौथे विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 70 में से 57 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत से अपनी सरकार बनाई|
मुख्यमंत्री | कब से | कब तक | पार्टी |
नित्यानंद स्वामी | 09 नवंबर 2000 | 29 अक्टूबर 2001 | भा.ज.पा |
भगत सिंह कोश्यारी | 30 अक्टूबर 2001 | 01 मार्च 2002 | भा.ज.पा |
नारायण दत्त तिवारी | 02 मार्च 2002 | 07 मार्च 2007 | कांग्रेस |
भुवन चंद्र खंडूरी | 07 मार्च 2007 | 26 जून 2009 | भा.ज.पा |
रमेश पोखरियाल | 27 जून 2009 | 10 सितम्बर 2011 | भा.ज.पा |
भुवन चंद्र खंडूरी | 11 सितम्बर 2011 | 13 मार्च 2012 | भा.ज.पा |
विजय बहुगुणा | 13 मार्च 2012 | 31 जनवरी 2014 | कांग्रेस |
हरीश रावत | 01 फरवरी 2014 | 27 मार्च 2016 | कांग्रेस |
हरीश रावत | 21 अप्रैल 2016 | 22 अप्रैल 2016 | कांग्रेस |
हरीश रावत | 11 मई 2016 | 17 मार्च 2017 | कांग्रेस |
त्रिवेंद्र सिंह रावत | 18 मार्च 2017 | अभी तक | भा.ज.पा |
उत्तराखंड के चार धाम
उत्तराखंड राज्य को देवभूमि भी कहा जाता है| यहाँ स्थित चार धाम दुनिया के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक हैं| चारों धाम हिमालय की चोटियों के बीच एकांत में स्थित है| गंगा, यमुना, विष्णु और शिव भगवान् यहाँ अपने शुद्ध अवतार में विराजमान हैं और किसी हिन्दू के लिए यह तीर्थ स्थान एक स्वर्गीय आनंद का अनुभव कराती हैं|
उत्तराखंड की चार धाम यात्रा का तात्पर्य उन चार पवित्र मंदिरों की यात्रा है जो पुरे भारतवर्ष में पूजनीय है| इस यात्रा को भारत के बड़े चार धामों की यात्रा से अलग रखने के लिए छोटा चार धाम कहते हैं| यह चार धाम हैं- यमुनोत्री धाम, गंगोत्री धाम, बद्रीनाथ धाम और केदारनाथ धाम|
यमुनोत्री धाम का नाम देवी यमुना के नाम पर रखा गया| कहा जाता है कि यमुना नदी के पवित्र जल में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और असामयिक मृत्यु से रक्षा होती है|
गंगोत्री धाम से ही भारत की पवित्र और पूजनीय नदी गंगा की उत्पत्ति होती है| और यह स्थान उत्तराखंड के चार धामों में से ही एक है|
केदारनाथ धाम को भगवान् शिव की भूमि के रूप में जाना जाता है| मन्दाकिनी नदी के तट पर स्थित बर्फीली पृष्टभूमि के साथ इस धाम का दृश्य देदीप्यमान है| केदारनाथ धाम उत्तराखंड के पंच केदार में से ही एक है|
बद्रीनाथ धाम अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है और इसका नाम भगवान् बद्री (विष्णु) के नाम पर रखा गया है| गढ़वाल की पहाड़ियों में खूबसूरती से खड़ा यह धाम भारत के चार धाम के बड़े सर्किट का भी हिस्सा है| बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड के पंच बद्री में से एक है|
उत्तराखंड के चार धाम की यात्रा सर्दियों में कपाट बंद होने के कारण बंद रहती है|
उत्तराखंड में बहुत से स्थान हैं जो प्रकृति के सौंदर्य के साथ भक्ति का भाव हमारे अंदर भर देते हैं, जैसे फूलों की घाटी, हेमकुंड साहिब, चोपता, औली, तपोवन, गौमुख आदि|
उत्तराखंड के वन लाइनर्स
- उत्तराखंड की 'लोकपाल झील (चमोली)' 7 पर्वतों से घिरी हुई है|
- बागेश्वर नगर को 'उत्तर वाराणसी' कहा जाता है|
- श्रीधर किमोठी को 'उत्तराखंड का आजाद' नाम से जाना जाता है|
- उत्तराखंड के अनुसूया प्रसाद बहुगुणा को 'गढ़केसरी' के नाम से जाना जाता है|
- चंद वंश का अंतिम शासक महेंद्र चंद था|
- गढ़वाली चित्रकला के जन्मदाता के रूप में मोलाराम को जाना जाता है|
- उत्तराखंड में रानी कर्णावती को 'नाककटी रानी' के नाम से जाना जाता है|
- उत्तराखंड के विश्वेश्वर दत्त सकलानी को 'वृक्ष मानव' के नाम से जाना जाता है|
- गौरी दत्त पांडेय को 'लोकरत्न' के नाम से जानते हैं|
- बसंत देव ने 'कार्तिकेयपुर राजवंश' की स्थापना की जिसे उत्तराखंड के प्रथम ऐतिहासिक राजवंश माना जाता है|
- गोरखाओं ने गढ़वाल पर 1803 में और कुमाऊं में 1790 में अपना अधिकार किया|
- टिहरी रियासत को सुदर्शन शाह ने बसाया था और इसकी राजधानी टिहरी से हटाकर नरेंद्र नगर 1924 में करी गई|
- उत्तराखंड के तीन जिले (उधमसिंह नगर, चम्पावत और पिथौरागढ़) नेपाल देश का स्पर्श करते हैं|
- उत्तराखंड का 39.33 प्रतिशत कुमाऊँ में और 60.67 प्रतिशत गढ़वाल में आता है|
- उत्तराखंड राज्य की सीमाएं भारत के दो राज्य हिमाचल प्रदेश और उत्तरप्रदेश को छूती हैं|
- गढ़वाल का द्वार कोटद्धार और कुमाऊँ का द्वार काठगोदाम को कहा जाता है|
- उत्तराखंड का न्यायालय नैनीताल में स्थित है और इसके प्रथम मुख्य न्यायाधीश अशोक अभेंद्र देसाई थे|
- उत्तराखंड राज्य के 3 जिले तिब्बत (चीन) की सीमा को स्पर्श करते हैं- चमोली, पिथौरागढ़ और उत्तरकाशी|
- उत्तराखंड राज्य की पहली महिला राज्यपाल मार्ग्रेट अल्वा थी|
- हरीश चंद्र रावत (29 मई 1965) एवेरस्ट पर चढ़ने वाले उत्तराखंड के प्रथम व्यक्ति हैं|
- भारत और उत्तराखंड की पहली महिला मेजर जनरल माया टम्टा है|
- उत्तराखंड से पहले साहित्य अकादमी पुरूस्कार प्राप्त कर्ता रस्किन बांड (1992) थे|
- उत्तराखंड से प्रथम भारत रत्न प्राप्त करने वाले व्यक्ति गोविन्द बल्लभ पंत हैं|
- रेमन मेग्सेस पुरस्कार से सम्मानित उत्तराखंड के पहले व्यक्ति चंडी प्रसाद भट्ट हैं|
- उत्तराखंड की कोसी नदी रामगंगा की एक सहायक नदी है|
- उत्तराखंड का सबसे बड़ा हिमनद गंगोत्री है|
- उत्तराखंड की सबसे गहरी झील नौकुचिया ताल है|
- इंद्रमणि बडोनी को 'उत्तराखंड का गाँधी' भी कहा जाता है|
- चमोली में स्थित रूपकुंड को 'रहस्यमयी ताल' भी कहते हैं|
- गढ़वाली भाषा की पहली फीचर फिल्म (चलचित्र) जग्वाल है|
- उत्तरकाशी शहर का पुराना नाम बाड़ाहाट था|
- नैनीताल की खोज पी.बैरन नामक ब्रिटिश यात्री ने करी|
- उत्तराखंड के प्रथम मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी थे लेकिन प्रथम निर्वाचित (चुनाव द्वारा) मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी थे|
- पेड़ों के अंधाधुंध कटान को रोकने के लिए चिपको आंदोलन में अहम् भूमिका निभाने वाली पहली महिला गौरा देवी थी|
- 'चिपको आंदोलन' के प्रेणता सुन्दर लाल बहुगुणा थे|
- उत्तराखंड के मेती आंदोलन का उद्देश्य वृक्षारोपण को बढ़ावा देना था|
- स्कन्द पुराण के हिसाब से गढ़वाल को केदारखंड नाम से जाना जाता था|
- बौद्ध ग्रंथों में उत्तराखंड को हिमवन्त नाम से उल्लेखित किया गया है|
- उत्तराखंड राज्य का सबसे बड़ा कागज़ कारखाना लालकुआं में स्थित है|
- 'कुमाऊं केसरी' के नाम से बद्रीदत्त पांडे को जाना जाता है|
- गढ़वाल पेंटिंग्स पुस्तक के रचयिता मुकुन्दी लाल हैं|
- उत्तराखंड के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी के रूप में कालू सिंह महरा को जाना जाता है|
- कुमाऊं साहित्य के पहले कवी पंडित गुमानी पंत थे|
- मसूरी शहर को 'पहाड़ों की रानी' कहा जाता है|
- 'उत्तराखंड में छोटा कश्मीर' नाम से पिथौरागढ़ को जाना जाता है|
- 'झीलों का नगर' नाम से नैनीताल शहर प्रख्यात है|
- उत्तराखंड में देहरादून 'लीची नगर' नाम से जाना जाता है|
- उत्तराखंड के अंतिम राजा प्रद्दुम्न शाह थे|
- चंद राजाओं का राजचिन्ह गाय था|
- गोपेश्वर के त्रिशूल पर अंकित लेख (1268) अशोक चल्ल शासक की विजय का वर्णन करता हैं|
- कुमाऊं विश्वविद्यालय की स्थापना सन 1973 में हुई|
- उत्तराखंड में गाँधी जी ने 1916 में देहरादून की यात्रा करी|
- उत्तराखंड का छेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा जिला उत्तरकाशी है, और सबसे छोटा जिला चम्पावत है|
- उत्तराखंड का पिथौरागढ़ जिला सबसे लम्बी अंतराष्ट्रीय रेखा वाला जिला है|
- भारत का प्रथम राष्ट्रीय पार्क जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय पार्क (National Park) है, इसकी स्थापना सन 1936 में हैले नेशनल पार्क के नाम से हुई, जिसका 1957 में नाम बदलकर जिम कॉर्बेट कर दिया गया|
- उत्तराखंड का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्द्यान गंगोत्री राष्ट्रीय उद्द्यान है, जो 2390 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है|
- उत्तराखंड के हरिद्धार शहर को गंगाद्वार नाम से भी जाना जाता है|
- उत्तराखंड का तुंगनाथ मंदिर सबसे ऊंचाई में स्थित है|
- बद्रीनाथ धाम अलकनंदा नदी के किनारे बसा हुआ है|
- ऋषिकेश गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है|
- उत्तराखंड के प्रथम राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला थे|
- उत्तराखंड राज्य का राजकीय फूल ब्रह्म कमल है|
- उत्तराखंड राज्य का राजकीय वृक्ष बुरांश है|
- उत्तराखंड राज्य का राजकीय पक्षी मोनाल है|
- उत्तराखंड राज्य का राजकीय पशु कस्तूरी मृग है|
- उत्तराखंड राज्य की द्वितीय आधिकारिक भाषा संस्कृत है|
- अल्मोड़ा में स्थित कटारमल मंदिर में सूर्य देवता की पूजा होती है|
- उत्तराखंड में प्रथम रेल लाइन किच्छा से काठगोदाम तक बिछाई गई|
- टिहरी रियासत का विलय भारतीय संघ में 1949 में हुआ|
उत्तराखंड में कहाँ है
उच्च न्यायलय | नैनीताल |
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग का मुख्यालय | हरिद्धार |
देव संस्कृति विश्वविद्यालय | हरिद्धार |
हज़रत अलाउद्दीन अहमद साबिर की दरगाह | पिराने कलियर (रुड़की) |
अलकनन्दा नदी का उद्गम स्थल | सतोपंथ |
फूलों की घाटी | चमोली जिला |
कोटेश्वर गुफा | रुद्रप्रयाग |
नीलकंठ मंदिर | पौड़ी |
क्षय रोग चिकित्सालय | भवाली |
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ रिमोट सेंसिंग (भारतीय सुदूर संवेदी संस्थान) | देहरादून |
AIIMS अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान | ऋषिकेश (2004) |
जड़ी-बूटी शोध संस्थान (हर्बल रिसर्च इंस्टिट्यूट) | गोपेश्वर, चमोली |
नानकमत्ता गुरुद्वारा | उधमसिंह नगर |
दक्ष प्रजापति मंदिर | हरिद्धार |
सोननदी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी | पौड़ी |
अस्कोट वाइल्ड लाइफ सेंचुरी | पिथौरागढ़ |
वासुकी ताल | टिहरी |
मायावती आश्रम | चम्पावत |
लाल बहादुर शास्त्री अकादमी | मसूरी |
सात ताल झील | नैनीताल |
उत्तराखंड भाषा संस्थान | देहरादून |
नेहरू पर्वतरोहण संस्थान | उत्तरकाशी |
गन्ना विकास संस्थान | काशीपुर, उधमसिंह नगर |
सेंट्रल हिमालयन एनवायरनमेंट एसोसिएशन | नैनीताल |
वन व पंचायत प्रशिक्षण संस्थान | हल्द्वानी |
औषधीय एवं सुगन्धित पौध संस्थान | पंतनगर |
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