Shravan - श्रावण
सनातन संस्कृति के कैलेंडर (या पंचांग या संवत) में श्रावण को साल का पाँचवा महीना माना जाता है| यह ग्रेगोरियन कैलेंडर के जुलाई-अगस्त में पड़ता है| साल 2024 में 'विक्रम संवत' (calendar) का 2081वा साल और 'शक संवत' के हिसाब से 1946वा साल का आरम्भ होगा| विक्रम संवत के अनुसार आषाढ़ महीने में पूर्णिमा के बाद वाली प्रतिपदा, श्रावण मास की पहली तिथि होती है|
सावन का महीना कब से शुरू है (Sawan 2024 Start Date)
साल 2024 में श्रावण मास की पहली तिथि 22 जुलाई 2024 को पड़ रही है| इसका अर्थ है वर्ष 2024 में सावन यानि श्रावण का महीना (Sawan 2024) 22 जुलाई 2024 से शुरू होगा| साल 2023 में सावन का महीना 04 जुलाई 2023 को शुरू हुआ था|
साल 2024 में सावन का महीना 22 जुलाई 2024 से शुरू होकर 19 अगस्त 2024 तक रहेगा| ज्ञात हो पिछले साल सावन का महीना 04 जुलाई 2023 से 31 अगस्त 2023 तक रहा था| सावन माह की इतनी लम्बी अवधि होने का कारण, साल 2023 में पड़ने वाला अधिकमास का महीना है| अधिकमास होने से साल 2023 में शुरू होने वाला हिन्दू वर्ष 13 महीने का रहा|
श्रावण मास का नक्षत्र (Shravana month)
श्रावण मास को यह नाम 'श्रवण' नक्षत्र की वजह से मिला है| श्रवण हिन्दू पंचांग की काल गणना में उपयोग में आने वाले 27 नक्षत्रों में से 22वा नक्षत्र है| वैदिक ज्योतिष के अनुसार श्रवण नक्षत्र का स्वामी बृहस्पति गृह है|श्रावण मास को हिन्दू कैलेंडर का पवित्र महीना माना जाता है और इसे सावन का महीना कहकर भी पुकारते हैं| इस महीने में आने वाले सोमवार को भगवान् शिव की विशेष पूजा करने का विधान बताया गया है|
सावन के सोमवार (Monday in Shravan 2024)
कहा जाता है सावन के सोमवार को भगवान् शंकर की आराधना करने से भक्तों पर भगवान् की विशेष कृपा होती है| सोमवार को शिव पूजा करने वाली युवतियों को मनवांछित वर प्राप्त होता है| वहीँ पुरूषों को भी उनकी पसंद की कन्या मिलती है| इसलिए यह कहा गया है कि जिनके विवाह आदि में रुकावट आ रही हो, उन्हें निश्चित रूप से सावन के सोमवार का व्रत करना चाहिए|पढ़ें: सावन के सोमवार कब से शुरू हैं?
सावन में मंगलवार का महत्व
बहुत से लोग सावन या श्रावण के महीने में आने वाले पहले सोमवार से ही 16 सोमवार व्रत की शुरुआत करते हैं| सावन महीने में मंगलवार का व्रत भगवान् शिव की पत्नी देवी पार्वती के लिए किया जाता है| और इस व्रत को ही मंगला गौरी व्रत कहा जाता है|श्रावण महीने के महत्वपूर्ण तिथियां (Important Days in Shravana Month 2024)
विक्रम संवत के आषाढ़ महीने की पूर्णिमा के बाद ही श्रावण मास का आरम्भ होता है| आइये जानते हैं श्रावण मास की कुछ महत्वपूर्ण तिथियां|
तिथि | महत्वता |
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प्रतिपदा (कृष्ण पक्ष) |
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द्धितीया | |
तृतीया | |
चतुर्थी | |
पंचमी | |
षष्ठी | |
सप्तमी | |
अष्टमी | |
नवमी | |
दशमी | |
एकादशी | कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) |
द्धादशी | |
त्रयोदशी | |
चतुर्दशी | सावन शिवरात्रि |
अमावस्या | (Hariyali Amavasya) श्रावण अमावस्या हरेली तिहार |
प्रतिपदा (शुक्ल पक्ष) | |
द्धितीया | |
तृतीया | हरियाली तीज (Hariyali Teej) |
चतुर्थी | |
पंचमी | नाग पंचमी (Naag Panchami) |
षष्ठी | कल्कि जयंती (Kalki Jayanti) |
सप्तमी | |
अष्टमी | |
नवमी | |
दशमी | |
एकादशी | श्रावण पुत्रदा एकादशी (Shravana Putrada Ekadashi) |
द्धादशी | |
त्रयोदशी | |
चतुर्दशी | |
पूर्णिमा | रक्षा बंधन (Rakshabandhan) श्रावण पूर्णिमा (Shravan Purnima) विश्व संस्कृत दिवस (World Sanskrit Day) |
श्रावण मास के महत्व की कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार श्रावण मास को देवों के देव महादेव भगवान शंकर का महीना माना जाता है|इस संबंध में पौराणिक कथा है कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले उन्होनें महादेव को प्रत्येक जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था| अगले जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया| पार्वती ने युवावस्था के श्रावण महीने में कठोर व्रत कर भगवान शिव को प्रसन्न कर उनसे विवाह किया| तब से महादेव के लिए यह माह विशेष हो गया|भगवान भोलेनाथ का पूजन
श्रावण माह में भगवान शंकर के पूजन की शुरुआत जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल, आदि से महादेव का अभिषेक कर स्नान कराया जाता है| अभिषेक के बाद बेलपत्र, दूब, कुशा, कमल, राई फूल आदि से शिवजी को प्रसन्न किया जाता है|इसके बाद भोलेनाथ को भोग के रूप में श्रीफल, भाँग, धतूरा चढ़ाया जाता है|
महादेव के अभिषेक की कथा
महादेव का अभिषेक करने के पीछे एक पौराणिक कथा का उल्लेख है कि समुन्द्र मंथन के समय विष निकलने के बाद जब महादेव इस विष का पान करते हैं तो वो मुर्च्छित हो जाते हैं और उनका गला नीला पड़ने लगता है| इसी कारण उनका नाम 'नीलकण्ठ' पड़ा| भगवान् भोले की दशा देखकर सभी देव-देवता भयभीत हो जाते हैं और उन्हें होश में लाने के लिए आसपास की चीज़ों से उन्हें स्नान कराने लगते हैं| इसके बाद से ही जल, दूध आदि से महादेव का अभिषेक किया जाता है|
भगवान शिव का बेलपत्र से अभिषेक
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक भील डाकू परिवार का पालन पोषण करने के लिए लोगों को लुटा करता था| एक दिन डाकू जंगल में राहगीरों को लूटने के इरादे से गया| पुरे दिन के बाद भी कोई शिकार नहीं मिलने से वह काफी परेशान हो गया| इस दौरान वह जंगल में एक बेल के पेड़ पर बैठा पत्तों को तोड़कर नीचे फ़ेंक रहा था| इसी से अचानक डाकू के सामने महादेव प्रकट हो गए और वरदान मांगने को कहने लगे| असल में डाकू जहाँ बेलपत्र फेंक रहा था वहां नीचे शिवलिंग स्थापित था| तबसे शिवजी को प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र चढ़ाने का महत्व है|
श्रावण मास में ही सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है, और दक्षिणायन में इस दिन का विशेष महत्व है| कई राज्यों में इसे पर्व की तरह मनाते हैं जैसे उत्तराखंड में हरेला और हिमाचल में हरियाली, रिह्यली और दख्राइन इसी समय मनाया जाता है|
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