Ashada - आषाढ़
Aashad Important Days | Aashad maas ka mahatv |
सनातन संस्कृति के कैलेंडर (या पंचांग या संवत) में आषाढ़ को साल का चौथा महीना माना जाता है| यह ग्रेगोरियन कैलेंडर के जून-जुलाई में पड़ता है| इस साल 2023 में 'विक्रम संवत' (calendar) का 2080वा साल और 'शक संवत' के हिसाब से 1945वा साल का आरम्भ हुआ है| विक्रम संवत के अनुसार ज्येष्ठ महीने में पूर्णिमा के बाद वाली प्रतिपदा, आषाढ़ मास की पहली तिथि होती है|
आषाढ़ मास के नक्षत्र (Aashad month)
आषाढ़ मास को यह नाम 'पूर्वाषाढ़ा' और 'उत्तराषाढ़ा' नक्षत्र की वजह से मिला है| पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा हिन्दू पंचांग की काल गणना में उपयोग में आने वाले 27 नक्षत्रों में से 20वा और 21वा नक्षत्र है| उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का स्वामी सूर्य है और इसका पहला चरण धनु राशि में स्थित होता है तथा इस नक्षत्र के बाकी तीन चरण मकर राशि में स्थित होते हैं जिससे इस नक्षत्र पर धनु राशि के स्वामी गृह बृहस्पति और मकर राशि के स्वामी गृह शनि का प्रभाव पड़ता है|
आषाढ़ मास वर्षा ऋतू में पड़ता है जब भीषण गर्मी के बाद बारिश की बूंदें प्रकृति की प्यास बुझाती हैं| इसलिए आषाढ़ मास का प्रकृति और जीव-जन्तु के जीवन में खास महत्व है|
चतुर्मास की शुरुआत भी आषाढ़ मास से ही होती है| यह माना जाता है की आषाढ़ में पड़ने वाली हरि सायानी एकादशी से भगवान् श्रीमन नारायण योगनिंद्रा में चले जाते हैं|
आषाढ़ मास वर्षा ऋतू में पड़ता है जब भीषण गर्मी के बाद बारिश की बूंदें प्रकृति की प्यास बुझाती हैं| इसलिए आषाढ़ मास का प्रकृति और जीव-जन्तु के जीवन में खास महत्व है|
चतुर्मास की शुरुआत भी आषाढ़ मास से ही होती है| यह माना जाता है की आषाढ़ में पड़ने वाली हरि सायानी एकादशी से भगवान् श्रीमन नारायण योगनिंद्रा में चले जाते हैं|
आषाढ़ महीने के महत्वपूर्ण तिथियां (Important Days in Aashad Month)
विक्रम संवत के ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा के बाद ही आषाढ़ मास आरम्भ हो जाता है| आइये जानते हैं आषाढ़ मास की कुछ महत्वपूर्ण तिथियां|
तिथि | महत्वता |
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प्रतिपदा (कृष्ण पक्ष) |
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द्धितीया | |
तृतीया | |
चतुर्थी | |
पंचमी | |
षष्ठी | |
सप्तमी | |
अष्टमी | |
नवमी | |
दशमी | |
एकादशी | योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) |
द्धादशी | |
त्रयोदशी | |
चतुर्दशी | |
अमावस्या | आषाढ़ अमावस्या (Aashad Amavasya) |
प्रतिपदा (शुक्ल पक्ष) | गुप्त नवरात्री (Gupt Navratri) शाकम्बरी नवरात्री (Shakambari Navratri) गायत्री नवरात्री (Gayatri Navratri) |
द्धितीया | जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra) |
तृतीया | |
चतुर्थी | विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) |
पंचमी | |
षष्ठी | |
सप्तमी | |
अष्टमी | |
नवमी | |
दशमी | |
एकादशी | देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) |
द्धादशी | |
त्रयोदशी | |
चतुर्दशी | |
पूर्णिमा | आषाढ़ पूर्णिमा (Aashad Purnima) व्यास पूर्णिमा (Vyas Purnima) गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) कोकिला व्रत (Kokila Vrat) |
क्या आषाढ़ मास अशुभ है?
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार आषाढ़ महीने में सभी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, रक्षा धागा पहनना आदि नहीं किये जाते| इसलिए इस मास को शुन्य मास भी कहा गया है| इस महीने का अशुभ होना इस से भी जुड़ा है कि करक सक्रांति आषाढ़ माह में ही पड़ती है जब सूर्य दक्षिणायन पुनंजयकालाम में प्रवेश करता है| इसके बाद अगले छह महीने मकर सक्रांति तक देवताओं के लिए रात का समय माना जाता है| इसलिए आषाढ़ महीने में शुभ कार्य नहीं करे जाते|हालाँकि पूजा और व्रत को इस माह में शुभ ही माना गया है| चतुर्मास व्रत , पालकी यात्रा, रथ यात्रा जैसे पवित्र पूजा और व्रत श्रद्धालुओं द्वारा आषाढ़ माह में ही मनाए जाते है|
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