2 Oct: Gandhi Jayanti गाँधी जयंती (International Day of Non-violence)
भारत में 2 अक्टूबर एक जानी मानी तिथि है और इसका नाम सुनते ही लोगों के जहन में गाँधी जयंती का स्मरण हो जाता है| गाँधी जयंती भारत के तीन राष्ट्रीय अवकाशों में से एक है| इस दिन गाँधी जी को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान पर याद किया जाता है| आइये जानते हैं महात्मा गाँधी के बारे में कुछ जानकारी और कब से मनाते हैं गाँधी जयंती पर अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस:
मोहनदास करमचंद गाँधी कौन थे (Who was Mohandas Karamchand Gandhi?)
मोहनदास (गाँधी जी) का जन्म गुजरात के तटीय शहर पोरबंदर में करमचंद गाँधी (पिता) और पुतलीबाई(माता) के घर 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था| 1888 में वे अपनी कानून की पढ़ाई करने के लिए लन्दन चले गए| सन 1893 में मोहनदास ने दक्षिण अफ्रीका, जो उन दिनों ब्रिटिश साम्राज्य का ही भाग होता था, में एक भारतीय फर्म के लिए वकालत को स्वीकार किया| इस देश में उन्हें काफी रंग-भेदी टिप्पणियों और भेदभाव का सामना करना पड़ा| वहाँ भारतीयों पर हो रहे अन्याय को देखते हुए उन्होंने देशवासियों और स्वयं अपनी स्थिति के लिए प्रश्न भी उठाये|
1915 में वह भारत लौट आये| गाँधी जी को बड़ी उपलब्धि 1918 में चम्पारन सत्याग्रह और खेड़ा सत्याग्रह में मिली| जहाँ उन्होंने जमींदारों (ज्यादातर अंग्रेज) के दमन और लगातार बढ़ते कर (tax) से परेशान भारतीयों के लिए आवाज़ उठाई| इसके परिणामस्वरूप, गाँधी जी की ख्याति देश भर में फ़ैल गई|
गाँधी जी ने असहयोग, अहिंसा तथा शांतिपूर्ण प्रतिकार को अंग्रेजों के खिलाफ शस्त्र के रूप में उपयोग किया| दिसंबर 1921 में गाँधी जी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया गया| यहाँ उन्होंने अपने अहिंसात्मक मंच को स्वदेशी निति में शामिल किया जिसमें भारत द्वारा विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करना प्रमुख था| असहयोग आंदोलन को समाज के सभी वर्गों की जनता भागीदारी से सफलता मिली| पर यह आंदोलन चौरा चौरी घटना के बाद गाँधी जी ने वापस ले लिया| इसके बाद उनपर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया जिसके लिए उन्हें जेल भेज दिया गया|
गाँधी जी ने असहयोग, अहिंसा तथा शांतिपूर्ण प्रतिकार को अंग्रेजों के खिलाफ शस्त्र के रूप में उपयोग किया| दिसंबर 1921 में गाँधी जी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया गया| यहाँ उन्होंने अपने अहिंसात्मक मंच को स्वदेशी निति में शामिल किया जिसमें भारत द्वारा विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करना प्रमुख था| असहयोग आंदोलन को समाज के सभी वर्गों की जनता भागीदारी से सफलता मिली| पर यह आंदोलन चौरा चौरी घटना के बाद गाँधी जी ने वापस ले लिया| इसके बाद उनपर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया जिसके लिए उन्हें जेल भेज दिया गया|
1930 में गाँधी जी ने नमक पर कर लगाने के विरोध में सत्याग्रह चलाया| 12 मार्च से 6 अप्रैल तक 400 किलोमीटर तक का पैदल सफर करके गाँधी जी और हज़ारों भारतियों ने अहमदाबाद से दांडी तक पहुँच कर स्वयं नमक उत्पन्न किया| इसके लिए अंग्रेजों ने 80000 से अधिक लोगों को जेल भेजा|
उनका भारत छोडो आंदोलन में विशेष योगदान रहा जहाँ द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गाँधी और उनके समर्थकों ने यह स्पष्ट कर दिया की वे युद्ध के प्रयासों में तब तक साथ नहीं देंगे जब तक भारत को तत्काल आज़ादी न दे दी जाए| उन्होनें सभी भारतियों को अहिंसा के साथ 'करो या मरो' के द्वारा अंतिम स्वतंत्रता अनुशासन बनाये रखने की भी अपील की|
उनका भारत छोडो आंदोलन में विशेष योगदान रहा जहाँ द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गाँधी और उनके समर्थकों ने यह स्पष्ट कर दिया की वे युद्ध के प्रयासों में तब तक साथ नहीं देंगे जब तक भारत को तत्काल आज़ादी न दे दी जाए| उन्होनें सभी भारतियों को अहिंसा के साथ 'करो या मरो' के द्वारा अंतिम स्वतंत्रता अनुशासन बनाये रखने की भी अपील की|
उन्होंने जितने भी आंदोलन किये कभी हिंसा का सहारा नहीं लिया| वो भगवद्गीता, शांति और अहिंसा का सन्देश देने वाली हिन्दू मान्यताओं, जैन धर्म, लियो टॉलस्टाय की शांतिवादी शिक्षाओं से प्रभावित थे|
अन्तराष्ट्रीय अहिंसा दिवस (International Day of Non-violence)
इंटरनेशनल डे ऑफ़ नॉन वायलेंस हर साल गाँधी जयंती के दिन 2 अक्टूबर को मनाया जाता है| जनवरी 2004 में ईरान की नोबेल पुरस्कार विजेता 'शिरीन ईबादी' ने वर्ल्ड सोशल फोरम, मुंबई में 'अन्तराष्ट्रीय अहिंसा दिवस' का एक प्रस्ताव दिया| यह सुझाव भारतीय कांग्रेस पार्टी को पसंद आया| 2007 में कांग्रेस पार्टी मुखिया सोनिया गाँधी और देसमोंड टूटू ने सयुंक्त राष्ट्र को अंतराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाने का सुझाव दिया|
15 जून 2007 को सयुंक्त राष्ट्र महासभा में इसके लिए वोटिंग के बाद इस प्रस्ताव को पारित कर दिया गया| सयुंक्त राष्ट्र ने शिक्षा और जागरूकता के द्वारा अहिंसा का सन्देश देने के लिए सभी देशों को अंतराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाने को कहा|
अन्तराष्ट्रीय अहिंसा दिवस का महत्व (Importance of International Day of Non-violence)
अंतराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाने का उद्देश्य सम्पूर्ण विश्व में शांति स्थापित करना और अहिंसा का मार्ग अपनाना है| आज दुनिया में हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं| जहाँ देखो युद्ध, गृहयुद्ध, आगजनी, आतंकवादी घटनाएं हो रही है| हिंसा से कभी शांति नहीं लायी जा सकती इसलिए इस ख़ास दिन विश्व को शांति और अहिंसा का मार्ग दिखाता है|
दीर्घकालिक शांति सिर्फ अहिंसा के द्वारा प्राप्त की जा सकती है| हम सभी को गाँधी जी के आदर्शों से सीख लेनी चाहिए और अंतराष्ट्रीय अहिंसा दिवस को जोश और उल्लास से मनाना चाहिए|
1. 02 अक्टूबर को महात्मा गाँधी के अलावा किस नेता की जयंती होती है?
| लाल बहादुर शास्त्री (भारत के दूसरे प्रधानमंत्री (1964-1966)) |
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